History MCQ Free Set-14 # इतिहास अभ्यास प्रश्न सेट-14

History MCQइतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह यूपीएससी/यूपीपीसीएस/बीपीएससी/NTA NET HISTORY/एसएससी/रेलवे इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं

History Practice set

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History MCQ Set -14 (326-350)

326.  सिन्धु सभ्यता (Indus Civilization) का नगर लोथल कहाँ है ?

(a) गुजरात
(b) राजस्थान
(c) पंजाब
(d) हरियाणा
उत्तर- (a) व्याख्या-सिन्धु सभ्यता का नगर लोथल गुजरात के अहमदाबाद जिले में भोगवा नदी के किनारे सागरवाला नामक ग्राम के समीप स्थित है। इसकी खुदाई 1957-58 ई. में रंगनाथ राव के नेतृत्व में की गई। यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्ध उपलब्धि हड़प्पाकालीन बन्दरगाह के अतिरिक्त विशिष्ट मृदभाण्ड, उपकरण, मुहरें, बाट तथा माप एवं पाषाण उपकरण हैं। यहाँ तीन युग्मित समाधि के भी उदाहरण मिले हैं। लोथल के पूर्वी भाग में स्थित बन्दरगाह (गोदी) का औसत आकार 214×36 मीटर तथा गहराई 3.3 मीटर है। लोथल में गढ़ी और नगर दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हैं। अन्य अवशेषों में धान (चावल), फारस की मुहरों एवं घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। सम्भवतः, समुद्र के तट पर स्थित सिन्धु सभ्यता का यह स्थल पश्चिम एशिया के साथ व्यापार के दृष्टिकोण से सर्वोत्तम स्थल था।
327. मोहनजोदड़ो स्थित है-  

(a) पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में
(b) गुजरात में
(c) पंजाब में
(d) अफगानिस्तान में  
उत्तर- (a)व्याख्या–मोहनजोदड़ो पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के लरकाना जिले में स्थित है। मोहनजोदड़ो के टीलों को 1922 ई. में खोजने का श्रेय राखालदास बनर्जी को प्राप्त हुआ। यहाँ पूर्व और पश्चिम (नगर के) दिशा में प्राप्त दो टीलों के अतिरिक्त सार्वजनिक स्थलों में एक विशाल स्नानागार एवं महत्त्वपूर्ण भवनों में एक विशाल अन्नागार जिसका आकार 150×75 मीटर है, के अवशेष मिले हैं, सम्भवतः यह अन्नागार मोहनजोदड़ो के वृहद् भवनों में से एक है। इसके अतिरिक्त सभा भवन एवं पुरोहित आवास के ध्वंसावशेष भी सार्वजनिक स्थलों की श्रेणी में आते हैं। मोहनजोदड़ो के पश्चिमी भाग में स्थित दुर्ग टीले को ‘स्तूप टीला’ भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ कुषाण शासकों ने एक स्तूप का निर्माण करवाया था। मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्य अवशेषों में कुम्भकारों के 6 भट्ठों के अवशेष, सूती कपड़ा, हाथी काकपालखण्ड, गले हुए ताँबे के ढेर, सीपी की बनी हुई पटरी एवं काँसे की नृत्यरत नारी की मूर्ति के अवशेष मिले हैं।
328. निम्नलिखित में से किस बन्दरगाह को ‘पेरीप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ का लेखक पदौके के रूप में जाना जाता था ?

(a) ताम्रलिप्ति
(b) अरिकामेडु
(c) भड़ौच
(d) कोचीन  
उत्तर-(b) व्याख्या- अरिकामेडु बन्दरगाह को ‘पेरीप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ का लेखक पदौके के रूप में जाना जाता था। अरिकामेडु पाण्डिचेरी से तीन किमी दूर कारोमण्डल तट पर स्थित एक प्रसिद्ध एवं प्राचीन बन्दरगाह था, जिसके चीन, मलाया और रोम से घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध थे। 1945 ई. में व्हीलर एवं कैसल ने यहाँ खुदाई के दौरान अनेक रोमन बस्तियों के अवशेष प्राप्त किए थे। उत्खनन से प्राप्त सिक्कों के आधार पर इस नगर का समय प्रथम शताब्दी ई.पू. से द्वितीय शताब्दी तक माना जाता है।
329. वैदिक आर्य किस देवता (Deity) की पूजा नहीं करते थे ?

