History MCQ–इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं।
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History MCQ/GK Free Practice Set -30 (726-750)
726. सूरत में अंग्रेजों को 1613 ई. में कारखाना लगाने का फरमान जहाँगीर ने किस कारण से जारी किया ? (a) अंग्रेजों और पुर्तगालियों के बीच समझौते के कारण (b) पुर्तगालियों को भगाने के लिए अंग्रेजों द्वारा मुगल बादशाह को नौसैनिक सहायता के गुप्त प्रस्ताव के कारण (c) नूरजहाँ को मिली बड़ी घूस (Bribe) के कारण (d) अंग्रेजों द्वारा पुर्तगाली बेड़े को पराजित किए जाने के कारण |
उत्तर- (d) व्याख्या- सूरत में अंग्रेजों को 1613 ई. में कारखाना लगाने का फरमान जहाँगीर ने दिया, क्योंकि अंग्रेजों ने पुर्तगाली बेड़े को पराजित कर दिया था। (टॉमस एडवर्थ के अधीन सूरत में व्यापारिक कोठी की स्थापना हुई। इससे पहले 1612 ई. में कैप्टन बेस्ट द्वारा सूरत के बन्दरगाह की विजय ने पुर्तगालियों के एकाधिकार को भंग कर दिया। सूरत वह पहला भारतीय नगर है, जहाँ से अंग्रेजों ने भारत तथा पूर्वी देशों में ब्रिटिश सामाज्य की नींव रखी। – मध्यकालीन भारत- भाग दो— हरिश्चन्द्र वर्मा |
727. भारत में अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की प्रथम प्रसिडेंसी कहाँ थी ? (a) चेन्नई (मद्रास) (b) मसूलीपट्टम (c) सूरत (d) हुगली |
उत्तर-(c) व्याख्या- भारत में अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की प्रथम प्रेसिडेंसी सूरत थी। 1630 ई. में सूरत का इतना अधिक विस्तार हो गया कि कम्पनी के निदेशकों ने इसे पूर्व की प्रमुख अंग्रेज बस्ती बना दिया तथा दूर स्थित बैण्टम (जावा, इण्डोनेशिया) को भी इसके अधीन रख दिया। स्त्रोत-मध्यकालीन भारत-भाग दो—हरिश्चन्द्र वर्मा |
728. औरंगजेब ने सभी अंग्रेजों को गिरफ्तार करने और अपने साम्राज्य में सभी अंग्रेजी कारखानों को जब्त करने का आदेश जारी किया, क्योकि- (a) अंग्रेजों ने बंगाल में स्थानीय शुल्क देने से इनकार किया था (b) अंग्रेजों ने पश्चिमी तट पर मुगल जहाजों पर हमला किया था (c) अंग्रेज अपने व्यापारिक ठिकानों की किलेबन्दी (Fortifying) कर रहे थे (d) उपर्युक्त सभी |
उत्तर— (d)व्याख्या- औरंगजेब ने सभी अंग्रेजों को गिरफ्तार करने और अपने साम्राज्य में सभी अंग्रेजी कारखानों को जब्त करने का आदेश जारी किया, क्योंकि अंग्रेजों ने बंगाल में स्थानीय शुल्क देने से इनकार किया था। अंग्रेजों ने पश्चिमी तट पर मुगल जहाजों पर हमला किया था एवं अंग्रेज अपने व्यापारिक ठिकानों की किलेबन्दी कर रहे थे। स्त्रोत- मध्यकालीन भारत-भाग दो-हरिश्चन्द्र वर्मा |
729. बंगाल से अंग्रेज निर्यात करते थे- (a) चीनी (Sugar) (b) नमक (Saltpetre) (c) रेशम (Silks) (d) ये सभी |
उत्तर-(c) व्याख्या – बंगाल में अंग्रेज रेशम निर्यात करते थे। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर |
730.1757 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध सिराज उद्दौला के अभियान का तात्कालिक कारण (Immediate cause) क्या था ? (a) अंग्रेजों द्वारा अपनी वस्तुओं पर कर न देना (b) कोलकाता (कलकत्ता) में पहुँचने वाली भारतीय वस्तुओं पर अंग्रेजों द्वारा भारी शुल्क लगाया जाना (c) नवाब की बिना अनुमति या उसकी जानकारी के अंग्रेजों द्वारा कोलकाता (कलकत्ता) में अतिरिक्त किलेबन्दी किया जाना (d) अंग्रेजों द्वारा सिराज उद्दौला के विरोधी शौकत जंग का समर्थन किया जाना |
