History MCQ–इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं।
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History MCQ/GK Free Practice Set -22 (526-550)
526. ब्राह्मण पिता तथा वैश्य माता से उत्पन्न पुत्र को वर्गीकृत किया जाता था- (a) अम्बष्ठ (b) निषाद (c) कायस्थ (d) व्रत्य |
उत्तर- (a) व्याख्या-ब्राह्मण पिता तथा वैश्य माता से उत्पन्न पुत्र अम्बष्ठ में वर्गीकृत किया जाता था। |
527. भारतीय साम्यवादी दल की स्थापना कब हुई ? (a) 1921 ई. (b) 1922 ई. (c) 1923 ई. (d) 1924 ई. |
उत्तर- (a) व्याख्या- भारतीय साम्यवादी दल की स्थापना 1921 ई. में हुई थी। |
528. दादाभाई नौरोजी ने किस लेख के माध्यम से लोगों का ध्यान ‘धन निष्काषण’ सिद्धान्त की ओर खींचा ? (a) इंग्लैण्ड डेब्ट टू इण्डिया (b) एट्रोसिटीज ऑफ ब्रिटिशर्स (c) इकोनॉमिक पॉवर्टी (d) इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इण्डिया |
उत्तर—(a) व्याख्या- दादाभाई नौरोजी ने इंग्लैण्ड ड्रेब्ट टू इण्डिया के माध्यम से लोगों का ध्यान ‘धन निष्काषण’ सिद्धान्त की ओर खींचा। भारतीय धन के बहिर्गमन की ओर भारतीयों का ध्यान आकर्षित करने के प्रयास में प्रथम कदम दादाभाई नौरोजी ने बढ़ाया। उन्होंने 2 मई, 1867 को लन्दन में आयोजित ईस्ट इण्डिया एसोसिएशन की बैठक में अपने पेपर जिसका शीर्षक था, England’s Debt to India को पढ़ते हुए पहली बार ‘धन के बहिर्गमन’ सिद्धान्त को प्रस्तुत किया। कालान्तर में दादाभाई नौरोजी ने अपने निबन्धात्मक लेखों जैसे— ‘पॉवर्टी एण्ड अन ब्रिटिश रूल इन इण्डिया’ (1867) द वान्ट्स एण्ड मीन्स ऑफ इण्डिया’ (1870) और ‘ऑन दी कॉमर्स ऑफ इण्डिया’ (1871) द्वारा धन के निष्कासन सिद्धान्त की व्याख्या की। धन के बहिर्गमन के बारे में एक अन्य राष्ट्रवादी नेता महादेव गोविन्द रानाडे ने 1872 में पुणे में एक व्याख्यान के दौरान भारतीय पूँजी और संसाधनों के बहिर्गमन की आलोचना करते हुए कहा कि “राष्ट्रीय पूँजी का एक तिहाई हिस्सा किसी-न-किसी रूप में ब्रिटिश शासन द्वारा भारत के बाहर ले जाया जाता है। दादाभाई नौरोजी ने धन के निष्कासन को ‘अनिष्टों का अनिष्ट’ (Evil of all Evill) की संज्ञा दी। नौरोजी के अनुसार भारत का धन बाहर जाता है और फिर वही धन ऋण के रूप में भारत वापस आ जाता है। इस ऋण के लिए और अधिक ब्याज, इस प्रकार ये ऋण एक कुचक्र, सा बन जाता है। |
529. संविधान सभा के प्रथम स्थायी अध्यक्ष कौन थे ? (a) बी.आर. अम्बेडकर (b) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (c) सच्चिदानन्द सिन्हा (d) इनमें से कोई नहीं |
उतर-(b) व्याख्या- भारतीय संविधान सभा के प्रथम स्थायी अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे, ये भारत के प्रमुख स्वाधीनता सेनानी तथा स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। इनका जन्म 1884 ई. में बिहार में हुआ। इनमें आरम्भ से ही गहरी राष्ट्रीयता की भावना थी। इन्होंने 1905 ई. के विभाजन कार्यक्रम में भाग लिया तथा बिहारी छात्र कॉन्फ्रेन्स की स्थापना की, उन्होंने अपना जीवन एक वकील के रूप में प्रारम्भ किया। 1917 ई. के चम्पारण सत्याग्रह में सक्रिय भागीदारी की। 