History MCQ/ G.K. Free Practice Set -20 # इतिहास अभ्यास प्रश्न सेट-20

History MCQइतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं

History Practice set

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History MCQ Free Practice Set -20 (476-500)

476. मुर्शिद कुली खाँ की मुत्यु कब हुई ?  

(a) 1717 ई.
(b) 1722 ई.
(c) 1727 ई.
(d) 1731 ई.
उत्तर-(c)  व्याख्या – मुर्शिद कुली खाँ की मृत्यु 1727 ई. में हुई थी। यह बंगाल के स्वतन्त्र राज्य का संस्थापक था। वह पहले दक्षिण भारतीय ब्राह्मण था, तथा बाद में मुसलमान बन गया था। औरंगजेब ने 1700 ई. में इसे बंगाल का सूबेदार बनाया। 1717 ई. में यह बंगाल का स्वतन्त्र शासक बना लेकिन मुगल शासक को मान्यता दी, 1719 ई. में फर्रुखसियर ने इसे उड़ीसा का भी राज्यपाल बना दिया। इसने अपनी राजधानी ढाका से ‘मुर्शिदाबाद’ स्थानान्तरित की। इसके समय में अनेक जमींदारों; जैसे—सीताराम राय, उदित नारायण तथा गुलाम अहमद ने विद्रोह किया जिसे मुर्शिद कुली खाँ ने दबाया। इसने विदेशी व्यापारियों पर कड़ा नियन्त्रण लगाया तथा 1691 ई. का औरंगजेब का तथा 1717 ई. के फर्रुखसियर के फरमानों (दस्तक) के दुरुपयोग पर रोक लगाई।
477. भारत में भागवत धर्म का सबसे पहला अभिलेखीय प्रमाण मिलता है-  

(a) राजा सर्वतात के घोसुन्डि प्रस्तर अभिलेख से
(b) हेलिओडोरस के बेसनगर अभिलेख से
(c) सातवाहन रानी नागनिका के नानाघाट गुफा अभिलेख से
(d) चन्द्र के मेहरौली स्तम्भ अभिलेख से
उत्तर—(b) व्याख्या- भारत में भागवत धर्म का सबसे पहला अभिलेखीय प्रमाण हेलिओडोरस के बेसनगर अभिलेख से मिलता है। बेसनगर (विदिशा) से प्राप्त अभिलेख तत्कालीन स्थिति की जानकारी का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसे यूनानी राजदूत हेलियोडोरस ने उत्कीर्ण करवाया था, जिसे यवन शासक एण्टिअल्कीड्स ने भेजा था जो तक्षशिला पर शासन कर रहा था। हेलियोडोरस ने अपने बेसनगर के स्तम्भ लेख में काशीपुत्र भागभद्र नामक शुंग नरेश का उल्लेख किया है, जिसकी पहचान भद्रक से की जाती है। हेलियोडोरस ने स्वयं को भागवत कहकर पुकारा है, जिसमें उसके भागवत धर्म का अनुयायी होने के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है। इस अभिलेख को देवों के देव वासुदेव को समर्पित किया गया अभिलेख से यूनानियों पर भारत के धार्मिक संघात के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
478. ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि किसने ग्रहण की थी ?  

