History MCQ–इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं।

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History MCQ Free Set -17 (401-425)
401. मुगल काल में नीचे लिखे किस विद्रोह की जड़ में कृषकों की थी ? (a) राजपूत विद्रोह (b) सतनामी और जाट विद्रोह (c) सिख विद्रोह (d) मराठा विद्रोह |
उत्तर-(b) व्याख्या-मुगल काल में सतनामी और जाट विद्रोह की जड़ में कृषकों की समस्या थी। औरंगजेब के खिलाफ पहला संगठित विद्रोह आगरा और दिल्ली क्षेत्र में बसे जाटों ने किया। इस विद्रोह की रो अधिकतर अपने किसान और काश्तकार थे, किन्तु नेतृत्व मुख्यतः जमींदारों ने किया। जाटों का विद्रोह आर्थिक कारणों को लेकर शुरू हुआ। इस विद्रोह को ‘सतनामी आन्दोलन‘ का समर्थन प्राप्त था। सतनामी अधिकतर किसान, दस्तकार तथा नीची जाति के लोग थे। सत्य एवं ईश्वर में विश्वास रखने के कारण वे अपने को ‘सतनामी‘ पुकारते थे। वे अपने सम्पूर्ण शरीर के बालों को मूँडकर रखते थे। इसी कारण उन्हें ‘मुण्डिया‘ भी कहा जाता था। |
402. शाहजी ने किससे पूना की जागीर प्राप्त की थी ? (a) मुगलों से (b) आदिलशाह से (c) निजामशाही से (d) पुर्तगालियों से |
उत्तर-(b) व्याख्या-शाहजी ने आदिलशाह से पूना की जागीर प्राप्त की थी। |
403.’मोकसा‘ क्या है? (a) जागीर (b) धार्मिक रिवाज (Religious practice) (c) घुड़सवार सैनिक (Cavalry) (d) धर्मादा (Religous endowment) |
उत्तर- (a) व्याख्या- ‘मोकासा‘ जागीर है। मराठा शासन काल में जागीरदार एवं जमींदार को दी जाने वाली जागीर को मोकासा कहा जाता था। |
404. शिवाजी के राजतिलक के समय कौन जीवित नहीं था ? (a) गंगा भट्ट (b) तुकाराम (1608, 1650) (c) रामदास (1606, 82) (d) दादाजी कोंडदेव (1647) |
उत्तर- (d) व्याख्या-शिवाजी के राजतिलक के समय दादाजी कोंडदेव (1647) जीवित नहीं थे। दादा कोंडदेव एक मराठी सरदार थे, किन्तु उनकी थे, ख्याति शिवाजी के गुरु के रूप में है। शाहजी द्वारा पूना की जागीर का प्रबन्ध सौंपे जाने पर दादा ने उसे सफलतापूर्वक निभाया था। शिवाजी के मन में हिन्दुत्व के प्रति अपार श्रद्धा उत्पन्न कर दी तथा ब्राह्मणों व गायों के प्रति उनके हृदय में गहरी आस्था उत्पन्न की। उन्होंने शिवाजी समस्याको वीरता की भावना से ओतप्रोत किया तथा भारत में हिन्दू स्वराज्य की स्थापना के लिए प्रेरित किया। दादा ने शिवाजी के छोटे से राज्य को सुव्यवस्थित किया तथा राजस्व प्रणाली को नियमित किया 1 मार्च,1647 में उनकी मृत्यु हो गई, किन्तु उनका स्वप्न उनके शिष्य ने साकार कर दिया। |
405. संगोला की सन्धि से किस पेशवा का सम्बन्ध है? (a) बालाजी बाजीराव (c) बाजीराव प्रथम (b) बालाजी विश्वनाथ (d) बाजीराव द्वितीय |
उत्तर- (a)व्याख्या-संगोला की सन्धि से पेशवा बालाजी बाजीराव का सम्बन्ध है। 1705 ई. में रघुजी भोसले की मध्यस्थता के कारण राजाराम तथा पेशवा के बीच संगोला की सन्धि हुई। इस सन्धि के द्वारा मराठा छत्रपति केवल नाम मात्र के राजा रह गए। मराठा संगठन का वास्तविक नेता पेशवा (वंशानुगत) बन गया तथा मराठा राजनीति का केन्द्र अब पूना हो गया। |
406. अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु किस वर्ष हुई? (a) 1792 (b) 1793 (c) 1794 (d) 1795 |