उत्तर-(a) व्याख्या-1751 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध सिराज उद्दौला के अभियान का तात्कालिक कारण अंग्रेजों द्वारा अपनी वस्तुओं पर कर न देना था। स्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास यशपाल एवं प्रोवर |
731. बंगाल में कम्पनी के नियन्त्रण को वैधानिकता कैसे प्राप्त हुई ? (a) शाह आलम द्वितीय द्वारा बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी की शाही घोषणा (b) 1757 ई. में प्लासी के युद्ध के बाद मीर जाफर से हुई सन्धि (c) 1764 ई. में बक्सर के युद्ध के बाद मीर जाफर से हुई सन्धि (d) फरवरी, 1765 में निज़ाम-उद्-दौला से हुई सन्धि |
उत्तर- (d) व्याख्या- बंगाल में कम्पनी के नियन्त्रण को वैधानिकता फरवरी, 1765 में निजाम-उद्-दौला से हुई सन्धि के बाद प्राप्त हुई। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर |
732. 1767-69 ई. के प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध के समय हुई त्रिशक्ति सन्धि (Triple alliance) में इनमें से कौन सम्मिलित नहीं हुआ था ? (a) अंग्रेज (b) निजाम, हैदराबाद (d) ट्रावनकोर का राजा (c) मराठा |
उत्तर- (d) व्याख्या-1767-69 ई. में प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध के समय हुई त्रिशक्ति सन्धि में ट्रावनकोर का राजा सम्मिलित नहीं हुआ था। प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध अंग्रेजों की आक्रामक नीति का परिणाम था। अंग्रेजो का सामना करने के लिए हैदर अली ने मराठों तथा निजाम के साथ एक सन्धि कर, सैनिक मोर्चा बनाया। सितम्बर, 1767 में जनरल जोसेफ स्मिथ के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना ने हैदरअली तथा निजाम की संयुक्त सेना को चेगामा घाट और त्रिचनापल्ली के युद्ध में परास्त किया। इस पराजय के बाद निजाम, हैदरअली का साथ छोड़कर अंग्रेजों से जा मिला। हैदरअली पुनः अकेला पड़ गया। अंग्रेजों ने मार्च, 1768 में मंगलौर के दुर्ग पर अधिकार कर लिया किन्तु हैदरअली ने शीघ्र ही उस पर पुनः नियन्त्रण स्थापित कर लिया। इस विजय के बाद हैदरअली की सैनिक प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई और उसने लड़ने का निश्चय किया। 1768 ई. के अन्त तक हैदरअली ने विभिन्न स्थानों पर पुनः नियन्त्रण स्थापित कर लिया। 1769 ई. में हैदरअली तथा अंग्रेजों के बीच मद्रास की सन्धि हुई जिसके अन्तर्गत दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के जीते हुए क्षेत्र वापस कर दिए। इस सन्धि के साथ आंग्ल-मैसूर युद्ध समाप्त हो गया। स्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास- यशपाल एवं गोवर |
733. टीपू सुल्तान अपने समकालीनों से कई मायने में आगे था, क्योकि- (a) वह अंग्रेजों द्वारा भारतीय शक्तियों के लिए प्रस्तुत संकट को जानता था (b) वह सैनिक शक्ति के लिए मजबूत आर्थिक आधार के महत्त्व को समझता था (c) वह आधुनिक व्यापार और उद्योगों के महत्त्व को समझता था (d) उपरोक्त सभी |
उत्तर- (d) व्याख्या – टीपू सुल्तान अपने समकालीनों से कई मायने में आगे था क्योंकि वह अंग्रेजों द्वारा भारतीय शक्तियों के लिए प्रस्तुत संकट को जानता था। वह सैनिक शक्ति के लिए मजबूत आर्थिक आधार के महत्त्व को समझता था। वह आधुनिक व्यापार और उद्योगों के महत्त्व को समझता था। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास – यशपाल एवं ग्रोवर |