(a) समुद्रगुप्त
(b) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(c) कनिष्क
(d) अशोक  
उत्तर-(b) व्याख्या- ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ग्रहण की थी। यह समुद्रगुप्त का पुत्र था। इतिहासकारों के अनुसार वह अपने भाई रामगुप्त को हटाकर गद्दी पर बैठा था, तथा अपनी भाभी ध्रुवदेवी के साथ विवाह किया, किन्तु यह विवादित मत है। उसने विक्रमादित्य के अलावा देवराण, देवगुप्त आदि उपाधियाँ ग्रहण की। उसने नागवंशीय राजकुमारी कुबेरनागा तथा कदम्ब नरेश काकुस्थवर्मन की पुत्री से विवाह किया। उसने गजों का दमन किया तथा हिन्दुकुश पर्वत के वाहिकों पर विजय प्राप्त की। उसने वाकाटक राजकुमार रुद्रसेन द्वितीय के साथ अपनी पुत्री प्रभावती का विवाह किया तथा रुद्रसेन की मृत्यु के बाद वाकाटक राज्य अप्रत्यक्ष रूप से गुप्त प्रभाव में आ गया। उसने वाकाटकों के सहयोग से शक शासक रुद्र सिंह तृतीय को परास्त कर भारत से शकों का उन्मूलन कर दिया। इस उपलक्ष्य में उसने शाकारी की उपाधि ग्रहण की तथा चाँदी के सिक्के चलाए। उसने अश्वमेघ यज्ञ किया। वह वैष्णव धर्म का अनुयायी था तथा उसने कला व साहित्य को संरक्षण दिया। विख्यात कवि व नाटककार कालिदास सम्भवतः उसी के दरबार में रहता था। चीनी यात्री फाह्यान भी उसी के शासनकाल में भारत की यात्रा पर आया था। इस प्रकार उसका शासनकाल वैभव विकास का था तथा बहुत कुछ हद तक, गुप्तकाल को प्राचीन भारत का स्वर्णकाल कहा जाता है।
479. ‘हर्षचरित’ के लेखक कौन थे ?  

(a) बाणभट्ट
(b) कालिदास
(c) ह्वेनसांग
(d) कौटिल्य  
उत्तर- (a) व्याख्या- ‘हर्षचरित’ के लेखक बाणभट्ट थे। बाणभट्ट गद्य साहित्य के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं। वह कन्नौज के शासक हर्षवर्धन का दरबारी विद्वान् था। उसने अनेक ग्रन्थों की रचना की। बाण ने ‘हर्षचरित’ नामक ग्रन्थ में हर्ष की जीवनी लिखी, जिसमें ऐतिहासिकता के साथ कवि की कल्पना का भी समावेश है। कादम्बरी बाणभट्ट की विख्यात रचना है। इसका अधिकांश भाग बाण ने तथा कुछ बाण की मृत्यु के बाद उसके पुत्र पुलिन्द ने लिखा। इस ग्रन्थ का चरित्र चित्रण तथा प्रकृति वर्णन अनूठा है। उपमा उत्प्रेक्षा, श्लेष, विरोधाभास, परिसंख्या आदि विभिन्न अलंकारों के प्रयोग द्वारा बाण ने अपने विवरण को अत्यधिक रोचक बना दिया है। पार्वती परिणय तथा चण्डीशतक आदि उसकी अन्य विख्यात रचनाएँ हैं।
480. निम्नलिखित शासकों में किस एक ने उच्चाधिकारियों को भरण-पोषण के लिए भूमि अनुदान दिया ?  

(a) बिम्बिसार
(b) चन्द्रगुप्त मौर्य
(c) अशोक
(d) हर्षवर्द्धन  
उत्तर- (d) व्याख्या- हर्षवर्द्धन के शासन में उच्चाधिकारियों को भरण-पोषण के लिए भूमि अनुदान दिया जाता था। हर्ष पुष्यभूति वंश तथा उत्तर भारत का अन्तिम महान् हिन्दू शासक था। यह लीलादित्य के नाम से भी विख्यात है। यह विकट परिस्थितियों में गद्दी पर बैठा। उसने शासन के आरम्भिक वर्षों में पंच प्रदेशों (पंजाब कन्नौज, बंगाल, बिहार व उड़ीसा)पर विजय प्राप्त की। उसने वल्लभी नरेश ध्रुवसेन द्वितीय को ‘परास्त कर अपने अधीन किया, किन्तु बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय के हाथों उसे परास्त होना पड़ा। हर्ष एक योग्य एवं जनकल्याणकारी शासक था। उसने न्याय व्यवस्था को कड़ा बनाया तथा सैन्य प्रबन्ध में सुधार किए। भूमिकर उपज का 1/6 भाग लिया जाता था। उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था।
481. ‘नालन्दा बौद्ध विहार’ का निर्माण किसने कराया था ?  

