History MCQ–इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं।
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History MCQ/GK Free Practice Set -28 (676-700)
676. किस राजा को उसके एक अभिलेख में ‘कविराज’ कहा गया है ? (a) प्रतिहार राजा मिहिरभोज (b) परमार राजा भोज (c) पाल राजा धर्मपाल (d) चालुक्य राजा कुमारपाल |
उत्तर – (b) व्याख्या- परमार राजा भोज को उसके एक अभिलेख में ‘कविराज’ कहा गया है। भोज अपनी विद्वत्ता के कारण कविराज उपाधि से विख्यात था। कहा जाता है कि उसने विविध विषयों-चिकित्साशास्त्र, खगोलशास्त्र, धर्म, व्याकरण, स्थापत्य शास्त्र आदि पर बीस से अधिक ग्रन्थों की रचना की। |
677. इनमें से किसने महाबलिपुरम में ‘पगोडा’ रथों का निर्माण कराया था ? (a) चोलों ने (b) कल्याणी के चालुक्यों ने (c) पल्लवों ने (d) पाण्ड्यों ने |
उत्तर-(c) व्याख्या-पल्लवों ने महाबलिपुरम में ‘पगोडा’ रथों का निर्माण कराया था। |
678. चोलकालीन सर्वाधिक प्रसिद्ध कांस्य प्रतिमा (Bronze image) किसकी है ? (a) मुरुगन (b) नटराज (c) वेंकटेश्वर (d) विष्णु |
उत्तर-(b) व्याख्या- चोलकालीन सर्वाधिक प्रसिद्ध कांस्य प्रतिमा नटराज की है। |
679. द्रविड़ मन्दिर स्थापत्य का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लक्षण है- (a) शिखर (b) गोपुरम् (c) विमान (d) मण्डप |
उत्तर-(c) व्याख्या-द्रविड़ मन्दिर स्थापत्य का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण इसका विमान है। |
680. ‘पञ्चायतन’ प्रकृति के मन्दिर का प्राचीनतम् उदाहरण है- (a) दशावतार मन्दिर – देवगढ़ (b) पथरी का मन्दिर (c) भुवनेश्वर का शत्रुघ्नेश्वर मन्दिर (d) सिरपुर का लक्ष्मण मन्दिर |
उत्तर- (a) व्याख्या- ‘पञ्चायतन’ प्रकृति के मन्दिर का प्राचीनतम् उदाहरण देवगढ़ का दशावतार मन्दिर है। |
681. पूर्व मध्यकालीन भारत में ‘दोसीहट्ट’ था ? (a) पशु बाजार (b) मीना बाजार (c) कपास बाजार (d) दास (Slave) बाजार |
उत्तर-(c) व्याख्या- पूर्व मध्यकालीन भारत में ‘दोसीहट्ट कपास बाजार था। |
682. ‘किताब-उर-रेहला’ का लेखक कौन है ? (a) मौलाना शरफुद्दीन अली याजिद (b) अमीर तिमूर (c) इब्न-ए- बतूता (d) ख्वाजा अब्दुल्लाह मलिक इसामी |
उत्तर-(c) व्याख्या- ‘किताब उर रेहला’ का लेखक इब्न-ए-बतूता है। यह मोरक्को का रहने वाला था तथा मुहम्मद तुगलक (1325-51 ई.) के शासनकाल में भारत आया था। यह उसके दरबार में 8 वर्ष तक रहा था। सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने उसे दिल्ली में काजी के पद पर नियुक्त किया। बाद में सुल्तान ने असन्तुष्ट होकर उसे उस पद से हटा दिया था। रेहला में भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति का विस्तृत वर्णन किया गया है। उसने सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक की ‘गुप्तचर व्यवस्था, डाक व्यवस्था और उसकी मृत्यु की परिस्थितियों का वर्णन किया है। परन्तु सुल्तान मुहम्मद तुगलक के शासनकाल की परिस्थितियों का उसने अधिक विस्तृत रूप से वर्णन किया है। उसने सुल्तान की