उत्तर- (d) व्याख्या— अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु 1795 ई. में हुई थी। यह इन्दौर के होल्कर शासक मल्हार राव (1728-1764 ई.) की पुत्रवधु थी। इसके पुत्र खाण्डेराव (अहिल्या का पति) का निधन उसके जीवनकाल में ही हो गया था, अतः मल्हार राव की मृत्यु के बाद राज्य की बागडोर अहिल्याबाई के कन्धों पर आ गई। वह एक उदार, कुशल तथा प्रजावत्सल शासिका सिद्ध हुई। उसने कई धर्मशालाएँ व मन्दिर बनवाए। कलकत्ता से बनारस तक की सड़क, गया में विष्णु मन्दिर, बनारस में अन्नपूर्णा मन्दिर आदि उसी ने बनवाए थे। उसके इकलौते पुत्र मल्लेराव का 1766 ई. में ही निधन हो गया। अहिल्याबाई की मृत्यु के पश्चात् उसका सेनापति तुकोजी होल्कर गद्दी पर बैठा। |
407. गुरु गोविन्द सिंह की हत्या 1708 ई. में इस जगह हुई- (a) अमृतसर (b) कीरतपुर (c) नान्देड़ (d) आनन्दपुर |
उत्तर-(c) व्याख्या – गुरु गोविन्द सिंह की हत्या 1708 ई. में नान्देड़ में हुई थी। गुरु गोविन्द सिंह सिखों के दसवें व अन्तिम गुरु थे, जिन्होंने सिखों को किसान से सशक्त शक्ति के रूप में परिणत कर दिया 1675 ई. में गद्दी पर बैठे और उन्होंने अपने पिता के हत्यारे औरंगजेब से जीवन भर संघर्ष का संकल्प लिया। 1699 ई. में आनन्दपुर साहिब में एक सिख सभा बुलाकर (खालसा) की स्थापना की तथा सिखों को सैनिक सम्प्रदाय के रूप में परिणत कर दिया। उन्होंने पाहुल प्रथा प्रारम्भ की, जिसमें सिख जाति बन्धन क्षीण करने के उद्देश्य से एक कटोरे में अमृत पान करते थे। इन्होंने पाँच मकार का नियम बनाया अर्थात् प्रत्येक सिख हेतु कड़ा, कंघा, कृपाण, केश तथा कच्छ (जांघिया) धारण करना अनिवार्य कर दिया। उन्होंने सिखों के तम्बाकू सेवन पर भी प्रतिबन्ध लगाया। 1708 ई. में नान्देड़ में एक पठान ने छुरा घोंपकर इनकी हत्या कर दी। |
408. मीर कासिम ने अपना दरबार कलकत्ता से इस स्थान को स्थानान्तरित किया- (a) पटना (b) ढाका (c) मुंगेर (d) पूर्णिया |
उत्तर-(c) व्याख्या- मीर कासिम ने अपना दरबार कलकत्ता से मुंगेर को स्थानान्तरित किया। कम्पनी तथा उसके अधिकारियों को भरपूर मात्रा में धन देकर मीर कासिम अंग्रेजों के हस्तक्षेप से बचने के लिए शीघ्र ही अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानान्तरित कर लिया। |
409. सूरत की सन्धि अंग्रेजों और निम्नलिखित मराठा सरदार के बीच हुई थी- (a) नारायण राव (b) माधव राव (c) नाना फड़नवीस (d) राघोबा |
उत्तर- (d) व्याख्या-1775 ई. मं रघुनाथ राव (राघोबा) तथा अंग्रेजों के मध्य सूरत की सन्धि हुई। इसी सन्धि के फलस्वरूप प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध हुआ। |
410. फ्रेन्च ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना इस साल हुई- (a) 1664 ई. (c) 1656 ई. (b) 1660 ई. (d) 1680 ई. |
उत्तर- (a) व्याख्या-फ्रांस के सम्राट (लुई चौदहवें के मन्त्री कोलबर्ट के अनुरोध पर 1664 ई. में भारत में फ्रांसीसी व्यापारिक—कम्पने डेस इण्डेस ओरियन्टलेस (Compange Des Indes Orientals) की स्थापना हुई। कोलबर्ट सामुद्रिक व्यापार के द्वारा फ्रांस की आर्थिक प्रगति करने के प्रति बड़ा उत्सुक था। फ्रांस की व्यापारिक कम्पनी को राज्य द्वारा विशेषाधिकार तथा वित्तीय संसाधन प्राप्त था। इसलिए इसे एक सरकारी व्यापारी कम्पनी कहा जाता था। |