(a) कुमार गुप्त प्रथम
(b) कुमार गुप्त द्वितीय
(c) स्कन्द गुप्त
(d) बुद्ध गुप्त  
उत्तर- (a)• व्याख्या- ‘नालन्दा बौद्ध विहार’ का निर्माण कुमार गुप्त प्रथम ने कराया था। यह चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की मृत्यु के बाद 414 ई. में गुप्त साम्राज्य का शासक बना। उसके समय में यद्यपि गुप्त साम्राज्य का विस्तार नहीं हुआ, तथापि वह विरासत में प्राप्त साम्राज्य में शान्ति व्यवस्था बनाए रखने में सफल रहा। मन्दसौर अभिलेख से पता चलता है कि वह चारों समुद्रों की चंचल लहरों से घिरी पृथ्वी पर शासन करता था। कुमार गुप्त के शासनकाल के अन्तिम वर्षों में पुष्यमित्रों तथा हूणों के भीषण आक्रमण हुए, किन्तु युवराज स्कन्दगुप्त ने उन्हें सफलतापूर्वक पराजित किया। उसने अश्वमेघ यज्ञ करवाया तथा श्री अश्वमेघ महेन्द्र की उपाधि धारण की। उसके समय में कई मन्दिरों तथा मूर्तियों का निर्माण हुआ। उसने अनेक प्रकार के सिक्के चलाए । कार्तिकेय का अंकन सिर्फ कुमारगुप्त के सिक्कों पर ही मिलता है। वह वैष्णव धर्म का उपासक था। तथापि जैन व बौद्ध धर्मों के प्रति उसने सहिष्णु व्यवहार किया। बाद में उसने सम्भवतः विष्णु के स्थान पर कार्तिकेय को अपना इष्ट बना लिया। उसने नालन्दा में एक विहार की स्थापना करवाई थी, जो आगे चलकर नालन्दा विश्वविद्यालय के नाम से विख्यात हुआ। 455 ई. में उसकी मृत्यु हो गई तथा स्कन्दगुप्त गद्दी पर बैठा।
482. सोमनाथ का मन्दिर, जिसे महमूद गजनी ने ध्वंस किया था, किस देवता से सम्बन्धित है ?  

(a) विष्णु
(b) शिव
(c) सूर्य
(d) कृष्ण  
उत्तर-(b) व्याख्या – सोमनाथ का मन्दिर, जिसे महमूद गजनी ने ध्वंस किया था, शिव से सम्बन्धित है। यह महमूद का 1025-26 ई. में किया गया        
483. दिल्ली सल्तनत का पहला सम्प्रभु शासक था-  

(a) कुतुबुद्दीन ऐबक
(b) आराम शाह
(c) इल्तुतमिश
(d) नासिरुद्दीन मुहम्मद  
उत्तर-(c) व्याख्या- दिल्ली सल्तनत का पहला सम्प्रभु शासक इल्तुतमिश था। यह सल्तनत काल के श्रेष्ठ शासकों में एक था। यह अपनी योग्यता के बल पर उन्नति करता गया। ऐबक ने इसे अपना दामाद बनाया था, तथा बदायूँ का सूबेदार बनाया। ऐबक की मृत्यु के बाद उसका निकम्मा पुत्र आरामशाह गद्दी पर बैठा अतः दिल्ली के सरदारों के नियन्त्रण पर इल्तुतमिश ने आरामशाह को परास्त किया तथा 1211 ई. में गद्दी पर बैठा व इल्बरी वंश की स्थापना की। आरम्भ में उसे कुतुबी, मुअज्जी सैन्य अभियान था। इस सैन्य अभियान का उल्लेख उत्बी ने किया है। यह मूर्ति संसार की आश्चर्यजनक मूर्तियों में से थी। महमूद की सोमनाथ विजय को सामयिक तथा परवर्ती लेखकों ने मूर्ति-पूजा पर इस्लाम की सबसे बड़ी विजय के रूप में वर्णित किया। इल्तुतमिश को सरदारों के विद्रोह का सामना करना पड़ा, किन्तु उसने सफलतापूर्वक इनका दमन कर दिया। उसने अपनी स्थिति सुदृढ़ करने हेतु 40 गुलामों का एक दल बनाया जिसे ‘तुर्क-ए-चहलगानी’ कहा गया। 1215 ई. में उसने अपने प्रबल प्रतिद्वन्द्वी ताजुद्दीन यल्दौज को तराइन के मैदान में परास्त कर मार डाला तथा 1217 ई. व 1227 ई. में नासिरुद्दीन कुबाचा को परास्त कर उसके राज्य पर अधिकार कर लिया था। उसे 1229 ई. में बगदाद के खलीफा ने ‘खिलअत’ प्रदान की तथा ‘नासिर- अमीर उल मोमनीन’ की उपाधि दी, जिससे उसकी प्रतिष्ठा बढ़ी। वह शुद्ध अरबी सिक्के चलाने वाला प्रथम सुल्तान था। उसने लाहौर के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाया, इक्ता का प्रचलन किया। उसके दरबार में मिनहाज-उस- सिराज तथा मलिक दाजुद्दीन आदि विद्वान् थे। वस्तुतः वह एक योग्य सुल्तान था।
484. इनमें से कौन-सा शहर फिरोजशाह तुगलक द्वारा नहीं स्थापित किया गया ?  