(a) इन्द्र
(b) मरुत
(c) वरुण
(d) पशुपति  
उत्तर- (d) व्याख्या- वैदिक आर्य पशुपति देवता की पूजा नहीं करते थे। सैन्धव सभ्यता में पशुपति पूजा प्रचलित थी। मैके को मोहनजोदड़ो से एक मुहर प्राप्त हुई है जिसमें सींग वाले त्रिमुखी पुरुष को एक सिंहासन पर योग मुद्रा में बैठे हुए दिखाया गया है। उसके दाहिनी तरफ एक हाथी एवं एक बाघ और बायीं तरफ एक गैंडा तथा एक भैंसा खड़े हुए दिखलाए गए हैं, जिसमें वे खण्डित अवस्था में हैं। देवता के ऊपर सात अक्षरों का एक अभिलेख है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। इसे शिव का आदिरूप माना गया है। हड़प्पा से प्राप्त मुद्रा में एक तरफ एक पेड़ के मचान पर एक पुरुष बैठा हुआ है और नीचे बाघ का चित्रअंकित है, दूसरी तफ एक त्रिशूल का चित्र और उसके सामने एक बैल. का चित्र अंकित है। इस आकृति को भी शिव का रूप माना गया है।
330. वेदांग के अन्तर्गत निम्नलिखित आते है-  

(a) कल्प, शिक्षा, निरुक्त व्याकरण, छन्द, ज्योतिष (b) कल्प, शिक्षा, ब्राह्मण, व्याकरण, छन्द,ज्योतिष
(c) कल्प, शिक्षा निरूक्त, आरण्यक, छन्द,ज्योतिष (d) कल्प, उपनिषद, निरूक्त, व्याकरण, छन्द
उत्तर- (a) व्याख्या-वेदांग के अन्तर्गत कल्प, शिक्षा, निरूक्त, व्याकरण, छन्द, ज्योतिष आते थे। वेदों के अर्थ को अच्छी तरह समझने में वेदांग काफी सहायक होते हैं। वेदांग शब्द से अभिप्राय है—जिसके द्वारा किसी वस्तु के स्वरूप को समझने में सहायता मिले। वेदांगों की कुल संख्या छ है जो इस प्रकार हैं-
1. शिक्षा-वैदिक वाक्यों के स्पष्ट उच्चारण हेतु इसका निर्माण हुआ। वैदिक शिक्षा सम्बन्धी प्राचीनतम साहित्य प्रतिशाख्य’ है।
2. कल्प- वैदिक कर्मकाण्डों को सम्पन्न करवाने के लिए निश्चित किए गए विधि-नियमों का प्रतिपादन ही कल्पसूत्र कहलाता है।
3. व्याकरण—इसके अन्तर्गत समासों एवं सन्धि आदि के नियमों, नामों एवं धातुओं की रचना, उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग आदि के नियम बताए गए हैं। पाणिनि की अष्टाध्यायी प्रसिद्ध व्याकरण ग्रन्थ है।
4. निरुक्त-शब्दों की व्युत्पत्ति एवं निर्वाचन बतलाने वाले शास्त्र निरूक्त कहलाते हैं। क्लिष्ट वैदिक शब्दों के संकलन ‘निघण्टु’ की व्याख्या हेतु यास्क ने निरूक्त की रचना की थी, जो भाषा शास्त्र का प्रथम ग्रन्थ माना जाता है।
5. छन्द- वैदिक साहित्य में मुख्य रूप से गायत्री, त्रिष्टुप, जगती, वृहती आदि छन्दों का प्रयोग किया गया है। पिंगल का छन्द शास्त्र प्रसिद्ध है।
6. ज्योतिष- इसमें ज्योतिष शास्त्र के विकास को दिखाया गया है। इसके प्राचीनतम आर्य लोमश मुनि हैं।  
331. महावीर इस वंश के थे-