411. ला बूदोंने इस स्थान का गवर्नर था— (a) मद्रास (b) पॉण्डिचेरी (c) मॉरीशस (d) इनमें से कोई नहीं |
उत्तर-(b) व्याख्या-ला बूदोंने पॉण्डिचेरी का गवर्नर था। |
412. वाण्डिवाश का युद्ध इन दोनों के बीच लड़ा गया- (a) अंग्रेजों और फ्रांसीसियों (b) अंग्रेजों और मराठों (c) अंग्रेजों और कर्नाटक का नवाब (d) अंग्रेजों और हैदर अली |
उत्तर- (a) व्याख्या- वाण्डिवाश का युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच लड़ा गया था। 1760 ई. में अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के बीच वाण्डिवाश का युद्ध लड़ा गया था। वाण्डिवाश के युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व आयरकूट ने तथा फ्रांसीसियों का नेतृत्व लाली ने किया। अन्ततः फ्रांसीसी पराजित हुए। बुसी को अंग्रेजी सेना ने कैद कर लिया तथा लाली पॉण्डिचेरी भाग गया। यद्यपि लाली ने मैसूर के हैदरअली से सन्धि की, किन्तु कोई व्यावहारिक परिणाम सामने नहीं आए। 1761 ई. में ही अंग्रेजों से फ्रांसीसियों से पॉण्डिचोरी को छीन लिया। उसके पश्चात् जिन्जी तथा माही पर भी अंग्रेजों का कब्जा हो गया। |
413. विड्डेरा के युद्ध में अंग्रेजों ने किसकी शक्ति को कुचल डाला ? (a) फ्रांसीसी (b) डच (c) पुर्तगाली (d) डेनमार्की |
उत्तर-(b)व्याख्या – 1795 ई. में अंग्रेजों ने डचों को पूरी तरह से बाहर कर दिया। डचों के पतन के कारणों में अंग्रेजों की तुलना में नौशक्ति का कमजोर होना, मसालों के द्वीपों पर अधिक ध्यान देना, बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति, अत्यधिक केन्द्रीयकरण की नीति आदि को गिना जाता है। इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व क्लाइव ने किया था। |
414. कार्नवालिस ने टीपू सुल्तान के विरुद्ध जो त्रिदलीय गुट बनाया था उसमें ये थे— (a) अंग्रेज, निजाम और मराठे (b) अंग्रेज, निजाम और अवध (c) अंग्रेज, निजाम और कर्नाटक (d) अंग्रेज, मराठे और कर्नाटक |
उत्तर- (a) व्याख्या – कार्नवालिस ने टीपू सुल्तान के विरुद्ध जो त्रिदलीय गुट बनाया था उसमें अंग्रेज, निजाम और मराठे शामिल थे। कार्नवालिस ने जून, 1790 में मराठों के साथ तथा 4 जुलाई, 1790 को निजाम के साथ मैत्री सन्धि पर हस्ताक्षर कर दोनों को सैन्य सहयोग करने के लिए बाध्य किया। इस सन्धि को (त्रिगुट) सन्धि भी कहा गया। |
415. द्वितीय सिख युद्ध में निर्णायक युद्ध इस स्थान पर हुआ था- (a) चिलियांवाला (b) पेशावर (c) गुजरात (d) मुल्तान |
उत्तर-(c)व्याख्या-द्वितीय सिख युद्ध में निर्णायक युद्ध गुजरात में लड़ा गया था। इस युद्ध में चार्ल्स नेपियर ने सिख सेना को 21 फरवरी, 1849 क गुजरात युद्ध में बुरी तरह परास्त किया। गुजरात युद्ध को ‘तोपों का युद्धके नाम से जाना जाता है। चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में लड़ा गया यह युद्ध निर्णायक रहा तथा पंजाब ने पूरी तरह से आत्मसर्पण कर दिया। 30 मार्च, 1849 को डलहौजी ने पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। |
416. तीसरे मराठा युद्ध में अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय को इस युद्ध में हराया- (a) महीदपुर (b) सीताबर्डी (c) किरकी (d) बेसीन |