(a) फतेहाबाद
(b) जौनपुर
(c) फतेहपुर
(d) हिसार  
उत्तर-(c) व्याख्या-फतेहपुर शहर फिरोजशाह तुगलक द्वारा स्थापित नहीं किया गया था। फिरोजशाह तुगलक ने हिसार, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, फिरोजपुर, जौनपुर इत्यादि नामक शहर की स्थापना की गई थी। नगर एवं सार्वजनिक निर्माण कार्यों के अन्तर्गत सुल्तान ने लगभग 300 नये नगरों की स्थापना की थी।
485. दक्षिण विजय के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने किसे भेजा ?  

(a) मलिक काफूर
(b) उलूग खाँ
(c) गाजी मलिक
(d) इनमें से कोई नहीं  
उत्तर- (a) व्याख्या-दक्षिण विजय के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक काफूर को भेजा। यह अलाउद्दीन खिलजी का एक योग्य सेनानायक था। वह नपुंसक था। उसे अलाउद्दीन की सेनाओं के गुजरात आक्रमण के दौरान एक हजार दीनार में खरीदा था। उसे ‘हजार दीनारी’ भी कहा गया है। अलाउद्दीन के सम्पर्क में आने के बाद मलिक काफूर ने, जो पहले एक हिन्दू था, मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया। सुल्तान ने उसे सेना में उच्च पद प्रदान किया तथा वह शीघ्र ही सेनापति बन गया। अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का श्रेय काफी अंशों में मलिक काफूर को ही है। उसके नेतृत्व में मुस्लिम सेनाओं ने देवगिरि (1306 ई.), वारंगल (1309 ई.), द्वारसमुद्र ( 1310 ई.), मालाबार ( 1311 ई.) तथा देवगिरि (1313 ई.) पर विजय प्राप्त की। यह सुल्तान अलाउद्दीन का बड़ा विश्वस्त था। 2 जनवरी, 1316 ई. को अलाउद्दीन की मृत्यु हो गई। अब शासन की वास्तविक शक्ति मलिक काफूर के हाथों में आ गई, तथा वह अलाउद्दीन के 6 वर्षीय पुत्र शिहाबुद्दीन उमर को गद्दी पर बैठाकर शासन का संचालन करने लगा। उसने उमर की माँ के साथ विवाह कर लिया। मलिका को महल से बाहर निकाल दिया तथा खिज्र खाँ व शादी खाँ को अन्धा कर दिया। अतः क्रुद्ध होकर कुछ सैनिकों ने 6 फरवरी, 1316 ई. को उसकी हत्या कर दी।
486. पढ़ा-लिखा मूर्ख सुल्तान था—  