1921 ई. में वकालत छोड़ दी और असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े तथा इसका बिहार में संचालन किया। ये राष्ट्रीय व स्वदेशी शिक्षा के प्रमुख समर्थक थे, इन्होंने पटना में नैशनल कॉलेज की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन्होंने 1930 ई. के नमक आन्दोलन तथा 1932 ई. के सविनय आन्दोलन में भाग लिया एवं जेल गए। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद इन्होंने जागृति पैदा करने के लिए बिहार का दौरा किया। ये 1934 ई. में कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन के अध्यक्ष रहे तथा 1938 ई. में हरिपुरा अधिवेशन में सुभाष द्वारा त्याग-पत्र देने पर इन्हें अध्यक्षता हेतु लाया गया। 1942 ई. में भारत छोड़ो आन्दोलन में भागीदारी पर उन्हें गिरफ्तार कर अहमदनगर दुर्ग में रखा गया तथा 1945 ई. में छोड़ा गया। ये नेहरू के अन्तरिम मन्त्रिमण्डल (1946) ई. में खाद्य एवं कृषि मन्त्री रहे। ये भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष रहे तथा स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने तथा 1962 ई. में अपनी मृत्यु तक इस पद पर रहे। उन्हें ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया है। |
530. ‘करो या मरो’ का नारा किस आन्दोलन में दिया गया ? (a) असहयोग आन्दोलन (b) सविनय अवज्ञा आन्दोलन (c) भारत छोड़ो आन्दोलन (d) सत्याग्रह |
उत्तर-(c) व्याख्या- ‘करो या मरो’ का नारा ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में दिया गया। भारत छोड़ो आन्दोलन या ‘अगस्त क्रान्ति’ भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की अन्तिम महान् लड़ाई थी, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया। क्रिप्स मिशन के खाली हाथ भारत से वापस जाने पर भारतीयों को अपने चले जाने का अहसास हुआ। दूसरी ओर दूसरे विश्वयुद्ध के कारण परिस्थितियाँ और गम्भीर होती जा रही थीं। महात्मा गाँधी को इस बात का विश्वास हो चला था कि भारत में अंग्रेजों की उपस्थिति जापानियों के आक्रमण की दावत सिद्ध होगी। अतः उन्होंने अंग्रेजों से कहा कि वे भारत को ईश्वर के हाथो में या आधुनिक शब्दावली में अराजकता की स्थिति में छोड़कर चले जाएँ। 24 जुलाई, 1942 को वर्धा में आयोजित कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ पर एक प्रस्ताव पारित किया गया। 7 अगस्त, 1942 को बम्बई के ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की वार्षिक बैठक में वर्धा प्रस्ताव की पुष्टि कर दी गई। भारत छोड़ो आन्दोलन राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संघर्ष का प्रथम आन्दोलन था, जो नेतृत्वविहीनता की स्थिति में भी अपने उद्देश्य को पूरा कर सका। |
531. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन (1916) का अध्यक्ष कौन था ? (a) मुहम्मद अली जिन्ना (b) अम्बिका चरण मजूमदार (c) मदन मोहन मालवीय (d) एनी बेसेन्ट |
उत्तर-(b) व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन (1916) अध्यक्ष अम्बिका चरण मजूमदार थे। ये कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता थे। के इन्होने शीघ्र ही इसमें महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया। इन्होंने 1916 ई. में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता की, जिसमें कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए पृथक् प्रतिनिधित्व की व्यवस्था कर अपने पाँवों पर कुल्हाड़ी मारने का कार्य किया था। कांग्रेस द्वारा संचालित विभिन्न आन्दोलन में इन्होंने सक्रिय भूमिका अदा की। ये एक अच्छे इतिहासकार भी थे, इन्होंने [‘इण्डियन नैशनल इवोल्यूशन’ नामक ग्रन्थ लिखा। |
