History MCQ–इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं।

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History MCQ Free Set -16 (376-400)
376. अटाला मस्जिद और लाल दरवाजा मस्जिद को किस राज्य के शासकों ने बनवाया था ? (a) बंगाल (b) खानदेश (c) मालवा (d) जौनपुर |
उत्तर- (d) व्याख्या- अटाला मस्जिद और लाल दरवाजा मस्जिद को जौनपुर राज्य के शासकों ने बनवाया था। अटाला मस्जिद को 1408 ई. में शर्की सुल्तान इब्राहिम शाह द्वारा बनवाया गया था। सम्भवत: इस मस्जिद को कन्नौज के राजा विजयचन्द्र द्वारा निर्मित अटाला देवी के मन्दिर को तोड़कर बनाया गया। इतिहासकार फर्ग्यूसन ने मस्जिद के बारे में कहा कि यह अत्यधिक सुसज्जित एवं सुन्दर कृति है। मस्जिद के बारे में स्मिथ का कहना है कि अटाला मस्जिद के प्रवेश मार्ग तथा बड़े कमरे पूर्णतः मुस्लिम शैली के हैं, जिनमें ज्योतिर्मय मेहराबों तथा गुम्बदों का प्रयोग दर्शनीय है, जो प्रायः हिन्दू देवालयों से लिए गए हैं और जिनका निर्माण हिन्दू शैली में है। लाल दरवाजा मस्जिद का निर्माण 1450 ई. में मुहम्मदशाह द्वारा करवाया गया था। इस मस्जिद के प्रवेशद्वार का लाल रंग होने के कारण इस मस्जिद को लाल दरवाजा मस्जिद के नाम से जाना जाता है। मार्शल ने इस मस्जिद के विषय में कहा है कि “यह छोटा है पर अटाला मस्जिद का ही दुर्बल संस्करण है।” |
377. मुस्लिम साहित्य की परम्परा के बारे में राय भारमल ने किस भाषा में लिखा ? (a) फारसी (b) संस्कृत (c) अरबी (d) तुर्की |
उत्तर- (a) व्याख्या- मुस्लिम साहित्य की परम्परा के बारे में राय भारमल ने फारसी भाषा में लिखा है। |
378.निजामुद्दीन औलिया के उत्तराधिकारी कौन थे ? (a) शेख फरीद (b) शेख नासिरुद्दीन चिराग-ए-देहली (c) शेख सलीम चिश्ती (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं |
उत्तर-(b) व्याख्या- शेख नासिरूद्दीन चिराग-ए-देहली निजामुद्दीन औलिया के उत्तराधिकारी थे। शेख नासिरुद्दीन महमूद का जन्म अयोध्या में हुआ था। 45 वर्ष की अवस्था में औलिया का शिष्यत्व ग्रहण किया। नासिरुद्दीन भी ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के प्रमुख शिष्यों में एक थे। इन्हें चिराग-ए-देहलवी [दिल्ली का दीपक (चिराग)] के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने दिल्ली को अपना केन्द्र बनाया। औलिया ने इन्हें अपना खलीफा (उत्तराधिकारी) नियुक्त किया था। मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद उलेमाओं का साथ दिया तथा फिरोज को गद्दी पर बैठाया। |
379. रैदास, सेना और कबीर किसके अनुयायी थे ? (a) नामदेव (b) रामानुज (c) वल्लभाचार्य (d) रामानन्द |
उत्तर- (d) व्याख्या रैदास, सेना और कबीर रामानन्द के अनुयायी थे। रामानन्द प्रथम वैष्णव सन्त, धार्मिक व समाज सुधारक थे। इनको भक्ति आन्दोलन को उत्तर भारत में लाने का श्रेय प्राप्त है। आचार्य रामानुज की पीढ़ी में स्वामी रामानन्द पहले सन्त थे जिन्होंने भक्ति द्वारा जन-जन को नया मार्ग दिखाया। इन्होंने एकेश्वरवाद पर जोर दिया एवं जाति सम्बन्धी भेदभाव की निन्दा की और भक्ति का द्वार सबके लिए खोला। इनके 12 प्रमुख शिष्य थे- कबीर (जुलाहा), रविदास (मोची), सेना, (नाई), धन्ना (जाट किसान), पीपा (राजपूत), सधना (कसाई), भवानन्द सुखानन्द, सुरसर, सुरसर की पत्नी (सुरसीर), पद्मावती और नरहरि |