(a) फिरोज तुगलक
(b) जलालुद्दीन खिलजी
(c) इब्राहिम लोदी
(d) मुहम्मद तुगलक  
उत्तर- (d) व्याख्या- मुहम्मद तुगलक को पढ़ा-लिखा मूर्ख सुल्तान कहा जाता था। मुहम्मद तुगलक मध्यकालीन भारत का सर्वाधिक विवादित सुल्तान था। उसका मूल नाम जौना खाँ था। युवराज के रूप में उसने वारंगल तथा उड़ीसा पर शानदार विजय प्राप्त की थी। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् वह गद्दी पर बैठा। उसे ‘अपने युग का अरस्तू’ व ‘शैतान का हाथी’ कहा गया है। वह इतिहास में अपनी प्रशासनिक योजनाओं के लिए विख्यात है। उसने दिल्ली के स्थान पर दौलताबाद को अपनी राजधानी बनाया। दोआब में कर वृद्धि की, ताँबे की सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन किया, कृषि के विकास हेतु दीवान-ए-कोही विभाग की स्थापना की। खुरासान विजय हेतु एक वर्ष तक विशाल सेना को वेतन दिया जो व्यर्थ रहा। कराचिल पर विजय हेतु एक लाख सैनिकों की सेना भेजी जिसमें मात्र 10 सैनिक जीवित लौटे। उसके शासनकाल में 1333 ई. में अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता भारत आया था। सुल्तान ने उसका स्वागत किया तथा दिल्ली का काजी नियुक्त किया। उसका नाम कई संज्ञाओं से जोड़ा गया- “अन्तर्विरोधी का विस्मयकारी मिश्रण” “रक्त का प्यासा अथवा परोपकारी” आदि।
487. निम्नलिखित में से कौन-सा शासक नृत्य और संगीत में निपुण था ?

(a) आदिलशाह सूर
(b) बाबर
(c) अकबर
(d) जहाँगीर
उत्तर- (a)  
488. बुलन्द दरवाजा किसने बनवाया ?

(a) अकबर
(b) जहाँगीर
(c) शाहजहाँ
(d) हुमायूँ
उत्तर- (a) व्याख्या – बुलन्द दरवाजा अकबर ने बनवाया था। अपनी गुजरात विजय की स्मृति में अकबर ने फतेहपुर सीकरी की जामा मस्जिद के दक्षिणी द्वार पर 134 फीट ऊँचा एक बुलन्द दरवाजा बनवाया जिसके निर्माण में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है। यह ईरान से ली गई ‘अर्द्ध-गुम्बदीय शैली’ में बना है।
489. अकबर कालीन सर्वश्रेष्ठ गायक था-

(a) तानसेन
(b) बाबा रामदास
(d) दीपक मण्डल
(c) मेघ  
उत्तर- (a) व्याख्या- अकबर कालीन सर्वश्रेष्ठ गायक तानसेन था। यह अकबर के नवरत्नों में से एक था। उसके बारे में अबुल फजल ने अपने ग्रन्थ ‘आइने अकबरी’ में लिखा है, “उस जैसा संगीतकार पिछले एक हजार वर्षों में पैदा नहीं हुआ।” उसका जन्म ग्वालियर में हुआ था। पहले वह रीवा के महाराजा की सेवा में नियुक्त था, किन्तु बाद में अकबर के दरबार में आ गया। उसने अनेक नवीन रागों का निर्माण किया। ‘ध्रुपद’ गायन शैली का विकास किया। उसने कई संगीत ग्रन्थों की रचना की. जिनमें मियां की ठोड़ी, मियां की सारंग, मियां की मल्हार, दरबारी कान्हड़ा आदि प्रमुख हैं। अकबर ने उसे ‘कण्ठाभरण वाणी विलास’ की उपाधि प्रदान की थी। सम्भवत: वह इस्लाम ग्रहण कर मुसलमान बन गया था।
490. पोलज क्या था ?  

(a) व्यापार की एक श्रेणी
(b) दासों की एक श्रेणी
(c) भूमि की एक श्रेणी
(d) कृषकों की एक श्रेणी  
उत्तर-(c) व्याख्या – पोलज भूमि की एक श्रेणी थी। पोलज में एक वर्ष में दो फसलें काटी जाती थीं। भू-राजस्व निर्धारण के लिए अकबर ने भूमि का वर्गीकरण चार भागों में किया था। जो इस प्रकार हैं- 1. पोलज – जिस पर हर वर्ष खेती होती थी 2. परती -जब भूमि पर बुआई न करके उसे फिर उर्वरता प्राप्त करने के लिए बिना बोए छोड़ दिया जाता था, वह परती कहलाती थी। 3. चाचर – जिसे तीन-चार वर्षों तक बिना बोए छोड़ा जाता था। 4. बंजर – यह चार-पाँच वर्षों या उससे अधिक समय तक बिना बोए पड़ी रहती थी।
491. ताजमहल किसकी याद में बनवाया गया ?

