History MCQ–इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं।

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History MCQ/GK Free Practice Set -29 (701-725)
701. महाराष्ट्र में वारकरी सम्प्रदाय (Sect) के संस्थापक कौन थे ? (a) तुकाराम (b) नामदेव (c) विसोबा खेचर (d) एकनाथ |
उत्तर- (a) व्याख्या – महाराष्ट्र में वारकरी सम्प्रदाय के संस्थापक तुकाराम थे। मराठा भक्त सन्तो में तुकाराम का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने ईश्वर की भक्ति पर बल दिया तथा उसमें स्वयं को लीन कर लिया। उन्होंने अपना मुख्य उददेश्य मानव जाति का उद्धार बताया। उन्होंने लिखा- “मैं तो अनेकों जिन्दगियों में लोगों को जीवन के दुःख से उभारने का कार्य करता हूँ….. मैं तैयार हूँ और मैंने आपको जीवन सागर के उस पार ले जाने का मार्ग ढूंढ लिया है।” वे एक रहस्यवादी सन्त थे तथा उनके आह्वान ने महाराष्ट्र की जनता को अत्यधिक प्रभावित किया। |
702. अनल हक की सूफी अवधारणा वेदान्त की निम्नलिखित अवधारणा से प्रेरित थी- (a) तत् त्वम असि (b) एकम् अद्वैतम (c) अहम् ब्रह्मास्मि (d) ये सभी |
उत्तर-(c) व्याख्या – अनल हक की सूफी अवधारणा वेदान्त की अवधारणा अहम् ब्रह्मास्मि से प्रेरित है। |
703. मध्यकालीन हिन्दी साहित्य के किस मुसलमान कवि ने अनिवार्यतः हिन्दू पौराणिक नायकों पर काव्य रचना की ? (a) कुतुबन (b) रसखान (c) मुल्ला दाउद (d) अमीर खुसरो |
उत्तर-(b)व्याख्या- मध्यकालीन हिन्दी साहित्य के मुसलमान कवि रसखान ने अनिवार्यतः हिन्दू पौराणिक नायकों पर काव्य रचना की। मध्यकालीन भारत के भक्त कवियों में रसखान का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म दिल्ली में हुआ था तथा ये एक पठान राजवंश से सम्बन्धित थे। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण का चित्र देखकर ये कृष्ण की तरफ आकर्षित हुए थे। उन्होंने कृष्ण को अपना इष्ट माना तथा उनकी काव्यमय भक्ति में डूब गए। उन्होंने कई काव्य ग्रन्थ लिखे, जिनमें प्रेमवाटिका, सुजान रसखान आदि प्रमुख हैं। उनकी कृतियाँ शुद्ध ब्रजभाषा में लिखी हुई हैं तथापि कहीं-कहीं फारसी शब्दों का प्रयोग भी मिलता है। |
704. निम्नलिखित में से कौन-सा वाद्य मिश्रित या हिन्द-इस्लामी उत्पत्ति का नहीं है ? (a) सितार (b) शहनाई (c) तबला (d) सारंगी |
उत्तर-(b) व्याख्या- शहनाई वाद्य मिश्रित या हिन्दू-इस्लामी उत्पत्ति का नहीं है। |
705. गुजरात की स्वतन्त्र सत्ता स्थापित करने वाला कौन था ? (a) जफर खान (b) तातार खान (c) शमा खान (d) अहमद शाह |
उत्तर- (a) व्याख्या- गुजरात की स्वतन्त्र सत्ता स्थापित करने वाला व्यक्ति जफर खान था। 1297 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने रायकरण को पराजित कर गुजरात को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया था। 1391 ई. में अन्तिम सूबेदार जफर खाँ जो व्यावहारिक रूप से स्वतन्त्र रहता आया था, सन 1401 ई. में औपचारिक रूप से दिल्ली सल्तनत की अधीनता त्याग दी और मुजफ्फर शाह की उपाधि धारण करके सुल्तान के रूप में गुजरात के स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। |