(a) कलाम
(b) भग्ग
(c) लिच्छिवि
(d) बुलि  
उत्तर-(c) व्याख्या – महावीर लिच्छिवि वंश के थे। जैनियों के 24 वें तीर्थंकर एवं जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक के रूप में महावीर स्वामी जाने जाते है। इनका जन्म 540 ई.पू. में वैशाली के निकट कुण्डग्राम में हुआ। इनका बचपन का नाम वर्धमान महावीर था। वे वर्ण के क्षत्रिय एवं जाति के ज्ञातृक थे। इनके पिता सिद्धार्थ वज्जि संघ के प्रमुख सदस्य थे। इनकी माता त्रिशला अथवा विदेहदत्ता वैशाली के लिच्छिवि कुल के प्रमुख चेटक की बहन थी। महावीर का विवाह कुण्डिन्य गोत्र की कन्या यशोदा से हुआ। कालान्तर में एक पुत्री के पिता बने, जिसकी शादी …जमालि नामक एक क्षत्रिय से हुई। महावीर ने 30 वर्ष की अवस्था मे अपने बड़े भाई नन्दिवर्धन की आज्ञा लेकर घर को त्याग दिया। जैन ग्रन्थ आचारांग सूत्र में उनकी कठोर तपस्या का वर्णन मिलता है।
332. जिस जैन ग्रन्थ में तीर्थंकरों के जीवन चरित हैं, उसका नाम है-  

(a) भगवतीसूत्र
(b) उवासगदसाओ
(c) आदि पुराण
(d) कल्पसूत्र  
उत्तर- (d)व्याख्या- जैन ग्रन्थ कल्पसूत्र में तीर्थकरों का जीवन-चरित मिलता है। कल्पसूत्र में महावीर के जीवन पर प्रकाश डाला गया है। इस ग्रन्थ अनुसार गृहत्याग के 11 महीनों बाद उन्होंने वस्त्र पहनना भी छोड़ दिया। ज्ञान प्राप्ति के लिए उन्होंने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की। इस कठिन तपस्या के बाद ऋजुपालिका नदी के तट पर जृम्भिकग्राम में एक शाल वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।
333. प्रथम बौद्ध संगीति (Conference) हुई थी-

(a) वैशाली में
(b) पाटलिपुत्र में
(c) राजगृह में
(d) उज्जैन में  
उत्तर-(c) व्याख्या- प्रथम बौद्ध संगीति राजगृह में हुई थी। महात्मा बुद्ध की मृत्यु के तुरन्त बाद 483 ई.पू. में राजगृह की सप्तपर्णी गुफा में यह बौद्ध संगीति आयोजित हुई। इस समय मगध का शासक अजातशत्रु था। इसमें बुद्ध के दो प्रमुख शिष्य आनन्द और उपालि भी उपस्थित थे। इस संगीति में बुद्ध की शिक्षाओं का संकलन हुआ तथा उन्हें सुन और विनय नाम के दो पिटकों में विभाजित किया गया। आनन्द और उपालि क्रमशः धर्म और विनय के प्रमाण माने गए हैं।
334. माध्यमिका दर्शन का प्रणेता था-