(a) मुमताज महल
(b) जहाँगीर
(c) नूरजहाँ
(d) ये सभी  
उत्तर- (a)व्याख्या – ताजमहल मुमताज महल की याद में बनवाया गया। यह नूरजहाँ के भाई आसफ खाँ जो राज्य का योग्य व शक्तिशाली सरदार  की पुत्री थी। इसका प्रारम्भिक नाम बानू बेगम था। इसका विवाह 1612 ई. में शाहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) के साथ हुआ था। तत्पश्चात् इसे ‘मुमताज महल’ एवं ‘अर्जुमन्द बानो बेगम’ की उपाधि दी गई। शाहजहाँ को इससे बड़ा प्रेम था। शाहजहाँ एवं मुमताज के 14 बच्चे हुए, जिनमें चार पुत्र (दारा, शुजा, औरंगजेब व मुराद) तथा दो पुत्रियाँ (जहाँआरा व रोशनआरा) जीवित रहीं। 1631 ई. में प्रसव काल के दौरान बुरहानपुर में उसकी मृत्यु हो गई। शाहजहाँ ने उसकी कब्र पर जो स्मारक बनवाया वह ताजमहल के नाम से विख्यात है तथा उसे प्रेम का अनूठा स्मारक कहा गया है।
492. औरंगजेब की मृत्यु कब हुई थी ?

(a) 1707 ई.
(b) 1712 ई
(c) 1708 ई
(d) 1704 ई
उत्तर- (a) व्याख्या – औरंगजेब की मृत्यु 1707 ई. में हुई थी।  
493. अबुल फजल अकबर द्वारा राजस्व वसूल करने का औचित्य ठहराता है, क्योंकि यह —  

(a) सार्वभौमत्व के लिए मुआवजा था
(b) सम्राट का दैवी अधिकार था
(c) सीमाओं की सुरक्षा के लिए सेना के रख-रखाव का खर्च था
(d) सम्राट का वंशागत स्वामित्व अधिकार था
उत्तर- (a) व्याख्या-अबुल फजल अकबर द्वारा राजस्व वसूल करने का औचित्य ठहराता है, क्योंकि यह सर्वभौमत्व के लिए मुआवजा था।
494. अकबर बैरम खाँ की संरक्षकता में रहे-  

(a) 1555 से 1558 ई.
(b) 1556 से 1560 ई.
(c) 1560 से 1564 ई.
(d) 1560 से 1570 ई.
उत्तर-(b) व्याख्या-अकबर बैरम खाँ की संरक्षकता में 1556 से 1560 ई. तक रहे।  
495. जहाँगीर के शासनकाल में निम्नलिखित में से कौन जेम्स प्रथम के दूत के रूप में सूरत में कोठी स्थापित करने में सफल रहे ?

(a) हॉकिन्स
(b) विलियम एडवर्ड
(c) टेरी
(d) टॉमस रो  
उत्तर- (d) व्याख्या— जहाँगीर के शासनकाल में जेम्स प्रथम के दूत के रूप में सूरत में कोठी स्थापित करने में टॉमस रो सफल रहा। यह आगरा में करीब एक वर्ष तक रहा। इस दौरान वह जहाँगीर के निकट सम्पर्क में आया तथा यहाँ तक कि जहाँगीर उसे मद्य गोष्ठियों में भी आमन्त्रित किया करता था। 1618 ई. में जहाँगीर ने अंग्रेजों को भारत में व्यापार करने की अनुमति प्रदान कर दी। 1619 ई. में वह वापस लौट गया। उसने अपना यात्रा वृत्तान्त लिखा, जिसमें जहाँगीर के चरित्र तथा उसकी अभिरुचियों तथा चित्रकला प्रेम, मद्यपान व शिकार सम्बन्धी रुचि आदि पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला है। इसके अलावा उसने जहाँगीर के झरोखा दर्शन, धार्मिक विचारों, मुगल सेना, छावनी आदि का भी विवरण प्रस्तुत किया है। उसने नूरजहाँ जुन्ता, उसके द्वारा रचे गए षड्यन्त्रों, खुसरो का विद्रोह आदि के सम्बन्ध में रोचक वर्णन प्रस्तुत किया है।
496. ‘चौथ’ क्या था ?