706. विजयनगर साम्राज्य में आयातित होने वाली सर्वाधिक अकेली वस्तु थी- (a) बहुमूल्य पत्थर (Precious stones) (b) घोड़े (c) विलासिता (Luxury ) की वस्तु (d) कच्चा रेशम |
उत्तर-(b) व्याख्या- विजयनगर साम्राज्य में आयातित होने वाली सर्वाधिक अकेली वस्तु घोड़े थे। |
707. अकबर के समकालीन किस मुगल इतिहासकार ने अकबर को इस्लाम का दुश्मन बताते हुए आरोपों की सूची तैयार की थी ? (a) बदायूँनी (b) निआमतुल्लाह (c) अब्बास खान सरवनी (d) निज़ामुद्दीन अहमद |
उत्तर- (a) व्याख्या- अकबर के समकालीन मुगल इतिहासकार बदायूँनी ने अकबर को इस्लाम का दुश्मन बताते हुए आरोपों की सूची तैयार की थी। यह अकबर के महत्त्वपूर्ण दरबारी इतिहासकारों में से एक था। वह बदायूँ का रहने वाला था। उसने मुन्तखाब-उत-तवारीख नामक ग्रन्थ की रचना की, जिसमें उसने अकबर के शासन काल के इतिहास का वर्णन किया है। बदायूँनी एक कट्टर ( सुन्नी मुसलमान) था, अतः उसने प्रत्येक चीज को शरा के तराजू में तोला है, अत: वह स्वाभाविक तौर पर अकबर की उदार धार्मिक नीति की आलोचना करता है। उसने अकबर पर मुसलमानों पर अत्याचार करने के अनेक आरोप भी लगाए हैं। किन्तु उनमें सत्यता नहीं है फिर भी एक ओर जहाँ अबुल फजल ने अकबर के शासन की अतिशयोक्तिपूर्ण ढंग से प्रशंसा की है, वहीं दूसरी ओर बदायूँनी ने पूर्णतः नकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया है एवं इन दोनों का एक साथ प्रयोग करने पर अकबर के सम्बन्ध में सन्तुलित निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। |
708. ‘तबकात-ए-अकबरी’ का लेखक कौन है ? (a) बदायूँनी (b) ख्वाज़ा निजामुद्दीन अहमद (c) अबुल फजल (d) ख्वांद मीर |
उत्तर-(b) व्याख्या- ‘तबकात-ए-अकबरी’ का लेखक ख्वाजा निजामुद्दीन अहमद है। उसने इस ग्रन्थ को तैयार करने के लिए विभिन्न श्रेष्ठ ग्रन्थो की सहायता भी ली; जैसे—तारीख-ए- यामिनी, तबकात-ए-नासिरी, तारीख-ए-फीरोजशाही, बाबरनामा, वाकिया- ए-मुश्ताकी, अकबरनामा आदि। इस प्रकार तबकात-ए-अकबरी एक उपयोगी स्रोत ग्रन्थ माना गया है। |
709. निम्नलिखित में से कौन प्रसिद्ध चित्रकार (Painter) अकबर के दरबार में नहीं रहा ? (a) फारूख बेग (b) दसवन्त (c) आगा रजा (d) बसावन |
उत्तर- (a) व्याख्या- प्रसिद्ध चित्रकार फारूख बेग अकबर के दरबार में नहीं रहा। फारूख बेग ने अकबर के समय मुगल-चित्रणशाला में प्रवेश किया था। जहाँगीर के समय उसने बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह का चित्र बनाया था। जहाँगीर का काल मुगल चित्रकला के चरमोत्कर्ष काल था। जहाँगीर ने हेरात के एक प्रसिद्ध चित्रकार ‘आकारिजा’ के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रणशाला की स्थापना की। |