380. अब्दुर्रज्जाक ने किस सन् में विजयनगर का भ्रमण किया ? (a) 1443 (b) 1433 (c) 1423 (d) 1427 |
उत्तर- (a) व्याख्या-1443 में अब्दुर्रज्जाक ने देवराय द्वितीय के शासनकाल में विजयनगर की यात्रा की थी। यह फारसी यात्री था जो कालीकट के जमोरिन के यहाँ शाहरुख का राजदूत बनकर आया था। विजयनगर शहर के अद्भुत रूप में वैभव से आश्चर्यचकित होकर उसने लिखा, “मैंने पूरे विश्व में इसके समान दूसरा शहर न कोई देखा है, न सुना है। यह इस प्रकार बना हुआ है कि एक के भीतर एक इसमें सात परकोटे हैं।” उसके वर्णन से तत्कालीन विजयनगर की स्थलाकृति, प्रशासन तथा सामाजिक जीवन के बारे विस्तृत जानकारी मिलती है। |
381. तुलुव वंश का संस्थापक था ? (a) नरस नास्यक (b) इम्मदि नरसिम्हा (c) वीर नरसिम्हा (d) इनमें से कोई नहीं |
उत्तर-(c) व्याख्या- तुलुव वंश का संस्थापक वीर नरसिम्हा था। उसका पूरा शासनकाल आन्तरिक विद्रोह एवं बाह्य आक्रमणों से प्रभावित था। 1509 ई. में नरसिंह की मृत्यु हो गई। यद्यपि उसका शासनकाल अल्प रहा परन्तु फिर भी उसने सेना को सुसंगठित किया, अपने नागरिकों को युद्धप्रिय बनाया, पुर्तगाली गवर्नर अलमीडिया से उसके द्वारा लाए गए सभी घोड़ों को खरीदने के लिए एक समझौता किया, विवाह कर को हटाकर, एक उदार नीति को आरम्भ किया। नूनिज द्वारा वीर नरसिंह का वर्णन एक धार्मिक राजा के रूप में किया गया है, जो पवित्र स्थानों पर दान दिया करता था। सालुव वंश से इस तरह सत्ता हथियाने को द्वितीय बलापहार की संज्ञा दी गई है। |
382. दक्षिण भारत में किसने स्वतन्त्र बहमनी राज्य की स्थापना की ? (a) अबू मुजफ्फर अलाउद्दीन बहमन शाह (b) मुजाहिद शाह (c) मुहम्मद शाह प्रथम (d) आदिल शाह |
उत्तर- (a) व्याख्या— अबू मुजफ्फर अलाउद्दीन बहमन शाह ने दक्षिण भारत में स्वतन्त्र बहमनी राज्य की स्थापना की। मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल के अन्तिम दिनों में, दक्कन में अमीरान-ए-सादाह के विद्रोह के परिणामस्वरूप 1347 ई. में बहमनी साम्राज्य की स्थापना हुई। दक्कन के सरदारों ने दौलताबाद के किले पर अधिकार कर इस्माइल मुख अफगान को नासिरुद्दीन शाह के नाम से दक्कन का राजा घोषित किया। इस्माइल मुख, बूढ़ा और आरामतलब होने के कारण इस पद के अयोग्य सिद्ध हुआ। शीघ्र ही उसे अधिक योग्य नेता हसन, जिसकी उपाधि जफर खाँ थी, के पक्ष में गददी छोड़नी पड़ी। जफर खाँ को सरदारों ने 3 अगस्त, 1347 को अबुल मुजफ्फर अलाउद्दीन बहमनशाह के नाम से सुल्तान घोषित किया। अलाउद्दीन हसन ने गुलबर्गा को अपनी राजधानी बनाया तथा उसका नाम बदलकर अहसनाबाद कर दिया। उसने साम्राज्य को चार प्रान्तों गुलबर्गा, दौलताबाद, बरार और बीदर में बाँटा। दक्षिण के हिन्दू शासकों को उसने अपने अधीन किया तथा अपने अनुयायियों को पद और जागीर प्रदान करने की नई प्रथा प्रारम्भ की। उसने हिन्दुओं से जजिया न लेने का आदेश दिया। |
383. मालवा के स्वतन्त्र मुस्लिम राज्य की स्थापना किसने की थी ? (a) होशंगशाह (b) महमूदशाह (c) नासिरुद्दीन (d) दिलावर खान |