(a) भद्रबाहु
(b) पाश्र्वनाथ
(c) शीलभद्र
(d) नागार्जुन
उत्तर- (d) व्याख्या- माध्यमिका दर्शन का प्रणेता नागार्जुन था। इन्होने माध्यमिककारिका, शून्यतासप्तति, विग्रहव्यावर्तनी जैसे ग्रन्थों की रचना की। इस मत को सापेक्षवाद भी कहा जाता है, जिसके अनुसार प्रत्येक वस्तु किसी न किसी कारण से उत्पन्न हुई है। नागार्जुन ने प्रतीत्य समुत्पाद को ही शून्यता कहा है। इस मत के प्रभावशाली प्रचारक इनके शिष्य आर्यदेव थे। इन्होंने चतुःशतक नामक ग्रन्थ लिखा। अन्य महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में चन्द्रकीर्ति, शान्तिदेव एवं शान्तिरक्षित प्रसिद्ध थे।
335. बौद्ध संघ के नियम मूलतः किस पुस्तक में दिए गए  

(a) त्रिपिटक
(b) विनयपिटक
(c) अभिधम्मपिटक
(d) सुत्तपिटक  
उत्तर-(b) व्याख्या – बौद्ध संघ, के नियम मूलतः विनयपिटक में दिए गए हैं। बौद्ध साहित्य को त्रिपिटक कह जाता है। यह पालि भाषा में रचित है। ये त्रिपिटक सुत्तपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटक के नाम से जाने जाते है। विनयपिटक में भिक्षु और भिक्षुणियों के संघ एवं दैनिक जीवन सम्बन्धी हैं ? आचार-विचार, नियम संगृहीत है। पातिमोक्ख (प्रतिमोक्ष), सुत्त विभेग, स्कन्धक एवं परिवार इसके भाग हैं।
336. परम्परा के अनुसार कश्यप मातंग ने यहाँ बौद्ध धर्म शुरू किया—  

(a) चीन
(b) काश्मीर
(c) लंका
(d) गान्धार  
उत्तर- (a) व्याख्या-परम्परा के अनुसार कश्यप मातंग ने चीन में बौद्ध धर्म शुरू किया। यह प्राचीन भारत का विख्यात बौद्ध भिक्षु था। मातंग 67 ई. में एक अन्य बौद्ध भिक्षु धर्मरत्न के साथ चीन गया था। वह चीन जाने वाला प्रथम बौद्ध भिक्षु था। उसने चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार किया था तथा उसे काफी सफलता भी प्राप्त हुई। वह एक अच्छा विद्वान था तथा उसने कई बौद्ध धर्मग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद किया था। अन्ततः बौद्ध धर्म का प्रसार करते हुए कश्यप मातंग को चीन में ही मृत्यु हो गई।    
337. निम्नलिखित में से किसने जैन धर्म को मैसूर से निकाल दिया था ?  

(a) नयनार
(b) लिंगायत
(c) अल्वार
(d) शंकराचार्य
उत्तर- (d) व्याख्या – शंकराचार्य ने जैन धर्म को मैसूर से निकाल दिया था। शंकराचार्य दक्षिण भारत में भक्ति आन्दोलन के प्रथम प्रवर्तक थे। उनका जन्म 788 ई. में मलाबार में काल्पी नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे वेदों तथा उपनिषदों के प्रकाण्ड पण्डित थे। उन्होंने जैन तथा बौद्ध विद्वानों को शास्त्रार्थ में परास्त कर हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता स्थापित की। उन्होंने ‘अद्वैतवाद दर्शन’ का प्रतिपादन किया। इसके अनुसार ब्रह्म तथा जगत एक ही है। उन्होंने गीता पर भी टिप्पणी लिखी। उन्होंने पूर्व में जगन्नाथपुरी, पश्चिम में द्वारका, उत्तर में बद्रीनाथ एवं दक्षिण में शृंगेरी मठ की स्थापना की। उनकी 32 वर्ष की अल्पायु में मृत्यु हो गई।
338. सिकन्दर और पोरस के बीच युद्ध इस नदी के तट पर हुआ-

(a) सतलज
(b) रावी
(c) झेलम
(d) गंगा  
उत्तर-(c) व्याख्या-326 ई.पू. में सिकन्दर ने सिन्धु नदी पार करके भारत की धरती पर कदम रखा। उसका सबसे प्रसिद्ध युद्ध झेलम नदी के तट पर राजा पोरस के साथ हुआ, जो वितस्ता के युद्ध के नाम से जाना जाता है।            
339. भारत के किसी प्रदेश पर अधिकार करने वाला पहला फारसी (Persian) शासक कौन था ?