(a) राजस्व का भाग 1/4
(b) राजस्व का भाग 1/8
(c) राजस्व का भाग 1/6
(d) राजस्व का भाग 1/10  
उत्तर- (a) व्याख्या-चौथ राजस्व का 1 /4 भाग है। राणाडे के अनुसार ‘चौथ’ सेना के लिए दिया जाने वाला अंशदान मात्र नहीं था अपितु बाह्य शक्ति के आक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने के बदले दिया जाने वाला कर था। सामान्य रूप से ‘चौथ’ मुगल क्षेत्रों की भूमि व पड़ोसी राज्यों की आय का चौथा हिस्सा होता था जिसे वसूल करने के लिए मराठी सेना को उस क्षेत्र पर आक्रमण करना होता था।  
497. शिवाजी के मन्त्रिपरिषद् को कहते थे-

(a) अष्ट मार्ग
(b) त्रिरत्न
(c) अष्ट प्रधान
(d) इनमें से कोई नहीं  
उत्तर-(c) व्याख्या – शिवाजी के मन्त्रिपरिषद् को अष्ट प्रधान कहते थे। प्रत्येक मन्त्री राजा के प्रति उत्तरदायी था, तथा उसके सचिवों के रूप में कार्य करता था। सामान्यत: शिवाजी के मन्त्रियों का कार्य शिवाजी के निर्देशों का पालन करना और अपने विभागों की निगरानी करना मात्र था। शिवाजी का अष्ट प्रधान मन्त्रिपरिषद् इस प्रकार है- 1. पेशवा अथवा मुख्य प्रधान—यह राजा का प्रधानमन्त्री होता था। इसका कार्य सम्पूर्ण राज्य के शासन की देखभाल करना था। राजा की अनुपस्थिति में उसके कार्यों की देखभाल भी करता था। सरकारी पत्रों तथा दस्तावेजों पर राजा नीचे अपनी मुहर लगाता था। 2. अमात्य अथवा मजुमआदार—यह वित्त एवं राजस्व मन्त्री होता था। इसका मुख्य कार्य आय-व्यय के सभी लेखों की जाँच कर उस पर हस्ताक्षर करना होता था। 3. वाकिया नवीस अथवा मन्त्री-राजा के दैनिक कार्यों तथा दरबार की प्रतिदिन की कार्यवाहियों का विवरण रखता था। 4. शुरू- नवीस अथवा सचिव-राजकीय पत्र व्यवहार का कार्य देखना तथा परगनों के हिसाब की जाँच करना आदि। 5. दबीर या सुमन्त—यह विदेश मन्त्री होता था। 6. सेनापति अथवा सर-ए-नौबत सेना की भर्ती, संगठन, रसद आदि का प्रबन्ध इसके प्रमुख कार्य थे। 7. पण्डितराव विद्वानों और धार्मिक कार्यों के लिए दिए जाने वाले अनुदानों का दायित्व निभाता था। 8. न्यायाधीश- यह राजा के बाद मुख्य न्यायाधीश होता था। इसके अधिकार क्षेत्र में राजा के समस्त दीवानी तथा फौजदारी के मामले आते थे।  
498. सालबाई की सन्धि कब हुई ?  