उत्तर- (d) व्याख्या- मालवा की स्वतन्त्र सल्तनत की स्थापना 1401 ई. में हुसैन खाँ गौरी ने की थी जिसे फिरोज तुगलक ने अमीर के रूप में दिलावर खाँ की उपाधि प्रदान की थी। मालवा का राज्य नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच पठार पर स्थित था। 1305 ई. में इस राज्य पर अलाउद्दीनखिलजी ने अधिकार कर लिया था। दिलावर खाँ ने धार को अपना प्रान्तीय मुख्यालय (राजधानी) बनाया। |
384. ‘कानून-ए-हुमायूँनी’ किसके द्वारा लिखी गई ? (a) गुलबदन बेगम (b) याह्या (c) ख्वदमीर (d) निजामुद्दीन |
उत्तर-(c) व्याख्या- ‘कानून-ए-हुमायूँनी’ 1534 ई. में ख्वांदमीर द्वारा रचित इस कृति में हुमायूँ की चापलूसी करते हुए उसे सिकन्दर-ए-आजम, खुदा का साया आदि उपाधियों देने का वर्णन है। |
385. ईश्वरदास नागर ने इनमें से कौन-सी पुस्तक लिखी ? (a) फुतूहात-ए-आलमगीरी (b) वीर बिनोद (c) छत्र प्रकाश (d) अहकाम-ए-आलमगीरी |
उत्तर- (a) व्याख्या- ईश्वरदास नागर ने फुतूहात-ए-आलमगीरी पुस्तक लिखी है। इस कृति में औरंगजेब के 34 वर्षों के शासनकाल पर प्रकाश डाला गया है। |
386. ‘चैतन्य चरितामृत’ के लेखक थे- (a) वसवेश्वर (b) माधव (c) रामानन्द (d) कृष्णदास कविराज |
उत्तर- (d) व्याख्या- ‘चैतन्य चरितामृत’ के लेखक कृष्णदास कविराज थे। |
387. बाबर के तीन पत्नियां थीं, निम्नलिखित में से कौन उसकी पत्नी नहीं थी ? (a) माहम (b) गुलरुख (c) गुलबदन (d) दिलबर |
उत्तर-(c) व्याख्या- गुलबदन बेगम बाबर की पुत्री तथा हुमायूँ की बहिन थी। इसका विवाह एक प्रभावशाली सरदार ख्वाजा खाँ के साथ हुआ था। |
388. मेहदी ख्वाजा कौन था ? (a) बिहार का शासक (b) इब्राहीम लोदी का प्रधान मन्त्री (c) हुमायूँ का बहनोई (Brother-in-law) (d) बाबर का भाई |
उत्तर-(c) व्याख्या- मेहदी ख्वाजा हुमायूँ का बहनोई था। यह बाबर की बड़ी पुत्री खानजादा बेगम का पति था। इसका उल्लेख बाबर के वजीर निजामुद्दीन खलीफा द्वारा रचे गए उस षड्यन्त्र के सन्दर्भ में आता है, जो उसने हुमायूँ को गद्दी से वंचित करने के लिए रचा था। खलीफा हुमायूँ को गद्दी के अयोग्य समझता था तथा उसके स्थान पर मेहदी ख्वाजा को गद्दी पर बैठाना चाहता था। ख्वाजा एक योग्य एवं अनुभवी सरदार था तथा बाबर के समय में उसने 20 वर्षों तक युद्धों में भाग लिया था, किन्तु खलीफा को अपने षड्यन्त्र में सफलता नहीं मिल सकी और 30 दिसम्बर, 1530 को हुमायूँ गद्दी पर बैठा। |
390. हुमायू आगरा में इस तारीख की सिंहासन पर बैठा- (a) 7 जनवरी, 1530 (b) 30 दिसम्बर, 1530 (c) 23 सितम्बर, 1530 (d) 16 फरवरी, 1530 |
उत्तर-(b) व्याख्या हुमायूँ 30 दिसम्बर, 1530 को आगरा में सिंहासन पर बैठा। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है बाबर के प्रमुख मन्त्री निजामुद्दीन अली मुहम्मद खलीफा ने हुमायूँ को अयोग्य समझा और उसके स्थान पर बाबर के बहनोई मेहदी ख्वाजा को गद्दी पर बैठाने का प्रयत्न किया। परन्तु बाद में अपने जीवन को खतरे में समझकर उसने यह विचार त्याग दिया और हुमायूँ का समर्थन किया। 26 दिसम्बर को बाबर की मृत्यु हुई और चार दिन के पश्चात् 30 दिसम्बर, 1530 को बिना किसी विरोध के 23 वर्ष की आयु में हुमायूँ मुगल सिंहासन पर बैठा। |