710. निम्नलिखित में से किस मुगल राजकुमारी ने ‘माखी’ नाम से दीवान (कविताओं का संग्रह) तैयार किया ? (a) हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम (b) शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा (c) शाहजहाँ की पुत्री रोशनआरा (d) औरंगजेब की पुत्री जेबुन्निसा |
उत्तर- (d) व्याख्या – मुगल राजकुमारी औरंगजेब की पुत्री जेबुन्निसा ने ‘माखी’ नाम से दीवान (कविताओं का संग्रह) तैयार किया। इसने राजनीति में सक्रिय रुचि दिखाई। इसने शाहनवाज खाँ को अपने पिता के हाथों दण्डित होने से बचाया। उसने दिल्ली में एक मदरसे का भी निर्माण करवाया। जब औरंगजेब के कनिष्ठ पुत्र अकबर ने विद्रोह कर दिया, तो जेबुन्निसा ने अपने भाई का साथ दिया था। |
711. मुगल काल के किस जौहरी (Jeweller) विदेशी यात्री ने तख्त-ए- ताऊस (मयूर सिंहासन) का विस्तृत ब्यौरा दिया है ? (a) ट्रैवर्नियर (b) जेरोनिमो वेरोनिओ (c) ‘ओमरा’ दानिशमन्द खान (d) बोदाँ का ऑस्टिन |
उत्तर- (a) व्याख्या-मुगल काल के ‘तख्त-ए-ताऊस’ (मयूर सिंहासन) का विस्तृत ब्यौरा विदेशी यात्री ट्रैवर्नियर ने दिया है जो एक जौहरी (Jeweller) था। यह शाहजहाँ के शासनकाल में भारत आया। यह फ्रांसीसी था तथा इसने 46 वर्षों में (1641-1687 ई.) भारत की 6 बार यात्रा की थी एवं इसके तहत लगभग सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया। उसका यात्रा विवरण तीन पुस्तकों में संग्रहित है, जो फ्रेंच, अंग्रेजी, इतालवी, जर्मन आदि भाषाओं में प्रकाशित हुआ है। अपने यात्रा विवरण में उसने मुख्यतः तत्कालीन भारत की आर्थिक स्थिति तथा अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डाला है। उसके यात्रा विवरण से जवाहरात तथा मोतियों, उनकी खानों, कोहिनूर हीरे, महाजन तथा सर्राफों की स्थिति, वाणिज्य व व्यापार, मुगल दरबार तथा सैन्य व न्याय आदि अनेक बातों पर सुन्दर रूप से प्रकाश डाला गया है। ट्रैवर्नियर ने मथुरा के केशवदेव के मन्दिर तथा काशी के विश्वनाथ के मन्दिरों के विवरण दिए हैं जो औरंगजेब काल में मस्जिद में परिवर्तित कर दिए गए। वह सतीप्रथा के तरीकों का विवरण देने में अधिक रुचि लेता था। फ्रांसीसी सम्राट लुई चौदहवें ने उसे कुलीनता की पदवी से सम्मानित किया था। |
712. शेरशाह ने सरायों में रुकने वाले हिन्दू यात्रियों को बिस्तर और भोजन उपलब्ध कराने के लिए किन्हें नियुक्त किया था ? (a) अफगान मुसलमानों को (b) मुसलमानों को (c) ब्राह्मणों को (d) निम्न जातीय हिन्दुओं को |
(d) व्याख्या— शेरशाह ने सरायों में रुकने वाले हिन्दू यात्रियों को बिस्तर और भोजन उपलब्ध कराने के लिए निम्न जातीय हिन्दुओं को नियुक्त किया था। शेरशाह ने सड़कों के किनारे प्रत्येक 4 मील पर एक सराय का निर्माण करवाया, जिनकी कुल संख्या 1700 थी। यहाँ हिन्दू और मुसलमानों के रहने की अलग-अलग व्यवस्था थी। प्रत्येक सराय की देखभाल (‘शिकदार) नामक एक अधिकारी करता था। सराय शेरशाह के लिए डाक-चौकी के रूप में भी काम आती थीं। डॉ. कानूनगो के अनुसार यह सराय साम्राज्य की धमनियाँ थीं, जिनके द्वारा शिथिल साम्राज्य में रक्त का संचार होता था। |