(a) साइरस
(b) डेरियस प्रथम
(c) केम्बेसिस
(d) जरक्सीज
उत्तर-(b) व्याख्या- भारत के किसी प्रदेश पर अधिकार करने वाला पहला फारसी शासक डेरियस प्रथम था। डेरियस प्रथम (दारा प्रथम) के तीन अभिलेखों बेहिस्तून, पर्सिपोलिस एवं नक्शेरुस्तम से यह सिद्ध होता है कि उसी ने सिन्धु नदी के तटवर्ती भारतीय भू-भागों को अधिकृत किया।
340. सिकन्दर भारत में इतने माह रहा-  

(a) 29 माह
(b) 39 माह
(c) 19 माह
(d) 10 माह  
उत्तर-(c) व्याख्या- सिकन्दर भारत में लगभग 19 महीनों तक रहा। इस अवधि में वह सदैव युद्धों में संलग्न रहा। उसे विजित प्रदेशों की सुरक्षा करने या उनकी प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ करने का अवसर हाथ नहीं लगा।
341. गेड्रोसिया का आधुनिक नाम यह है-  

(a) बलूचिस्तान
(b) लाहौर
(c) मुल्तान
(d) पेशावर  
उत्तर-(a)- गेड्रोसिया का आधुनिक नाम बलूचिस्तान है।              
 
342. निम्नलिखित में से कौन जैन धर्म का संरक्षक (Patron) नहीं था ?

(a) बिम्बिसार
(b) खारवेल
(c) कनिष्क
(d) चन्द्रगुप्त मौर्य  
उत्तर- (a)व्याख्या- बिम्बिसार जैन धर्म का संरक्षक नहीं था। बिम्बिसार हर्यक वंश का संस्थापक एवं इस वंश का सबसे अधिक प्रतापी राजा था। इसने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया। बिम्बिसार का उपनाम ‘श्रेणिक’ था। बिम्बिसार महात्मा बुद्ध का मित्र एवं संरक्षक था। विनयपिटक से ज्ञात होता है कि बुद्ध से मिलने के बाद उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया और बेलुवन नामक उद्यान बुद्ध तथा संघ के निमित्त प्रदान कर दिया। अन्तिम समय में अजातशत्रु ने अपने पिता की हत्या कर दी। बिम्बिसार ने राजगृह नामक नवीन नगर की स्थापना करवाई थी। बिम्बिसार का अवन्ति से अच्छा सम्बन्ध था क्योंकि जब अवन्ति के राजा प्रद्योत बीमार थे तो बिम्बिसार ने अपने वैद्य जीवक को भेजा था।
343. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?  