391. शेरशाह सूरी के बारे में कौन-सा कथन सत्य है ? (a) वह एक धर्मान्ध (Fanatic) मुसलमान था (b) वह एक पक्का मुसलमान था किन्तु धर्मान्ध नहीं था (c) वह पक्का मुसलमान था और हिन्दुओं से दुर्व्यवहार करता था (d) वह दूसरे धर्मों के प्रति सहिष्णु (Intolerant) नहीं था। |
उत्तर-(b) व्याख्या – शेरशाह सूरी एक पक्का मुसलमान था किन्तु धर्मान्ध नहीं था। व्यक्तिगत दृष्टि से शेरशाह सुन्नी मुसलमान था। वह अपने व्यक्तिगत जीवन में इस्लाम के सिद्धान्तों का पालन करता था। हिन्दुओं के प्रति उसका व्यवहार सहिष्णुता और आदर का था। शेरशाह की दृष्टि से हुए कार्यों से लगता है कि मलिक मुहम्मद जायसी ने इसी समय में पद्मावत की रचना की थी। इसी समय के आस-पास वैष्णव धर्म का बहुत प्रचार हुआ। शेरशाह की इमारतें भी स्पष्ट करती हैं कि अपने हिन्दू, मुस्लिम, अफगान, तुर्क और पर्शियन कलाओं में कोई भेद नहीं किया था। |
392. शेरशाह के समय निर्मित सराय निम्नलिखित में से किस काम में नहीं आती थीं ? (a) डाक-चौकी (Post-house) (b) यात्रियों के लिए (c) अधिकारियों के लिए (d) शस्त्रागार के लिए |
उत्तर- (d) व्याख्या— शेरशाह के समय निर्मित सराय शस्त्रागार के काम में नहीं आती थी। शेरशाह ने अपने समय की करीब 1700 सरायों का निर्माण कराया। इन सभी सरायों में हिन्दू और मुसलमानों के ठहरने के लिए अलग अलग प्रबन्ध था। प्रत्येक सराय की देखभाल एक शिकदार करता था। व्यापारी, यात्री, डाक-कर्मचारी आदि सभी यहाँ संरक्षण और भोजन प्राप्त करते थे। इनके व्यय के लिए सरायों के आसपास की भूमि सराय के नाम कर दी गई थी। डॉ. कानूनगो के शब्दों में ये सराय साम्राज्य रूपी शरीर की धमनियाँ थीं। |
393. अकबर के शासनकाल में निम्नलिखित में से कौन वजीर के रूप में नियुक्त नहीं था ? (a) बहादुरख उजबेग (b) शम्सुद्दीन अतकाखाँ (c) टोडरमल (d) निजामुद्दीन खलीफा |
उत्तर- (a) व्याख्या-अकबर के शासनकाल में बहादुरखाँ उजबेग वजीर के रूप में नियुक्त नहीं था। मुजफ्फरखाँ तुरबती, राजा टोडरमल, एवाजशाह मंसूर, शम्सुद्दीन आतकाखां, निजामुद्दीन खलीफा अकबर कालीन वजीर थे। |
394. निम्नलिखित में से कौन-सी जोड़ी गलत है ? (a) अकबर — राल्फ फिच (b) दाराशिकोह — मनूची (c) जहाँगीर — सर टॉमस रो (d) शाहजहाँ– जॉन फ्रियर (अंग्रेज यात्री) |
व्याख्या-सही सुमेलन इस प्रकार है- शासक विदेशी यात्री (a) अकबर -राल्फ फिच (अंग्रेज यात्री) (b) दारा शिकोह– मनूची (c) जहाँगीर–सर टॉमस रो (अंग्रेज राजदूत) जॉन लायर (डच यात्री), जॉन फ्रियर (अंग्रेज यात्री) (d) शाहजहाँ –पीटर मुण्डी (इटली का यात्री) |
395. हिन्दुओं के प्रति अकबर की नीति के बारे में कौन-सा कथन सत्य है ? (a) उसने तीर्थयात्रा कर (Pilgrim tax) हटाया किन्तु जजिया नहीं (b) उसने जजिया कर हटाया किन्तु तीर्थयात्रा कर नहीं (c) उसने जजिया और तीर्थयात्रा कर दोनों हटाए (d) उसने न जजिया हटाया और न तीर्थयात्रा कर |
उत्तर-(c) व्याख्या-अकबर ने 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर समाप्त किया तथा 1564 ई. में जजिया कर भी हटा दिया था। |
396. ‘नुस्खा-ए-दिलकुशा’ का लेखक कौन था ? (a) खफी खान (b) मुर्शिदकुली खान (c) अबुल फजल (d) भीमसेन बुरहानपुरी |