क्रूरता, उदारता, राजधानी परिवर्तन और उसके परिणाम आदि का वर्णन किया है। उसने दिल्ली नगर, विभिन्न नगरों के बाजार, भारतीय उत्सवों, मेलों, पशु-पक्षियों, वेशभूषा, बंगाल की जलवायु आदि का वर्णन किया। इब्नबतूता धर्म और कानून का विद्वान था। उसने 1335 ई. में मोरक्को में रेहला का संस्मरण लिखा। इस कारण उस पर कोई लालच और दबाव नहीं था। इस कारण आधुनिक इतिहासकार उसके विवरण को पर्याप्त सत्य मानते हैं। इसी कारण रेहला एक उपयोगी ऐतिहासिक स्रोत-ग्रन्थ स्वीकार किया गया है। रेहला में मुसलमानों के त्यौहार ‘चेहल्लुम’ का उल्लेख है। |
683. इनमें से कौन-सी किताब सुल्तान फिरोजशाह तुगलक द्वारा स्वयं लिखी गई ? (a) फुतुहात-ए-फिरोजशाही (b) फतवा-ए-जहान्दारी (c) तारीख-ए-फिरोजशाही (d) तुगलकनामा |
उत्तर-(a) व्याख्या-फुतुहात-ए-फिरोजशाही एक छोटी पुस्तक है जिसे स्वयं सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने लिखा था। यद्यपि पुस्तक के नाम से अर्थ निकलता है, ‘सुल्तान फिरोजशाह की फतेह’ (विजयें) परन्तु इसमें फिरोज के राज्य विस्तार के प्रयत्नों का वर्णन नहीं किया गया है, अपितु उसके इस्लाम धर्म में प्रसार के लिए किए गए प्रयत्नों का उल्लेख किया गया है। सुल्तान ने उसमें लिखा था कि उसने केवल इस्लाम द्वारा स्वीकृत करों को ही अपनी प्रजा से लिया, ब्राह्मणों से भी जजिया कर लिया, इस्लाम के विरुद्ध किए जाने वाले कार्यों को रोका, जनहित के विभिन्न कार्य किए, हिन्दू-मन्दिरों को तोड़ा और एक बड़ी संख्या में हिन्दुओं को मुसलमान बनाने में सफलता पाई। इस प्रकार इस पुस्तक को लिखने में सुल्तान का मुख्य उद्देश्य यह था कि वह अपने को एक आदर्श मुसलमान शासक सिद्ध करना चाहता था। परन्तु इससे यह भी सिद्ध हुआ कि वह एक धर्मान्ध मुसलमान शासक था जिसने अपनी बहुसंख्यक हिन्दू प्रजा के साथ न्यायोचित व्यवहार नहीं किया था। |
684. इनमें से कौन-सी रचना अमीर खुसरो की नहीं है ? (a) किरान उसदाइन (b) तहकीक-ए-हिन्द (c) मिफ्ताह-उल-फुतुह (d) नूर-ए-सिपिहर |
उत्तर – (b) व्याख्या- तहकीक-ए-हिन्द अमीर खुसरो की रचना नहीं है। तहकीक-ए-हिन्द ग्रन्थ की रचना अलबरूनी ने अरबी भाषा में की थी। सर्वप्रथम ‘साचाऊ’ ने अरबी भाषा से इस ग्रन्थ का अनुवाद अंग्रेजी में किया था। अलबरूनी का जन्म 973 ई. में खीवा में हुआ था। उसने उच्च शिक्षा प्राप्त की और एक ख्याति प्राप्त विद्वान हो गया। अलबरूनी महमूद गजनवी के साथ उसके भारत पर किए गए आक्रमणों के अवसरों पर उसके साथ आया। उसने यहाँ संस्कृत भाषा, भारतीय दर्शन और ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन किया। उसने अपने विभिन्न ग्रन्थों में भारत के विषय में लिखा जिनमें से तहकीक-ए-हिन्द में दिए गए विवरण को बहुत प्रामाणिक माना गया है। अलबरूनी ने महमूद गजनवी के समय में भारत के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक स्थिति के बारे में विस्तृत रूप से लिखा है। तहकीक-ए-हिन्द एक विस्तृत ग्रन्थ है जिसमें 80 अध्याय है। अलबरूनी ने भारत की जलवायु, प्राकृतिक स्थिति, भाषा, रीति-रिवाज, सामाजिक