713. शेरशाह की कृषि नीति (Agrarian policy) के सम्बन्ध में इनमें से कौन-सा कथन सही नहीं है ? (a) शेरशाह ने बोई गई जमीन की माप पर जोर दिया (b) शेरशाह ने विभिन्न प्रकार की फसलों पर राज्य के हिस्से के लिए दरें निर्धारित कीं (c) प्रत्येक किसान द्वारा दी जाने वाली मात्रा को ‘पत्ता’ कहे जाने वाले कागज पर लिखवाया (d) माप-जोख करने वालों की अपनी इच्छानुसार अपना शुल्क लेने की छूट दी गई |
उत्तर- (d) व्याख्या— शेरशाह की कृषि नीति के अन्तर्गत माप-जोख करने वालों की अपनी इच्छानुसार अपना शुल्क लेने की छूट नहीं दी गई थी। शेरशाह ने कृषि योग्य भूमि और परती भूमि दोनों की नाप करवाई। इस कार्य के लिए उसने अहमद खाँ की सहायता ली थी। जिसने हिन्दू ब्राह्मणों की सहायता से यह काम पूरा किया । शेरशाह ने लगान निर्धारण के लिए मुख्यत: तीन प्रकार की प्रणालियाँ अपनाईं— 1. गल्लाबख्शी अथवा बँटाई 2. नक्श या मुक्तई अथवा कनकूत 3. नकदी अथवा जब्ती (जमई)। शेरशाह के भूमि कर निर्धारण के लिए ‘राई’ (फसलदारों की सूची) को लागू करवाया। शेरशाह भूमि की किस्म एवं फसलों के आधार पर उत्पादन का औसत निकलवाया और उसके बाद उत्पादन का 1/3 भाग कर के रूप में वसूल किया जाता था । शेरशाह के समय लगान नकद या जिन्स (अनाज) दोनों रूपों में देने की छूट थी। किसानों को सरकार की ओर से पट्टे दिए जाते थे जिससे उनको वर्ष में निश्चित लगान देना पड़ता था। किसान ‘कबूलियत पत्र’ द्वारा पट्टे को स्वीकार करता था। शेरशाह की लगान व्यवस्था मुख्य रूप से रैयतवाड़ी थी जिसमें किसानों से प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित किया था। भूमिकर की वसूली प्रायः मुकद्दम द्वारा होती थी किन्तु शेरशाह ने कृषकों को प्रोत्साहित किया कि वे स्वयं जाकर राजकोष में भूमि कर जमा करें। |
714. मराठा विद्रोह (Revolt) के दमन के लिए औरंगजेब अन्तिम रूप से दक्कन में कब पहुँचा ? (a) 1681 ई. (b) 1682 ई. (c) 1689 ई. (d) 1700 ई |
उत्तर-(c) व्याख्या – मराठा विद्रोह के दमन के लिए औरंगजेब अन्तिम रूप से दक्कन 1689 ई. में पहुँचा। औरंगजेब की दक्कन नीति ने मुगल अर्थव्यवस्था को कंगाली के कगार पर खड़ा कर दिया। औरंगजेब की दक्षिण नीति उसकी कब्रग्राह साबित हुई। इस सन्दर्भ में कहा जाता है कि “जैसे स्पेन के नासूर ने नेपोलियन प्रथम को नेस्तनाबूद कर दिया था, उसी प्रकार दक्कन के नासूर ने औरंगजेब को नेस्तनाबूद कर दिया।“ उसके राज्यकाल के अन्तिम वर्षों में उसके परिवार एवं सेना का एक मात्र सहारा बंगाल का राजस्व था, जो योग्य दीवान मुर्शिद कुली खाँ की नियमित रूप से भेजता था। |
715. मुगलकालीन कृषि की अवस्था के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा स्त्रोत सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है ? (a) आइने अकबरी (b) अकबरनामा (c) मुन्तखाब-उल-लुबाब (d) तारीख-ए-फरिश्ता |