532. इनमें से कौन कैबिनेट मिशन के सदस्य नहीं थे ? (a) क्रिप्स (b) एवरी (c) पैथिक लॉरेन्स (d) अलेक्जेण्डर |
उत्तर-(b) व्याख्या- एवरी केबिनेट मिशन के सदस्य नहीं थे। ब्रिटिश प्रधानमन्त्री एटली ने 15 फरवरी, 1946 को भारतीय संविधान सभा की स्थापना तथा तत्कालीन ज्वलन्त समस्याओं पर भारतीयों से विचार विमर्श करने के लिए केबिनेट मिशन को भारत भेजने की घोषणा की। 24 मार्च, 1946 को कैबिनेट मिशन दिल्ली पहुँचा। इस शिष्ट मण्डल में तीन सदस्य थे— स्टेफोर्ड क्रिप्स, वी. एलेक्जेण्डर तथा पैथिक लॉरेन्स भारत में कैबिनेट की घोषणा करते हुए पैथिक लारेन्स ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य भारत के लिए संविधान तैयार करने हेतु शीघ्र कार्य प्रणाली तैयार करना तथा अन्तरिम सरकार के लिए आवश्यक प्रबन्ध करना था। समझौते पर विचार-विमर्श करने के लिए कैबिनेट मिशन ने शिमला में एक त्रिदलीय सम्मेलन बुलाया लेकिन सम्मेलन में कोई समाधान नहीं निकला। अन्त में कैबिनेट मिशन ने 16 मई, 1946 को कुछ प्रस्तावों की घोषणा की, जिसमें कांग्रेस संविधान सभा से सम्बन्धित प्रस्तावों पर सहमत हो गई, लेकिन उसने अन्तरिम सरकार गठित करने सम्बन्धी प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया, क्योंकि मुस्लिम लीग को उसमें असंगत प्रतिनिधित्व दिया गया था। मुस्लिम लीग ने पहले 6 जून, 1946 कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार कर लिया, लेकिन 29 जुलाई, 1946 को अपनी सहमती वापस ले ली तथा पाकिस्तान की माँग के लिए सीधी कार्यवाही शुरू की। 29 जून, 1946 को कैबिनेट मिशन भारत से वापस चला गया। |
532. खिलाफत आन्दोलन का स्वरूप क्या था ? (a) राजनीतिक (b) आर्थिक (c) धार्मिक (d) सांस्कृतिक |
उत्तर- (c) व्याख्या-खिलाफत आन्दोलन का स्वरूप धार्मिक था। भारत के मुसलमान तुर्की (टर्की) के सुल्तान को इस्लाम का खलीफा मानते थे। प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की मित्र देशों के विरुद्ध लड़ रहा था। युद्ध के समय ब्रिटिश राजनीतिज्ञों ने भारतीय मुसलमानों को वचन दिया था कि वे तुर्की साम्राज्य को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुँचाएँगे लेकिन युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार ने तुर्की साम्राज्य का विघटन करने का निश्चय किया, जिससे भारतीय मुसलमानों की सहानुभूति तुर्की के प्रति हो गई। तुर्की साम्राज्य के विरुद्ध शुरू हुए खिलाफत आन्दोलन ने उस समय अधिक जोर पकड़ लिया जब उसमें गाँधी जी ने हिस्सेदारी की। गाँधी ने खिलाफत आन्दोलन को हिन्दू-मुस्लिम एकता का सुनहरा अवसर माना। |
533. अल हिलाल का प्रकाशन किसने किया था ? (a) अबुल कलाम आजाद (b) जाकिर हुसैन (c) अलीवर्दी खान (d) जिन्ना |