(a) अशोक के औपचारिक राज्यारोहण (Formal accession) में विलम्ब हुआ था
(b) पाँचवें शिलालेख से अशोक के भाइयों के अन्तःपुर (Harems) की जानकारी मिलती है
(c) अशोक बिन्दुसार के समय तक्षशिला और उज्जैन का वायसराय था
(d) अशोक बिन्दुसार का छोटा भाई था  
उत्तर- (d) व्याख्या- मौर्य सम्राट अशोक महान् बिन्दुसार का पुत्र था। बिन्दुसार की मृत्यु के उपरान्त अशोक विशाल मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठा। अशोक के जीवन की प्रारम्भिक जानकारी हमें बौद्ध साक्ष्यों जैसे दिव्यावदान तथा सिंहली ग्रन्थों से मिलती है। दिव्यावदान में अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी मिलता है। अशोक की कई पत्नियों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रन्थों से असंधिमित्रा, महादेवी, पद्मावती तिष्यरक्षिता का उल्लेख मिलता है। उसके अभिलेख में उसकी एकमात्र पत्नी ‘कारुवाकी’ का उल्लेख मिलता है जो तीवर की माता थी। सिंहली अनुश्रुति से ही यह ज्ञात होता है कि अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या की। राज्याभिषेक से सम्बन्धित लघु शिलालेख में अशोक ने स्वयं को ‘बुद्धशाक्य’ कहा है। अशोक को उसके अभिलेख में सामान्यतः ‘देवानांपिय’ कहकर सम्बोधित किया गया है। भाव अभिलेख में उसे “प्रियदर्शी’ जबकि (मस्की में (बुद्धशाक्य) कहा गया हैं। अशोको नाम का उल्लेख उसके चार अभिलेखों में मिलता है। ये अभिलेख हैं—मस्की, गुर्जरा, नेत्तूर और उडेगोलम। रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में भी अशोक नाम का उल्लेख है।  
344. निरवसित (Excluded) और अनिरवसित (Not excluded) शूद्रों का इसमें उल्लेख हुआ है-  
(a) यास्क के निरूक्त में
(b) पाणिनि की अष्टाध्यायी में
(c) कौटिल्य के अर्थशास्त्र में
(d) उपरोक्त में से किसी में नहीं
उत्तर- (d) व्याख्या-निरवसित (Excluded) और अनिरवसित (Not excluded) शूद्रों का उल्लेख यास्क के निरूक्त, पाणिनि की अष्टाध्यायी एवं कौटिल्य के अर्थशास्त्र किसी में भी नहीं मिलता है।
345. अशोक के निम्न में से किस शिलालेख (Inscriptions) में एक ग्राम के भू-राजस्व में रियायत का उल्लेख है ?  

(a) लुम्बिनी का स्तम्भलेख
(b) सारनाथ का स्तम्भलेख
(c) गिरिनार का शिलालेख
(d) साँची का स्तम्भलेख
उत्तर- (a)  व्याख्या- अशोक के लुम्बिनी स्तम्भलेख में एक ग्राम के भू-राजस्व में रियायत का उल्लेख है। अशोक अपने राज्याभिषेक के बीसवें वर्ष लुम्बिनी ग्राम गया था। उसने लुम्बिनी ग्राम को कर मुक्त घोषित कर दिया तथा केवल 1/8 भाग कर के रूप में लेने की घोषणा की।
346. बिन्दुसार के दरबार में कौन राजदूत (Ambassador) था ?  

(a) मैकियावेली
(b) मेगस्थनीज
(c) डायमेकस
(d) एन्टियोकस प्रथम

उत्तर-(c) व्याख्या-बिन्दुसार के दरबार में डायमेकस राजदूत था। बिन्दुसार के समय में सीरिया के शासक एण्टियोकस प्रथम ने डायमेकस नामक राजदूत को भेजा। बिन्दुसार ने पत्र लिखकर एण्टियोकस से अंगूरी मदिरा, अंजीर एवं दार्शनिक की माँग की थी। दार्शनिक को छोड़कर अन्य वस्तुओं को एण्टियोकस ने बिन्दु के पास भेजा। इसका वर्णनथिनियस ने किया। मिस्र के शासक टॉल्मी द्वितीय फिलाडेल्फस ने ‘डायनोसिस’ नामक राजदूत बिन्दुसार के दरबार में भेजा।
348. अपने धम्म का प्रचार करने के लिए अशोक ने निम्नलिखित की सेवाएँ लीं-  