उत्तर- (a) व्याख्या-मुगलकालीन कृषि की अवस्था के बारे में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्रोत आइने-अकबरी है। इस ग्रन्थ को अबुल फजल ने तीन लए भागों में लिखा था। आइने-अकबरी में रबी (बसन्त) की 16 फसलों तथा खरीफ (शरद् ऋतु) की 25 फसलों से प्राप्त होने वाले राजस्व का विस्तृत उल्लेख मिलता है। |
716. ‘जब्ती’ प्रणाली के अन्तर्गत वास्तविक उत्पादन का कितना हिस्सा राज्य की माँग के रूप में निर्धारित था ? (a) आधा (b) एक-तिहाई (c) एक-चौथाई (d) एक बटा पाँच लोंबी। |
उत्तर-(b) व्याख्या- ‘जब्ती’ प्रणाली के अन्तर्गत वास्तविक उत्पादन का एक-तिहाई हिस्सा राज्य की माँग के रूप में निर्धारित था। जब्ती प्रणाली शेरशाह की अत्यधिक प्रचलित तथा किसानों द्वारा अधिक पसन्द की जाने वाली प्रणाली थी। शेरशाह ने लगान निर्धारण के लिए मुख्यतः तीन प्रकार की प्रणालियाँ अपनाई थीं- 1. गल्लाबख्शी अथवा बँटाई। 2. नक्श अथवा मुक्तई अथवा कनकूत। 3. नकदी अथवा जब्ती (जमई) इन तीनों प्रणालियों में नकदी अथवा जब्ती को किसान अधिक पसन्द करते थे। कनकूत प्रणाली को बिल्कुल पसन्द नहीं करते थे जबकि तीनों प्रणालियों में से किसानों को किसी भी प्रणाली को अपनाने की छूट थी। |
717. सामाजिक सुधार, राष्ट्रीय पुनर्जीवन (National regeneration) तथा मराठा शक्ति के उदय के लिए किस मराठा सन्त का सर्वाधिक महत्त्व से है ? (a) एकनाथ (b) तुकाराम (c) समर्थ रामदास (d) वामन पण्डित |
उत्तर-(c) व्याख्या- सामाजिक सुधार, राष्ट्रीय पुनर्जीवन तथा मराठा शक्ति के उदय में मराठा सन्त समर्थ गुरु रामदास का सर्वाधिक महत्त्व है। ये शिवाजी के समकालीन थे। इन्होंने मराठों की सुषुप्त आत्मा को जगाया तथा ‘बरकरारी’ (पवित्र तीर्थयात्रा) सम्प्रदाय को ‘घरकरारी’ (स्वतन्त्रता सेनानी) सम्प्रदाय के रूप में बदल दिया। उन्होंने मराठों में एक नवीन चेतना उत्पन्न की तथा उन्हें देश व धर्म पर सर्वस्व अर्पित करने के लिए प्रेरित किया। ये कर्मवाद पर बल देते थे तथा उनका मानना था कि महाराष्ट्र का उत्थान इसी में है कि वहाँ के लोग दूसरों का से ल की है मुँह ताकना छोड़कर कर्त्तव्य पथ पर अग्रसर हों। उन्होंने ‘दासबोध’ नामक ग्रन्थ की रचना की, जिसे उनकी राजनीतिक वसियत माना जाता है। शिवाजी पर उनका प्रत्यक्ष प्रभाव था तथा उन्होंने शिवाजी को हिन्दू स्वराज्य की स्थापना के लिए प्रेरित किया। वस्तुतः इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि रामदास ऐसे पहले सन्त थे जिन्होंने अपनी शिक्षाओं से मराठा राज्य के निर्माण में सर्वाधिक योगदान दिया। |
718. 1664 और 1670 ई. में सूरत पर हमलों से शिवाजी को सर्वाधिक लाभ क्या हुआ ? (a) उनकी प्रतिष्ठा में अपार वृद्धि (b) मुगल सेनाओं का मनोबल टूटा (c) अंग्रेजी कारखाने का अधिग्रहण (d) लूट का बड़ा धन (A lot of booty) |