उत्तर- (a) व्याख्या- ‘अल हिलाल’ का प्रकाशन ‘अबुल कलाम आजाद’ ने किया था। 1888 ई. में मक्का में जन्मे आजाद 1898 ई. में अपने पिता के साथ भारत आए तथा कलकत्ता में बस गए। इन्हें इस्लाम धर्म के विषय में गहन ज्ञान था। आजाद ने 1912 ई. में उर्दू समाचार-पत्र ‘अल हिलाल’ तत्पश्चात् अल वलय निकाले तथा इनके द्वारा अपनी राष्ट्रवादी भावना को अभिव्यक्ति दी। गाँधी जी के नेतृत्व में चलाए गए कांग्रेस के विभिन्न आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। वे 1940 ई. में कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन में सभापति बने तथा कांग्रेस की ओर से शिमला सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने भारत विभाजन का विरोध किया तथा स्वतन्त्र भारत में शिक्षामन्त्री बने। उन्होंने कई ग्रन्थ लिखे जिसमें ‘इण्डिया विन्स फ्रीडम’ उनकी विवादास्पद रचना है। वे राष्ट्रवादी मुसलमान तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे। 1958 ई. में उनका निधन हो गया। |
534. सन् 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री कौन बने ? (a) एम.ए. जिन्ना (b) लियाकत अली खान (c) अब्दुल गफ्फार खान (d) उपरोक्त में से कोई नहीं |
उत्तर-(b) व्याख्या – सन् 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री लियाकत अली खान बने। एक प्रमुख मुस्लिम नेता जो लोग से सम्बन्धित थे तथा पृथकतावादी विचारों के थे। इनका जन्म 1895 ई. में करनाल में हुआ था। इन्होने अलीगढ़ विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। 1926 ई. में ये संयुक्त प्रान्त की प्रान्तीय व्यवस्थापिका के सदस्य बने तथा 1931 ई. में इसके उपनेता बने। वे मुस्लिम लीग में सम्मिलित हुए तथा शीघ्र ही इसके प्रमुख नेताओं में आ गए। उन्हें जिन्ना का दायां हाथ भी कहा जाता है। वह 1936 ई. में मुस्लिम लीग के महासचिव बने तथा इसी वर्ष लीग के ‘पार्लियामेण्ट्री बोर्ड’ के सदस्य भी नियुक्त किए गए। 1940 ई. में लाहौर अधिवेशन में लियाकत ने पाकिस्तान के प्रस्ताव का खुला समर्थन किया था। 1946 ई. में नेहरू के नेतृत्व में बनी अन्तरिम सरकार में यह वित्तमन्त्री के रूप में शामिल हुए तथा सरकार में शामिल सभी कांग्रेसी मन्त्रियों के नाक में दम कर दिया। वे जिन्ना के उसी प्रकार घनिष्ठ थे जिस प्रकार नेहरू गाँधी के घनिष्ठ थे। 1947 ई. में पाकिस्तान के निर्माण के समय वे प्रथम प्रधानमन्त्री बने। 1951 ई. मे उनकी 65 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। उसे कायदे मिल्लत” भी कहा गया है। |
535. सूची-I (घटना) को सूची-II (वर्ष) के साथ सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए सूची-I (घटना) A. फेडरेशन ऑफ इण्डियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (FICCI) की स्थापना B. ली-मोदी पैक्ट C. बॉम्बे प्लान D. नैशनल प्लानिंग कमेटी सूची-II (वर्ष) 1. 1938 2. 1927 3. 1944 4. 1934 कूट : A B C D (a) 4 2 3 1 (b) 2 4 3 1 (c) 2 3 1 4 (d) 4 3 1 2 |
उत्तर-(b) व्याख्या-सही सुमेलन इस प्रकार है- सूची-1 (घटना) सूची-11 (वर्ष) A. फेडरेशन ऑफ इण्डियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (FICCI) की स्थापना— 2. 1927 B. ली-मोदी पैक्ट — 4. 1934 C. बॉम्बे प्लान— 3. 1944 D. नैशनल प्लानिंग कमेटी— 1. 1938 |
536. कम्युनल अवार्ड और पूना पैक्ट के अन्तर्गत ‘शोषित वर्गों’ को कितने स्थान दिए गए थे ? (a) क्रमश: 74 और 79 (b) क्रमश: 71 और 147 (c) क्रमश: 78 और 80 (d) क्रमश: 78 और 69 |