परम्पराएँ, धर्म, भारतीयों के कर्म सिद्धान्त, मोक्ष-सिद्धान्त आदि के सम्बन्ध में लिखा। उसने भारतीयों के भोजन, वेश-भूषा, मेलों, धार्मिक उत्सवों, मनोरंजन के साधनों आदि के विषय में भी लिखा। उसने अपने विवरण में भागवद् गीता, वेदों, उपनिषदों, पातंजलि के योग- शास्त्र आदि के विषय में भी लिखा, राजनीतिक स्थिति के विषय में अलबरूनी ने केवल उत्तरी भारत, गुजरात, मालवा, कन्नौज, पाटलिपुत्र आदि के बारे में ही लिखा। दक्षिण भारत के किसी भी राज्य के विषय में उसने कुछ नहीं लिखा। उसके कथनानुसार भारत में वैष्णव सम्प्रदाय सबसे अधिक लोकप्रिय था । |
684. निम्नलिखित में से कौन हिन्दूशाही राजा महमूद गजनी के विरुद्ध हिन्दू राजाओं के संघ के निर्माता थे ? (a) जयपाल (b) आनन्दपाल (c) जयपाल और आनन्दपाल दोनों (d) अनंगपाल |
उत्तर-(b) व्याख्या– महमूद गजनी के विरुद्ध हिन्दूशाही राजा महमूद गजनी के विरुद्ध हिन्दू राजाओं के संघका निर्माता आनन्दपाल था। मुल्तान के महमूद के हाथों में चले जाने से हिन्दूशाही राजा आनन्दपाल को अपने राज्य पर दो तरफ से आया। उसने एक बड़ी सेना एकत्रित की, पड़ोसी राज्यों से सहायता ली और पेशावर की ओर बढ़ा 1009 ई. में चैहिन्द के निकट महमूद ने उसका मुकाबला किया और उसे पराजित कर दिया। सिन्ध से नगरकोट तक के भू-क्षेत्र पर महमूद का अधिकार हो गया तथा हिन्दूशाही राज्य की शक्ति क्षीण हो गई। आनन्दपाल के पश्चात् उसके पुत्र त्रिलोचनपाल ने समय-समय पर कश्मीर और बुन्देलखण्ड के शासकों से सहायता प्राप्त करके महमूद से संघर्ष किया परन्तु वह प्रत्येक बार असफल रहा। इस प्रकार ब्राह्मणवंशीय हिन्दूशाही राज्य एक लम्बे और कठोर संघर्ष के बाद समाप्त हुआ। उस समय वही एक ऐसा हिन्दू राज्य था जिसके शासकों ने दूरदर्शिता का परिचय दिया और अपनी तथा भारत की सुरक्षा के लिए आक्रमणकारी नीति को अपनाया, हिन्दुओं का संयुक्त मोर्चा बनाया और मुल्तान के मुसलमानों को भी नवीन विदेशी आक्रमणकारी के विरुद्ध अपने साथ रखने में सफलता पाई। उसके पतन से हिन्दुओं की विदेशियों के विरुद्ध संयुक्त होकर मुकाबला करने की योजना नष्ट हो गई। |
685. महमूद गजनी का भारत पर अन्तिम आक्रमण कब हुआ ? (a) 1021-22 ई.स. (b) 1024 ई.स. (c) 1025 ई.स. (d) 1027 ई.स. |
उत्तर-(d) व्याख्या—महमूद गजनी का भारत पर अन्तिम आक्रमण 1027 ई. में हुआ था। जिस समय महमूद सोमनाथ को लूटकर वापस जा रहा था, रास्ते में सिन्ध के जाटों ने उसे तंग किया। जाटों को दण्ड देने के लिए 1027 ई. में महमूद अन्तिम बार भारत आया। जाटों को उसने कठोरता से समाप्त किया। उनकी सम्पत्ति लूट ली और उनकी स्त्रियों व बच्चों को दास बना लिया गया। |
686. वाराणसी में रहकर दस वर्षों तक संस्कृत एवं खगोल विद्या का अध्ययन करने वाला अरबी कौन था ? (a) अलबरूनी (b) अमीर खुसरो (c) अल बिदारी (d) अल मशेर |