उत्तर—(d) व्याख्या-1664 और 1670 ई. में सूरत पर हमलों से शिवाजी को लूट का बड़ा धन प्राप्त हुआ, जो उनके साम्राज्य विस्तार में सहायक सिद्ध हुआ। सूरत की लूट शिवाजी के पूना पलायन से कहीं अधिक श्रेयस्कर हुई क्योंकि इससे उसके साधनों एवं सम्पत्ति में वृद्धि हुई। सूरत उस समय तत्कालीन एशिया के समृद्ध नगरों में से एक था। जान लेस्कैलाट जो उस समय सूरत में ब्रिटिश फैक्ट्री का प्रमुख था तथा सूरत की घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी साक्षी था। |
719. मराठा राज्यक्षेत्र में भूमि की माप-जोख की इकाई क्या थी ? (a) काठी (b) तनब (c) ज़रीब (d) दफ्तरी बीघा |
उत्तर- (a) व्याख्या – मराठा राज्यक्षेत्र में भूमि की माप-जोख की इकाई काठी थी। शिवाजी की राजस्व व्यवस्था अहमदनगर राज्य में मलिक अम्बर द्वारा अपनाई गई रैयतवाड़ी व्यवस्था पर आधारित थी। इस व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक गाँव की भूमि की पैमाइश की जाती थी और पैदावार का भारतीय इतिहास च’दूर्य अनुमान लगाया जाता था। शिवाजी ने भूमि को ठेके पर लेने की प्रथा को समाप्त कर दिया। भूमि की पैमाइश के लिए रस्सी के स्थान पर काठी या जरीब का प्रयोग किया जाता था। इस पैमाइश के आधार पर प्रत्येक किसान की पैदावार का अनुमान लगाकर उससे लगान माँगा जाता था। आरम्भ में शिवाजी ने पैदावार का 33% लगान वसूल किया, परन्तु बाद में स्थानीय करों को माफ करने के बाद इसे बढ़ाकर 40% कर दिया गया। |
720. निम्नलिखित में से किस मराठा सरदार ने अंग्रेजों की सहायक सन्धि (Subsidiary alliance) को सबसे बाद में स्वीकार किया ? (a) पेशवा (b) होल्कर (c) भोंसले (d) सिन्धिया |
उत्तर-(b) व्याख्या – मराठा सरदार होल्कर ने अंग्रेजों की सहायक सन्धि को सबसे बाद में स्वीकार किया। |
721. वेलेजली ने पेशवा बाजीराव द्वितीय का किस शर्त पर मदद करना तय किया ? (a) उसके मरणोपरान्त पेशवा का पद समाप्त करने पर (b) गुप्त रूप से 15 लाख रुपए प्राप्त होने पर (c) उसके द्वारा सहायक सन्धि स्वीकार कर लेने पर (d) सिन्धिया को उसकी जागीर लिए जाने की शर्त पर |
उत्तर-(c) व्याख्या – वेलेजली ने पेशवा बाजीराव द्वितीय को सहायक सन्धि स्वीकार कर लेने की शर्त पर मदद करना तय किया। माधव नारायण की मृत्यु के बाद राघोबा का पुत्र बाजीराव द्वितीय पेशवा बना। पश्चात् 1802 ई. में बेसीन की सन्धि के तहत सहायक सन्धि स्वीकार कर लेने से मराठा अधिकारियों में मतभेद प्रारम्भ हो गया। सिन्धिया तथा भोंसले ने इस सन्धि का कड़ा विरोध किया |
722. पुर्तगालियों ने भारतीय व्यापार और उद्योग को प्रथमतः कैसे प्रभावित किया ? (a) गुजरात और कालीकट को जहाजों के निर्माण या सशस्त्र नौकाओं के संचालन से रोक कर (b) मालाबार तट पर बन्दरगाहों के बीच व्यापार तथा भारतीय तटों से फारसी तटों के बीच व्यापार पर एकाधिपत्य स्थापित कर (c) उपर्युक्त ‘a’ एवं ‘b’ दोनों प्रकार से (d) अरबों को निष्कासित कर भारत की स्थानीय शक्तियों को घोड़ों के निर्यात के दामों को निर्देशित कर |