उत्तर – (b) व्याख्या- कम्युनल अवार्ड और पूना पैक्ट के अन्तर्गत ‘शोषित वर्ग को क्रमशः 71 और 148 स्थान दिए गए थे। प्रश्न में 71 और 147 दिया गया है। ब्रिटिश प्रधानमन्त्री रैम्बे मैकडोनाल्ड ने 16 अगस्त, 1932 को विभिन्न सम्प्रदायों के प्रतिनिधित्व के विषय पर एक पंचाट जारी किया जिसे साम्प्रदायिक पंचाट (कम्युनल अवार्ड) कहा गया है। इस पंचाट में पृथक् निर्वाचक पद्धति को न केवल मुसलमानों के लिए जारी रखा गया बल्कि इसे दलित वर्गों पर भी लागू कर दिया गया। दलित वर्गों को पृथक् चुनाव क्षेत्र की सुविधा प्रदान करने के पीछे अंग्रेजों की गहरी चाल थी, वे इन्हें हिन्दुओं से अलग करना चाहते थे। दलित वर्ग को पृथक् निर्वाचक मण्डल की सुविधा दिए जाने के विरोध में महात्मा गाँधी ने जेल में ही 20 सितम्बर, 1932 को आमरण अनशन शुरू कर दिया। मदन मोहन मालवीय, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, पुरुषोत्तम दास, सी. राजगोपालाचारी आदि के प्रयत्नों से गाँधी के उपवास के पाँच दिन बाद 26 सितम्बर, 1932 को गाँधी जी और दलित नेता अम्बेडकर में पूना समझौता हुआ पूना पैक्ट के अनुसार दलितों के लिए पृथक निर्वाचन व्यवस्था समाप्त कर दी गई तथा विभिन्न प्रान्तीय विधान मण्डलों में दलित वर्ग के लिए 148 सीटें आरक्षित की गई, दूसरे केन्द्रीय विधान मण्डल में 18% सीटे दलित वर्ग के लिए आरक्षित की गई। |
537. गाँधीजी के निम्नलिखित आन्दोलनों का सही कालानुक्रम क्या है ? 1. रौलेट एक्ट आन्दोलन 2. खेड़ा आन्दोलन 3. चम्पारण आन्दोलन 4. अहमदाबाद मिलों की हड़ताल नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए- कूट : (a) 3, 2, 4, 1 (b) 3, 2, 1, 4 (c) 2, 3, 1,4 (d) 2, 3, 4, 1 |
उत्तर- (a) व्याख्या-गाँधीजी के आन्दोलनों का सही कालानुक्रम है- चम्पारण आन्दोलन—1917 खेड़ा आन्दोलन – 1918 अहमदाबाद मिलों की हड़ताल- 1918 रौलट एक्ट आन्दोलन-1919 |
538. अखिल भारतीय कांग्रेस की स्थापना के समय भारत के वायसराय निम्नलिखित में से कौन थे ? (a) लॉर्ड लिटन (b) लॉर्ड रिपन (c) लॉर्ड डफरिन (d) लेन्सडाउन |
उत्तर- (c)व्याख्या- अखिल भारतीय कांग्रेस की स्थापना के समय भारत के वायसराय, लार्ड डफरिन थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सम्भवत: अंग्रेजी सरकार के आशीर्वाद से एक अवकाश प्राप्त अंग्रेज अधिकारी एलन अक्टोवियन ह्यम द्वारा 1885 ई. में की गई। ह्यम ने 1884 ई. में भारतीय राष्ट्रीय संघ की स्थापना की थी। जिसका प्रथम अधिवेशन 28 दिसम्बर, 1885 को बम्बई स्थित गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय में आयोजित किया जाता था। इसी सम्मेलन में दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर भारतीय राष्ट्रीय संघ का नाम बदल कर ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ रख दिया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अध्यक्ष होने का गौरव व्योमेश चन्द्र बनर्जी को प्राप्त हुआ। कांग्रेस के प्रथम बम्बई अधिवेशन में कुल 72 सदस्यों ने हिस्सा लिया था। जिसमें प्रमुख इस प्रकार थे-दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, दीनशा एदलजी वाचा, काशीनाथ तैलंग, बी. राघवाचारी, एन.