उत्तर-(c) व्याख्या- तीसरे मराठा युद्ध में अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय को किरकी के युद्ध में हराया था। तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध अन्तिम रूप से लार्ड हेस्टिंग्स के भारत गवर्नर जनरल बनकर आने पर लड़ा गया। जून, 1817 में अंग्रेजों ने पेशवा से ‘पूना की सन्धि‘ की, जिसके तहत पेशवा ने मराठा संघ की अध्यक्षता त्यागी। इन सन्धियों के पहले ही सम्पन्न हो गई, 1816 ई. की नागपुर की सन्धि भोंसले ने अब स्वीकार कर ली। कालान्तर में सन्धि का उल्लंघन करते हुए पेशवा, भोंसले एवं होल्कर ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की। परिणामस्वरूप किर्की में पेशवा, सीताबर्डी में भोसले एवं महीदपुर में होल्कर की सेनाओं को “अंग्रेजी सेना ने बुरी तरह पराजित किया। इन संघर्षो के बाद मराठों की सैन्य शक्ति समाप्त हो गई। |
417. श्रीरंगपट्टम की सन्धि इस साल हुई— (a) 1791 (b) 1792 (c) 1793 (d) 1794 |
उत्तर-(b) व्याख्या— श्रीरंगपट्टम की सन्धि 1792 ई. में टीपू सुल्तान एवं अंग्रेजों के मध्य हुई थी। सन्धि की शर्तों के अनुसार टीपू को अपना आधा राज्य तथा तीन करोड़ रुपए युद्ध की क्षतिपूर्ति के लिए देना था, साथ ही जब तक रुपयों का भुगतान न कर दे तब तक अपने दो पुत्रों को कार्नवालिस के शिविर में शरीर बन्धक के रूप में रखना था। इसके अन्तर्गत अंग्रेजों को बारामहल, डिंडीगुल तथा मालाबार तथा मराठों को तुंगभद्रा नदी के उत्तर का भाग और निजाम को पन्नार तथा कृष्णा नदी के बीच का भाग मिला। इस सन्धि ने मैसूर को आर्थिक एवं सामरिक रूप से कमजोर कर दिया। टीपू के लिए अब अंग्रेजों से मैसूर को बचाए रखना असम्भव हो गया। |
418. हड़प के सिद्धान्त के अन्तर्गत डलहौजी द्वारा निम्नलिखित में से किस राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल नहीं किया गया था ? (a) बघाट (b) नागपुर (c) सम्बलपुर (d) बनारस |
उत्तर- (d) व्याख्या- हड़प के सिद्धान्त के अन्तर्गत डलहौजी द्वारा बनारस राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल नहीं किया गया था। डलहौजी ने व्यपगत सिद्धान्त द्वारा साम्राज्य में मिलाए गए राज्य सतारा-1848, जैतपुर, सम्भलपुर- 1849, बघाट-1850, उदयपुर-1852, झाँसी 1853, नागपुर-1854 |
419. निम्नलिखित अधिकारी का सम्बन्ध ठगी के दमन से था- (a) हेस्टिंग्स (b) स्लीमेन (c) बैटिंक (d) ऑकलैण्ड |
उत्तर-(c) ● व्याख्या – गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैटिंक (1828-37 ई.) का सम्बन्ध ठगी के दमन से था। बैटिंक के समय में उगी प्रथा का प्रचलन भी जोरों पर था। चोरों, डाकुओं व हत्यारों के समूह को ठग कहा जाता था, जो प्रायः निर्दोष तथा आरक्षित व्यक्तियों को लूटा करते थे। ठगी के कार्य में लिप्त ये लोग अवध से हैदराबाद, राजपूताना तथा बुन्देलखण्ड तक सक्रिय थे। बैटिंक ने कर्नल स्लीमन तथा स्थानीय रियायतों की मदद सन् 1850 ई. में ठगी प्रथा समाप्त करने हेतु अभियान छेड़ा। इस प्रकार 1857 ई. के पश्चात् संगठित रूप से ठगों का अन्त हो गया। |