उत्तर—(b) व्याख्या- मालाबार तट पर बन्दरगाहों के बीच व्यापार तथा भारतीय तटों से फारसी तटों के बीच व्यापार पर एकाधिपत्य स्थापित कर पुर्तगालियों ने भारतीय व्यापार और उद्योग को प्रथमतः प्रभावित किया। पुर्तगालियों का प्रारम्भिक लक्ष्य मसाला व्यापार पर एकाधिकार जमाना भारत एवं ईसाई धर्म का प्रचार करना था। पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा भारत आने वाला प्रथम यूरोपीय यात्री था। पुर्तगालियों ने भारत में तम्बाकू की खेती का प्रचलन किया।1556 ई. में पुर्तगालियों ने भारत में पहली मुद्रण मशीन (प्रिन्टिंग प्रेस) की स्थापना की। पुर्तगालियों के साथ भारत में गोथिक स्थापत्य कला का आगमन हुआ। ईसाई धर्म का मुगल शासक अकबर के दरबार में प्रवेश फादर एक्वाविया और मांसरेट के नेतृत्व में हुआ। |
723. पुर्तगालियों द्वारा अंग्रेजों को मुम्बई (बम्बई) सौंपे जाने का अवसर क्या था ? (a) पुर्तगालियों द्वारा स्पेन के नियन्त्रण से मुक्ति (b) पुर्तगाली राजकुमारी ब्रगेंजा की कैथरीन से चार्ल्स द्वितीय का विवाह (c) 1588 ई. में अंग्रेजों द्वारा स्पेनी जहाजी बेड़े को ध्वस्त किया जाना (d) 1630 ई. की मैड्रिड की सन्धि |
उत्तर-(b) – व्याख्या – पुर्तगालियों द्वारा अंग्रेजों को मुम्बई (बम्बई) 1661 ई. में राजकुमारी कैथरीन ब्रगेजा का विवाह ब्रिटेन के चार्ल्स द्वितीय के शुभ अवसर पर दहेज के रूप में दिया गया था। 1668 ई. में चार्ल्स द्वितीय ने बम्बई ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दस पौड वार्षिक किराए पर दे दिया। |
724. डच लोगों द्वारा भारत में व्यापार के लिए किस किन बन्दरगाहों का उपयोग किया गया ? (a) पुलिकट (b) मसूलीपट्टम (c) नागापट्टम (d) ये सभी |
उत्तर- (d) व्याख्या- भारत में डचों द्वारा स्थापित कोठियाँ मसूलीपट्टम –आन्ध्र प्रदेश–1605 ई. पुलिकट — तमिलनाडु–1610 ई. (बाद में नाम फोर्ट गेल्ड्रिया रखा गया) सूरत —गुजरात–1616 ई. विमलीपट्टम– आन्ध्र प्रदेश—1641 ई. कराइकल — तमिलनाडु– 1645 ई. चिनसुरा — बंगाल– 1653 ई. पटना — बिहार–1632 ई. कासिम बाजार—बंगाल—1658 ई. बालासोर –उड़ीसा—1633 ई. नागापट्टम– तमिलनाडु– 1658 ई. कोचीन — केरल– 1663 ई. |
725. भारत में व्यापार के लिए फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का संस्थापक था- (a) कॉलबर्ट (b) फ्रैंकॉयस मार्टिन (c) फ्रैंकॉयस कैरन (d) डे ला हाए |
उत्तर- (a) 1664 ई. में भारत में फ्रांसीसी व्यापारिक कम्पनी ‘कम्पेन डेस इण्डेस ओरियंटलेस’ (Compagne Des Indes Orientals ) की व्याख्या-फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें के मन्त्री कोलबर्ट के अनुरोध स्थापना हुई। कोलबर्ट सामुद्रिक व्यापार के द्वारा फ्रांस की आर्थिक प्रगति करने के प्रति बड़ा उत्सुक था। फ्रांस की व्यापारिक कम्पनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था। इसलिए इसे एक सरकारी व्यापारिक कम्पनी कहा जाता था। |
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