जी. चन्द्रावकर, एस. सुब्रह्मण्यम। ‘भारतीय राष्ट्रीय संघ’ जिसका अधिवेशन पुणे में आयोजित होना था लेकिन वहाँ अकाल पड़ जाने के कारण अधिवेशन बम्बई में आयोजित किया गया, (1885) ‘भारतीय राष्ट्रीय संघ’ को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अग्रदूत माना जाता है। कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन कलकत्ता में हुआ, जिसमें कुल 343 प्रतिनिधि, तीसरा अधिवेशन मद्रास में हुआ जिसमें कुल 607 प्रतिनिधि तथा चौथा अधिवेशन इलाहाबाद में हुआ जिसमें 1248 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। |
539. गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को कब स्थगित कर दिया था ? (a) 5 फरवरी, 1922 ई. (b) 10 फरवरी, 1922 ई. (c) 12 फरवरी, 1922 ई. (d) 20 फरवरी, 1922 ई. |
उत्तर-(c) व्याख्या- गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को 12 फरवरी, 1922 को स्थगित कर दिया था। असहयोग आन्दोलन के अन्तर्गत ‘चौरी-चौरा’ नामक स्थान पर आन्दोलनकारियों की क्रोध से पागल भीड़ ने पुलिस के 22 जवानों को थाने के अन्दर जिन्दा जला दिया। चौरी-चौरा घटना से गाँधीजी इतने आहत हुए कि उन्होंने शीघ्र ही आ आन्दोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया। 12 फरवरी, 1922 को बारदोली में हुई कांग्रेस की बैठक में असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया गया और आन्दोलन समाप्त हो गया। |
540. पाषाण उपकरण निर्माण का एक केन्द्र इसामपुर निम्न में किस राज्य में स्थित है ? (a) महाराष्ट्र (b) गोवा (c) कर्नाटक (d) राजस्थान |
उत्तर-(c) व्याख्या-पाषाण उपकरण निर्माण का एक केन्द्र (इसामपुर) कर्नाटक राज्य में अवस्थित है। |
541. पेलिनोलॉजी अध्ययन है- (a) प्राचीन वनस्पति-अवशेष (b) परागकण एवं बीजाणु का परीक्षण (c) प्राचीन जन्तु-अवशेष (d) जन्तु-अस्थियों का परीक्षण |
उत्तर-(b) व्याख्या- परागकण एवं बीजाणु के परीक्षण के अध्ययन को ‘पेलिनोलॉजी’ कहा जाता है। |
542. गुफ्कराल निम्न में कहाँ स्थित है ? (a) स्वात घाटी (b) ब्रह्मपुत्र घाटी (c) सिन्धु घाटी (d) गंगा नदी घाटी |
उत्तर-(c) व्याख्या-गुफ्कराल सिन्धु घाटी में अवस्थित है। |
543. हड़प्पा सभ्यता का उत्कर्ष काल था- (a) 1000-600 ई.पू. (c) 1500-1000 ई.पू. (b) 2250-1750 ई.पू. (d) 1200-800 ई.पू. |
उत्तर-(b) व्याख्या – हड़प्पा सभ्यता का उत्कर्ष काल 2250-1750 ई.पू. था। सैन्धव सभ्यता की तिथि को निर्धारित करना कठिन काम है। फिर भी विभिन्न विद्वानों ने इस विवादास्पद विषय पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। तिथि निर्धारण इस प्रकार है- तिथि निर्धारण– विद्वान् 3250-2750 ई.पू.–जॉन मार्शल 2800-2500 ई.पू. — अर्नेस्ट मैके 3500-2700 ई.पू. — माधोस्वरूप वत्स 2350-1700 ई.पू.– सी.जे. गैड 2500-1500 ई.पू.– मर्टीमर ह्वीलर 2000-1500 ई.पू.– फेयर सर्विस रेडियो कार्बन ‘C-14’ जैसी नवीन पद्धति के द्वारा हड़प्पा सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. को माना जाता है। |
544. काँसे की ‘नर्तकी’ की मूर्ति उत्खनन द्वारा प्राप्त हुई है- (a) मोहनजोदड़ो से (b) हड़प्पा से (c) चन्हूदड़ो से (d) कालीबंगा से |