(a) 1752 ई.
(b) 1762 ई.
(c) 1772 ई.
(d) 1782 ई.
उत्तर- (d) व्याख्या – सालबाई की सन्धि 1782 ई. में हुई थी। यह सन्धि अंग्रेज तथा महादजी सिन्धिया के बीच हुई थी। इस सन्धि से प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-1782 ई.) समाप्त हो गया तथा एक-दूसरे के विजित क्षेत्र लौटा दिए गए। पेशवा माधवा नारायण राव और अंग्रेजों के बीच सालबाई की सन्धि सम्पन्न करवाने में महादजी सिन्धिया ने मध्यस्थता की। इस सन्धि का दूरगामी उद्देश्य मराठों और अंग्रेजों के बीच लम्बी शान्ति स्थापित करना था।
499. ‘वाण्डिवाश’ का युद्ध कब हुआ ?  

(a) 1660 ई.
(b) 1700 ई.
(c) 1748 ई.
(d) 1760 ई.  
उत्तर- (d) व्याख्या-1760 ई. में अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के बीच वाण्डिवाश का युद्ध हुआ। वाण्डिवाश के युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व आयरकूट ने किया था तथा फ्रांसीसियों का नेतृत्व लाली ने किया। अन्ततः फ्रांसीसी पराजित हुए। इस युद्ध में बस्सी कैद कर लिया गया तथा लाली पाण्डिचेरी भाग गया। यद्यपि लाली ने मैसूर के हैदर अली से सन्धि की किन्तु कोई व्यावहारिक परिणाम सामने नहीं आए। अंग्रेजों ने जल और थल दोनों मार्गों से पाण्डिचेरी को घेर लिया तथा 16 जनवरी, 1761 को फ्रांसीसी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया।
500. क्लाइव कब भारत आया ?  

(a) 1762 ई.
(b) 1763 ई.
(c) 1764 ई.
(d) 1765 ई.  
उत्तर- (d) व्याख्या -क्लाइव 1765 ई. में भारत आया। रॉबर्ट क्लाइव का जन्म 1725 ई. में हुआ था। वह ईस्ट इण्डिया कम्पनी के क्लर्क के रूप में भारत आया। बाद में वह सैन्य क्षेत्र में आया तथा 26 वर्ष की आयु में कैप्टन बन गया। उसने 1751 ई. में अर्काट का विख्यात घेरा डालकर युद्ध का परिणाम इंग्लैण्ड के पक्ष में कर दिया। 1753 में वह इंग्लैण्ड लौट गया तथा 1755 ई. में वाटसन के साथ वापस आया। उसने घेरिया बन्दरगाह पर समुद्री लुटेरों का दमन किया। जनवरी 1757 ई. में कलकत्ता को नवाब सिराजुद्दौला से छीनकर क्लाइव सर्वेसर्वा हो गया। फरवरी में उसने अलीनगर की सन्धि की तथा मार्च में फ्रांसीसी उपनिवेश चन्द्रनगर को ध्वस्त किया। तत्पश्चात् उसने मीरजाफर, जगत सेठ, अमीचन्द्र आदि के साथ मिलकर एक षड्यन्त्र रचकर 17 जून, 1757 को प्लासी के मैदान में सिराजुद्दौला को परास्त कर बंगाल में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना की। क्लाइव को बंगाल के नए नवाब मीर जाफर से बड़ी मात्रा में उपहार मिले। उसने 1759 ई. में चिनसुरा के युद्ध में डचों को परास्त कर उनका सफाया किया। 1760 से 1765 ई. तक वह इंग्लैण्ड में रहा, 1764 ई. में बक्सर युद्ध में अंग्रेज पुनः विजयी रहे तथा क्लाइव 1765 ई. में भारत आया। उसने इलाहाबाद की सन्धि की तथा मुगल सम्राट से बंगाल, बिहार व उड़ीसा की दीवानी प्राप्त कर बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना की। वह कम्पनी के कर्मचारियों की निजी व्यापार व भ्रष्टाचार को रोकने में विफल रहा। अपितु कुछ सीमा तक स्वयं भी इसमें लिप्त रहा। इंग्लैण्ड में लौटने के बाद क्लाइव पर संसद में आक्षेप लगाए गए, जिससे दुखी होकर उसने 22 नवम्बर, 1774 ई. को आत्महत्या कर ली। वस्तुतः यह जन्मजात जनरल तथा भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक था।  

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