(a) राजुक
(b) प्रादेशिक
(c) युक्त
(d) ये सभी  
उत्तर- (d) व्याख्या -अपने धम्म का प्रचार करने के लिए अशोक ने राजुक, प्रादेशिक, युक्त की सेवाएँ ली थीं। अशोक ने धम्म के प्रचार के लिए बड़ी लगन और उत्साह से कार्य किया। अशोक अपने तीसरे शिलालेख में धर्म प्रचार के लिए नियुक्त राजुको, प्रादेशिकों एवं युक्तों को यह आज्ञा देते हैं कि वे प्रत्येक पाँचवें वर्ष (उज्जयिनी और तक्षशिला में हर तीसरे वर्ष) राज्यों का भ्रमण करें एवं जनता को धर्मोपदेश दें। यह आदेश अशोक ने अपने राज्याभिषेक के बारहवें वर्ष में जारी किया। अभिलेखों में इसे अनुसन्धान कहा गया है।
349. ‘कल्पसूत्र’ का लेखक था-

(a) सिमुक
(b) पाणिनि
(c) भद्रबाहु
(d) पतञ्जलि
उत्तर-(c)व्याख्या- ‘कल्पसूत्र’ का लेखक भद्रबाहु था। भद्रबाहु श्रुतु केवली जैन मुनियों में अन्तिम थे। वे चन्द्रगुप्त मौर्य के समकालीन थे। चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने अन्तिम समय में भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा ले ली तथा उनके साथ दक्षिण में श्रवणबेलगोला चला गया। भद्रबाहु ने अन्त में जैन धर्म में ‘सल्लेखना’ क्रिया अपनाते हुए देह त्याग किया। उन्होंने दक्षिण भारत में जैन धर्म का अत्यधिक प्रचार-प्रसार किया। श्रीरंगपट्टम में 900 ई. के प्राप्त दो शिलालेखों में उनका उल्लेख मिलता है।
350. भारत में ‘सम्वतों का सही कालानुक्रम’ (Chronological Order) क्या है ?

(a) गुप्त-हर्ष-विक्रम-शक
(b) विक्रम-हर्ष-गुप्त-शक
(c) गुप्त-शक-विक्रम-हर्ष
(d) विक्रम-शक-गुप्त-हर्ष
उत्तर- (d) व्याख्या- भारत में ‘सम्वतों’ का सही कालानुक्रम विक्रम-शक-गुप्त-हर्ष ।

1. विक्रम सम्वत्-इसके दो अन्य नाम भी हैं—कृत (सतयुग) सम्वत् तथा मालव सम्वत्। इसके विषय में हमें मुख्यत: जैन स्रोतों से जानकारी मिलती है। इसका समय 57 ई.पू. माना जाता है। इसका समय 57 ई.पू. में मालवा के शासक विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर इसे प्रवर्तित किया था।
2. शक सम्वत्-इस सम्वत् का प्रवर्तक कुषाण शासक कनिष्क था। इसका समय लगभग 78 ई. माना जाता है। यही आज भारत का राष्ट्रीय सम्वत् है।
3. गुप्त सम्वत्-इसका समय लगभग 320 ई. माना जाता है। सम्भवतः इस सम्वत् का प्रवर्तक गुप्त शासक ‘चन्द्रगुप्त प्रथम’ था। गुप्त साम्राज्य के पतन के पश्चात् भी कुछ शताब्दियों तक इसका प्रयोग गुजरात के मैत्रक वंशीय शासकों ने किया। 4. हर्ष सम्वत्- इसका समय लगभग 606 ई. माना जाता है। यह सम्वत् कान्यकुब्ज (कन्नौज या महोदयश्री) में पुष्यभूति वंश के ‘महान् राजा ‘हर्षवर्द्धन’ ने चलाया जो उसकी मृत्यु के बाद भी उत्तर भारत में एक या दो शताब्दियों तक लोकप्रिय रहा।  

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History MCQ:-इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह यूपीएससी/यूपीपीसीएस/बीपीएससी/NTA NET HISTORY/एसएससी/रेलवे इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते. यह सीरीज आपको कैसा लगा। आप हम कमेंट करें और सब्सक्राइब करें। धन्यवाद

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