उत्तर- (d) व्याख्या- ‘नुस्खा-ए-दिलकुश’ का लेखक भीमसेन बुरहानपुरी था। उसने क्रमशः मुगल सरदार दाऊदखाँ, जोधपुर के शासक जसवन्त सिंह तथा बुन्देला सरदार दलपतराय की सेवा की। भीमसेन अधिकांशतया दक्षिण भारत में रहा था। उसके प्रन्ध से औरंगजेब के काल के इतिहास पर मुख्यतया दक्षिण-भारत के इतिहास पर अच्छा प्रकाश पड़ता है। भीमसेन ने अपने ग्रन्थ को उस समय लिखा जबकि वह राज्य की सेवाओं से पूर्णतया मुक्त हो गया था। इस कारण उसे न किसी का भय था और न उसे किसी को प्रसन्न करना था। भीमसेन ने घटनाओं का वर्णन करते हुए उनके कारणों और परिणामों पर भी दृष्टिपात किया। |
397. मीर सैयद अली और अब्दुस्समद इनके समय दरबारी चित्रकार थे- (a) हुमायूँ, अकबर (b) अकबर, जहाँगीर (c) जहाँगीर, शाहजहाँ (d) शाहजहाँ, औरंगजेब |
उत्तर- (a) व्याख्या मीर सैयद अली और अब्दुस्समद हुमायूँ और अकबर के समय दरबारी चित्रकार थे। मुगल चित्रकला की नींव हुमायूँ के शासन काल में पड़ी। अपने निर्वासन के दौरान उसने ‘मीर सैयद अली और ‘अब्दुस्समद’ नामक दो फारसी चित्रकारों की सेवाएँ प्राप्त की जिन्होंने मुगल चित्रकला का आरम्भ किया। मौर सैयद अली हेरात के प्रसिद्ध चित्रकार बिहजाद (जिसे पूर्व का रैफेल कहा जाता है) का शिष्य था। अब्दुस्समद ने जो कृतियाँ तैयार की उनमें से कुछ जहाँगीर द्वारा तैयार की गई— गुलशन चित्रावली’ में संकलित है। अकबर ने मुगल चित्रकारी को एक सुव्यवस्थित रूप दिया। उसने चित्रकारी के लिए अलग विभाग खोला। ‘आइने-अकबरी’ में मीर सैयद अली और अब्दुस्समद के अलावा 15 प्रसिद्ध चित्रकारों के नाम प्राप्त होते हैं। जिनमें कम से कम 13 हिन्दू चित्रकार थे। मुगल चित्रशाला में मुगल चित्रकला शैली में चित्रित सबसे प्रारम्भिक और महत्त्वपूर्ण मुगलकालीन चित्रसंग्रह ‘हम्जानामा’ है जो ‘दास्ताने अमीर हमजा’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस पाण्डुलिपि में करीब 1200 चित्रों का संग्रह है। ‘हम्जनामा’ को पूर्ण कराने के लिए मीर सैयद अली को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। |
398. अकबर के स्थापत्य में इनमें से कौन सी विशेषता नहीं पाई जाती ? (a) लाल पत्थर का उपयोग (b) हिन्दू तत्त्व (c) लहरदार मेहराबें (Foliated arches) (d) मकबरे के आसपास चारबाग |
उत्तर-(c) व्याख्या- – अकबर के स्थापत्य में लहरदार मेहराबों की विशेषता नहीं पाई जाती। अकबर ने निर्माण कार्य पर अधिक धन का अपव्यय न कर ऐसी इमारतों का निर्माण करवाया जो अपनी सादगी से ही सुन्दर लगती थीं। अकबर ने ‘मेहराबी’ एवं ‘शहतीरी’ शैली का समान अनुपात में प्रयोग किया। अकबर ने अपने निर्माण कार्यों में लाल पत्थर का प्रयोग किया। अकबर के ग्रहणशील स्वभाव के कारण उसके निर्माण कार्य में फारसी शैली में हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं का अधिक सम्मिश्रण हुआ। |
399. ‘गंगा लहरी’ के लेखक कौन थे ? (a) तुलसीदास (b) सूरदास (c) पण्डितराज जगन्नाथ (d) हरिदास |
उत्तर-(c) व्याख्या – शाहजहाँ के दरबारी कवि पण्डित जगन्नाथ ने ‘गंगा लहरी’ एवं ‘रंसगंगाधर’ की रचना की। |
400.अकबर के समय निम्नलिखित में से कौन-सा सिक्का चाँदी का नहीं था ? (a) जलाल (b) दाम (c) दरब (d) पण्डाऊ |
उत्तर-(b) व्याख्या-अकबर के शासन काल में प्रचलित दाम तांबे का सिक्का था। |
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