उत्तर- (a)व्याख्या-वाराणसी में रहकर दस वर्षों तक संस्कृत एवं खगोल विद्या का अध्ययन करने वाला अलबरूनी था। यह महमूद गजनवी का प्रमुख दरबारी विद्वान था तथा उसके साथ भारत आया था। अपने ग्रन्थ ‘तहकीक-ए-हिन्द’ में इसने भारत के सम्बन्ध में अपना विस्तृत विवरण दिया है। उसके वर्णन की प्रमुख विशेषताओं में भारतीय समाज का 16 जातियों में विभाजन, ब्राह्मणों को विशेषाधिकार, पूर्ण सामाजिक स्थिति, वैश्य जाति की दशा में गिरावट, बालविवाह प्रथा एवं विवाह जैसी कुप्रथाओं का चलन आदि प्रमुख है। अलबरूनी भिक्षु लिपि के प्रयोग का ब्योरा देता है, जो ‘बुद्ध’ की लिपि थी। अलबरूनी द्वारा चर्चित मुख्य त्यौहार रामनवमी तथा शिवरात्र थे। |
687. भारत में मस्जिद के निर्माण में इनमें से किस लक्षण को सम्मिलित किया गया है ? (a) उल्टा कमल (Turned Lotus) (b) गुम्बद पर कलश (Kalash on the domes) (c) अलंकरण (Ornamentation) (d) उपरोक्त सभी |
उत्तर-(d) व्याख्या भारत में मस्जिद के निर्माण में उल्टा कमल, गुम्बद पर कलश और अलंकरण सभी को सम्मिलित किया गया है। |
688. मुहम्मद गोरी ने भारत में निम्नलिखित में से किस युद्ध में स्वयं भाग नहीं लिया ? (a) 1191 ई. के तराइन के युद्ध में (b) 1194 ई. में कन्नौज के विरुद्ध (c) 1197-98 ई. अन्हिलवाड़ा के चालुक्यों के विरुद्ध (d) 1205 ई. में खोखरों के विरुद्ध |
उत्तर-(c) व्याख्या- मुहम्मद गोरी ने भारत में चालुक्यों के विरुद्ध 1197-98 ई. में अन्हिलवाड़ा के युद्ध में स्वयं भाग नहीं लिया था। 1178 ई. गुजरात के बघेल राजा भीम द्वितीय ने मुहम्मद गोरी को भयंकर पराजय दी और देश से बाहर खदेड़ दिया था। इससे आक्रमणकारी इतना आतंकित हुआ कि इसके बीस वर्ष बाद तक उसने गुजरात पर आक्रमण करने का विचार भी नहीं किया। |
689. बिहार और बंगाल की विजय करने वाला तुर्की सेनापति कौन था ? (a) गोर का मोहम्मद (b) कुतुब-उद्-दीन ऐबक (c) इख्तियार-उद्-दीन मुहम्मद (d) बख्तियार खिलजी |
उत्तर-(d) व्याख्या- बंगाल और बिहार की विजय करने वाला तुर्की सेनापति बख्तियार खिलजी था। यह एक दास था, जिसे मुहम्मद गोरी ने खरीदा था। अपनी योग्यता के बल पर वह उन्नति करता गया। गोरी की भारत विजय में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। बख्तियार ने 1197 ई. में चुनार एवं कर्मनाशा के बीच के प्रदेश पर अधिकार कर लिया। 1202-03 ई. में वह दो सौ योद्धाओं के साथ बिहार की राजधानी ओदन्तपुरी पर टूट पड़ा तथा वहाँ के शासक इन्द्रवर्मन के भाग जाने के बाद बिहार पर उसका अधिकार हो गया। 1204-05 ई. में इसी प्रकार उसने बंगाल पर आक्रमण कर वहाँ के शासक लक्ष्मण सेन को हराकर बंगाल पर अधिकार कर लिया। बंगाल व बिहार में उसने कई मठ व विहार तुड़वा दिए। गोरी की मृत्यु के पश्चात् बख्तियार स्वतन्त्र रूप में शासन करने लगा, किन्तु 1206 ई. में एक सैनिक अलीमर्दान ने उसकी हत्या कर दी। |
690. कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा मध्यकालीन दिल्ली में ‘सात शहरों’ की स्थापना कहाँ की गई ? (a) सीरी (b) तुगलकाबाद (c) मेहरौली (d) हौज खास |
उत्तर-(b) व्याख्या-कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा मध्यकालीन दिल्ली में सात शहरों की स्थापना तुगलकाबाद में की गई थी। |