420. निम्नलिखित में से कौन-सा ब्रिटिश अधिकारी अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं था ? (a) हयुम (b) नेपियर (c) ह्यूरोज (d) स्लीमन उत्तर- (d) व्याख्या-ब्रिटिश अधिकारी स्लीमन अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं था। 1848 ई. में कर्नल स्लीमन को लखनऊ में रेजीडेन्ट के रूप में भेजा गया। स्लीमन ने कुशासन के विस्तृत विवरण भेजे, परन्तु स्लीमन अवध के विलय के पक्ष में नहीं था। वह चाहता था कि प्रशासन का अधिक से अधिक कार्य अंग्रेजों द्वारा ही चलाया जाए। |
421. चार्ल्स मेटकाफ इन दिनों भारत का गवर्नर-जनरल रहा- (a) 1835-36 (b) 1839-40 (c) 1837-38 (d) 1832-33 |
उत्तर- (a)व्याख्या- चार्ल्स मेटकाफ का शासन काल 1835-36 ई. था। मात्र एक वर्ष तक भारत के गवर्नर-जनरल के पद पर कार्य करने वाले चार्ल्स मेटकाफ को प्रेस से नियन्त्रण हटाने के लिए याद किया जाता है। |
422. सिन्ध पर नीचे लिखे गवर्नर-जनरल के समय आक्रमण किया गया- (a) लॉर्ड ऑकलैण्ड (c) लॉर्ड हार्डिंग (b) लॉर्ड एलनबरो (d) लॉर्ड डलहौजी |
उत्तर-(b) व्याख्या— लॉर्ड एलनबरो के समय सिन्ध पर आक्रमण किया गया था। 1842 ई. में एलनबरो की भारत के गवर्नर-जनरल के पद पर नियुक्ति हुई। उसके समय में प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध समाप्त हुआ। सिन्ध को अगस्त, 1843 में पूर्ण रूप से ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। चाल्स नेपियर ने कहा कि सिन्ध विजय एक एकाकी घटना नहीं थी, यह तो अफगान तूफान की पूँछ थी। सिन्ध का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय ही अफगान संघर्ष का परिणाम था। |
423. द्वितीय बर्मा युद्ध निम्नलिखित वर्ष में लड़ा गया— (a) 1849 (b) 1850 (c) 1851 (d) 1852 |
उत्तर- (d) व्याख्या द्वितीय वर्मा युद्ध 1852 ई. में लड़ा गया था। प्रथम आंग्ल- वर्मा युद्ध सीमा विवाद का परिणाम था, तो दूसरा आंग्ल- वर्मा युद्ध अंग्रेजों की व्यापारिक नीतियों एवं डलहौजी की साम्राज्यवादी प्रकृतियों का परिणाम था। इस समय लॉर्ड डलहौजी भारत के गवर्नर जनरल के पद पर था। |
424. निम्नलिखित जोड़ियों में से कौन-सी सही सुमेलित नहीं है? (a) रैयतवाड़ी बन्दोबस्त –मद्रास (b) तालुकदारी बन्दोवस्त –बम्बई (c) स्थायी बन्दोवस्त– बंगाल (d) महलवाड़ी बन्दोबस्तउत्तर–पश्चिम प्रान्त |
उत्तर-(b) व्याख्या-सही सुमेलन इस प्रकार है (a) रैयतवाड़ी बन्दोबस्त -मद्रास, बम्बई, असम (b) तालुकदारी बन्दोबस्त –नेपाल, दक्षिण भारत (डेक्कन प्रदेश) (c) स्थायी बन्दोबस्त- बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बनारस (d) महलवाड़ी बन्दोवस्त -उत्तर प्रदेश, मध्य प्रान्त, पंजाब, उत्तर-पश्चिमी प्रान्त |
425. भारत में ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत ग्रामीण ऋणग्रस्तता (Rural Indebtedness) की क्रमिक वृद्धि का कारण था- 1. भूमि जोत का विखण्डन 2. कुटीर उद्योगों का पतन 3. सिंचाई सुविधाओं के विकास का अभाव 4. नगदी फसलों का चलन (a) 1, 2 और 3 (b) 2 और 4 (c) 1, 3 और 4 (d) 1,2,3 और 4 उपरोक्त में से कौन-सा सही है? |
उत्तर- (d) व्याख्या- भारत में ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत ग्रामीण ऋणग्रस्तता की क्रमिक वृद्धि का कारण भूमि जोत का विखण्डन, कुटीर उद्योगों का पतन, सिंचाई सुविधाओं के विकास का अभाव एवं नगदी फसलों का चलन आदि करण थे। |
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