उत्तर- (a) व्याख्या-काँसे की नर्तकी की मूर्ति मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है। मोहनजोदडो सिन्धु नदी के दाहिने किनारे पर अवस्थित था जो वर्तमान ५ समय में पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के लरकाना जिले में अवस्थित है। यहाँ से विशाल स्नानागार, विशाल अन्नागार, कुम्भकारों के 6 भट्ठों के अवशेष, सूती कपड़ा, हाथी का कपाल- खण्ड, गले हुए ताँबे के ढेर, सीपी की बनी हुई पटरी (स्केल) एवं काँसे की नृत्यरत नारी की मूर्ति के अवशेष मिले हैं। इसकी खोज 1922 ई. में राखालदास बनर्जी ने की थी। |
545. श्रुति साहित्य में निम्न में कौन शामिल नहीं था ? (a) ब्राह्मण (b) वेदांग (c) आरण्यक (d) उपनिषद् |
उत्तर-(b) व्याख्या (श्रुति साहित्य में ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् तथा वेद आते हैं। श्रवण परम्परा के सुरक्षित होने के कारण इसे श्रुति कहा गया है। वेदांग को श्रुति साहित्य में शामिल नहीं किया गया है। वेदांग को स्मृति भी कहा जाता है क्योंकि यह मनुष्यों की कृति मानी जाती है। वेदांग निम्नलिखित छ: हैं- A. शिक्षा-स्वर शास्त्र (उच्चारण विधि) B. कल्प- धार्मिक रीति एवं पद्धति C. व्याकरण—ग्रामर D. निरुक्त-शब्द व्युत्पत्ति शास्त्र E. छन्द – Metricas (मैट्रिसेज) F. ज्योतिष – खगोलशास्त्र |
546. निम्न में कौन शैव सम्प्रदाय सबसे पहले अभ्युदित हुआ ? (a) कापालिक (b) कालामुख (c) पाशुपत (d) कनपटा |
उत्तर-(c) व्याख्या- ब्राह्मण पुराण में शैव सम्प्रदाय की संख्या चार बतायी /- 1. शैव 2. पाशुपत 3. कापालिक 4. कालामुख पाशुपत सम्प्रदाय शैवों का सर्वाधिक प्राचीन सम्प्रदाय है। इसका विवरण महाभारत में मिलता है। इस सम्प्रदाय के सिद्धान्त तीन अंग हैं—पति (स्वामी), पशु (आत्मा), पाश (वचन)। इसके संस्थापक लकुलीश या नकुलीश थे, जिन्हें भगवान शिव के 18 अवतारों में से एक माना जाता था। इस सम्प्रदाय के अनुयायियों को पंचार्थिक कहा गया। इस मत का प्रमुख सैद्धान्तिक ग्रन्थ पाशुपत सूत्र’ है। |
547. वर्णसंकर का अर्थ है- (a) धार्मिक सभाएँ (b) सामाजिक वर्गों का अन्तर्मिश्रण (c) व्यापारियों का संघ (d) कुम्हारों का संघ |
उत्तर-(b) व्याख्या-वर्णसंकर का अर्थ सामाजिक वर्णों का अन्तर्मिश्रण है। |
548. निम्न में कौन एक ‘कृषि-कर’ नहीं था ? (a) भाग (b) कारा (c) शुल्क (d) हालीवाकर |
उत्तर-(c) व्याख्या-उपरोक्त में से शुल्क कृषि कर नहीं था। यह परवर्ती वैदिक युग के मूलत: किसानों पर लगाया गया कर था परन्तु बाद में चुंगी के रूप में इस शब्द का प्रयोग होने लगा। भाग, कारा एवं हालीवाकर कृषि कर था। |
549. गायत्री मन्त्र समर्पित है- (a) इन्द्र (b) अदिति (c) गायत्री (d) सवित |
उत्तर- (d) व्याख्या गायत्री मन्त्र सवितृ देव को समर्पित है। यह ऋग्वेद के तृतीय मण्डल में है। तृतीय मण्डल में मन्त्रों की संख्या 62 है। ऋग्वेद के तृतीय मण्डल के रचयिता विश्वामित्र हैं। |
550. निम्न में ‘अपहरण द्वारा विवाह’ किसका अर्थ है ? (a) राक्षस (b) पैशाच (c) दैव (d) गन्धर्व |
उत्तर- (a) व्याख्या- अपहरण द्वारा विवाह ‘राक्षस विवाह’ कहलाता है। पराजित राजा की पुत्री, बहन या पत्नी से उसकी इच्छा के विरुद्ध विवाह राक्षस विवाह कहलाता है। |
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