691. किस सुल्तान ने स्वयं को ‘नाइब-ए-खुदाई’ कहा ? (a) इल्तुतमिश (b) बलबन (c) अलाउद्दीन खिलजी (d) ग्यासुद्दीन तुगलक |
उत्तर-(b) व्याख्या- बलवन ने स्वयं को नाइब-ए-खुदाई कहा। उसके अनुसार सुल्तान पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि है और उसका स्थान केवल पैगम्बर के पश्चात् है। |
692. दिल्ली के किस सुल्तान ने प्रथमतः खलीफा के नाम पर खुतबा नहीं पढ़ा ? (a) अलाउद्दीन खिलजी (b) मुहम्मद बिन तुगलक (c) सिकन्दर लोदी (d) इब्राहिम लोदी |
उत्तर- (a) व्याख्या- दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने प्रथमतः खलीफा के नाम पर खुतबा नहीं पढ़ा। उसने खलीफा की सत्ता को मान्यता दी लेकिन प्रशासन में उनके हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया। उसने शासन में न तो इस्लाम धर्म के सिद्धान्तों का सहारा लिया, न -उलेमा वर्ग से सलाह ली और न ही खलीफा के नाम का सहारा लिया। वह निरंकुश राजतन्त्र में विश्वास रखता था। उसकी सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि उसने राजनीति को धर्म से कभी प्रभावित नहीं होने दिया। |
693. किस दिल्ली सुल्तान ने स्वयं को दूसरा सिकन्दर (सिकन्दर-ए-सानी) कहा था ? (a) बलबन (b) अलाउद्दीन खिलजी (c) मुहम्मद बिन तुगलक (d) सिकन्दर लोदी |
उत्तर-(b) व्याख्या– अलाउद्दीन खिलजी ने स्वयं को दूसरा सिकन्दर (सिकन्दर-ए-सानी) कहा और उसे अपने सिक्कों पर अंकित करवाया। उसकी प्रथम योजना थी एक नवीन धर्म की स्थापना तथा दूसरी योजना सिकन्दर के समान अपनी विजय पताका दूर-दूर तक फहराने की थी। |
694. खिज्र खाँ द्वारा स्थापित राजवंश को सैयद राजवंश के नाम से जाना जाता है, क्योंकि- (a) उसने और उसके उत्तराधिकारियों ने सैयद उपाधि धारण की (b) खिज्र खाँ पूर्वी तुर्किस्तान के सैयद कबीले (Tribe) से सम्बन्धित था (c) खिज्र खाँ पैगम्बर मुहम्मद का वंशधर (Descendant) था (d) वह इस्लामी धर्मदर्शन का विद्वान (Scholar) था |
उत्तर-(c) |
695. बरीद किसे कहते थे ? (a) राजकीय कारखाने में काम करने वाले कारीगर (b) सुल्तान के अंगरक्षक (Body-guards) (c) सरकारी कोष के अधिकारी (d) सूचना पहुंचाने वाले गुप्तचर (Spy) |
उत्तर- (d) व्याख्या बरीद सूचना पहुँचाने वाले गुप्तचर होते थे । |
696. सल्तनत की केन्द्रीय सरकार में निम्नलिखित में से कौन अधिकारी सबसे बड़ा ओहदा रखता था ? (a) काजी-उल-मुल्क (b) नायब-ए-मुस्क (c) मजलिस-ए- खलावत का प्रमुख (d) वजीर |
उत्तर-(b) व्याख्या सल्तनत की केन्द्रीय सरकार में नायब-ए-मुल्क सबसे बड़ा ओहदा रखता था। यह पद सुल्तान से निम्न तथा वजीर से उच्च था। |
697. सल्तनत काल में निम्नलिखित में से कौन कर संग्राहक का कार्य नहीं करता था ? (a) ग्राम प्रमुख (b) पटवारी (c) गवर्नर (d) करद सरदार (Tributary chief) |
उत्तर- (d) व्याख्या-सल्तनत काल में करद सरदार कर संग्राहक का कार्य नहीं करता था। |
698. कृष्णदेव राय के समय विजयनगर की यात्रा नहीं करने वाला विदेशी यात्री इनमें से कौन है ? (a) निकोलो कोन्टी (b) फर्नाओ नुनीज (c) डॉर्मिगो पाएस (d) दुरतें बारबोसा |
उत्तर-(a)व्याख्या- कृष्णदेव राय के समय विजयनगर की यात्रा नहीं करने वाला विदेशी यात्री निकोलो कोन्टी है। निकोलो कोन्टी विजयनगर आने वाला सबसे पहला इतालवी (वेनिस) यूरोपीय यात्री था, जो देवराय प्रथम के शासन काल (1420-21) में आया था। लैटिन भाषा में लिखा इसका यात्रा विवरण उपलब्ध नहीं है, जिसमें विजयनगर शहर, राजदरवार प्रथा, मुद्रा त्यौहार आदि का विशद वर्णन किया गया। उसके ‘है। उसने लिखा है कि नगर का घेरा 60 मील है, इसकी दीवारें पहाड़ों तक चली गई हैं और नीचे की घाटियों को घेरे हुए हैं। |
699. यह कथन किसका है, “ईश्वर मनुष्य के गुणों को देखता जाति को नहीं; दूसरे संसार में कोई जाति नहीं है ? (a) कबीर (b) गुरु नानक (c) चैतन्य (d) रामानन्द |
उत्तर- (a) व्याख्या- “ईश्वर मनुष्य के गुणों को देखता है, उसकी जाति को नहीं: दूसरे संसार में कोई जाति नहीं है।” यह कथन कबीरदास का है। कबीर भक्ति आन्दोलन के एक महान् सन्त थे। सम्भवतः इनका जन्म 1440 ई. में हुआ था। ये विधवा ब्राह्मणी के पुत्र थे, जिसने इन्हें लोक लाज के भय से तालाब के किनारे छोड़ दिया था। इसके बाद नीरू नामक मुसलमान जुलाहे ने उठाकर इनका पालन किया। ये रामानन्द के शिष्य थे। इनकी पत्नी का नाम लोई तथा पुत्र का नाम कमाल व पुत्री का नाम कमाली था। गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए भी ये साधु-सन्तों से चर्चा में लीन रहते थे। ये क्रान्तिकारी कवि थे। इन्होंने हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्मों के ग्रन्थों का अध्ययन किया। इन्होंने हिन्दू एवं मुसलमानों में समन्वय स्थापित करने का प्रयत्न किया। 1500 ई. में इनकी मगहर में मृत्यु की। हो गई। इनके अनुयायियों ने ‘कबीरपंथी’ सम्प्रदाय की स्थापना की । |
700. निम्नलिखित भक्तिमार्गी सन्तों (Devotional saints) में से कौन मोची (Cobler) था ? (a) तुलसीदास (b) सूरदास (c) रैदास (d) मलूकदास उत्तर – (c)व्याख्या- भक्तिमार्गी सन्तों में रैदास मोची थे। उनका जन्म काशी में हुआ था। ये कबीर के समकालीन थे। ये निर्गुण ईश्वर की उपासना में विश्वास रखते थे। बचपन से ही साधु सेवा करते थे तथा जूते बनाकर अपनी जीविका चलाते थे। बाद में संसार से विरक्ति होने के कारण ये साधु बन गए। इन्होंने रामानन्द को अपना गुरु बनाया। ये ईश्वर की भक्ति करने लगे। इनके भजनों में ईश्वर के प्रति भक्ति का व समर्पण का भाव दिखाई देता है। ये बाहरी आडम्बरों के विरोधी थे तथा मन की शुद्धता पर बहुत बल देते थे। इनका कहना था कि मनुष्य को सभी प्राणियों के प्रति प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। इन्होंने कहा था “सब हरि में हैं और सबमें हरि है।” इनके प्रभाव के कारण निम्न जातियों में भी भक्ति आन्दोलन लोकप्रिय होने लगा। |
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History MCQ Free Set :-इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY/TEACHING EXAMS इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते है । यह सीरीज आपको कैसा लगा। आप हम कमेंट करें और सब्सक्राइब करें। धन्यवाद ।