734. बंगाल के बाद अंग्रेजों ने शुल्क मुक्त व्यापार का अधिकार किससे प्राप्त किया ? (a) अवध के नवाब से (b) बनारस के राजा से (c) हैदराबाद के निजाम से (d) भरतपुर के जाटों से |
उत्तर- (a) व्याख्या— बंगाल के बाद अंग्रेजों ने शुल्क मुक्त व्यापार का अधिकार अवध के नवाब से प्राप्त किया। शुजाउद्दौला के शासन काल में ही अवध राज्य में अंग्रेजों का प्रभाव हो गया था किन्तु आसफुद्दौला के शासन काल में उनके प्रभाव में और वृद्धि हो गई। इस वंश के सातवे शासक के रूप में सआदत अली खां ने अवध के राजा की उपाधि धारण की तथा 1801 ई. में अंग्रेजों की सहायक सन्धि को स्वीकार किया। अवध का अन्तिम शासक नवाब वाजिद अलीशाह (1847-56) था। इसी के शासन काल में कुशासन का आरोप लगाकर 1856 ई. में लॉर्ड डलहौजी ने अवध राज्य को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया। स्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर |
735. राजा रणजीत सिंह ने 1806 ई. में लाहौर की सन्धि किससे सम्पादित की जिससे उसे सतलज के उत्तर में विस्तार की स्वतन्त्रता प्राप्त हुई ? (a) पेशवा बाजीराव द्वितीय से (b) इन्दौर के होल्कर से (c) ग्वालियर के सिन्धिया से (d) ईस्ट इण्डिया कम्पनी से |
उत्तर- (d) व्याख्या – राजा रणजीत सिंह ने 1806 ई. में लाहौर की सन्धि ईस्ट इण्डिया कम्पनी से सम्पादित की जिसमें उसे सतलज के उत्तर में विस्तार की स्वतन्त्रता प्राप्त हुई। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास — यशपाल एवं ग्रोवर |
736. निम्नलिखित में से कौन डलहौजी की अपहरण नीति (Policy of absorption) का शिकार नहीं हुआ ? (a) सतारा (b) नागपुर (c) सिन्धिया (d) मैसूर |
उत्तर- (d) व्याख्या- -मैसूर डलहौजी की अपहरण नीति का शिकार नहीं हुआ। 1799 ई. में चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध में अंग्रेजों ने मैसूर के शासक टीपू सुल्तान को पराजित कर मार डाला। टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद मैसूर पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। मैसूर पर कब्जा करने के बाद अंग्रेजों ने मैसूर की गद्दी पर पुराने हिन्दू राजवंश अडयार वंश के एक बालक कृष्ण राय को बैठाया। वेलेजली ने नाबालिग शासक कृष्ण राय के साथ एक सहायक सन्धि की जिसके अन्तर्गत राज्य के भीतर एक रक्षक, ब्रिटिश सेना रखना तय हुआ। मैसूर को जीतने की खुशी में 19 आयरलैण्ड के (लॉर्ड समाज ने वेलेजली /को माक्विस) की उपाधि प्रदान की। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास — यशपाल एवं ग्रोवर |
737. भारत के हथकरघा उद्योग पर अंग्रेजों द्वारा पहला गम्भीर प्रहार (Serious blow) क्या था ? (a) करघों (Looms) पर शुल्क लगाया जाना (b) बुनकरों का निर्देशित मूल्य पर अपनी वस्तु बेचने के लिए बाध्य होना (c) कच्चे कपास के निर्यात के कारण कपास की कमी होना (d) नील और अफीम जैसी नकदी फसलों का कपास उत्पादन क्षेत्र में प्रविष्ट होना |
उत्तर-(b) व्याख्या- भारत के हथकरघा उद्योग पर अंग्रेजों द्वारा पहला गम्भीर प्रहार बुनकरों का निर्देशित मूल्य पर अपनी वस्तु बेचने के लिए बाध्य होना था। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास – यशपाल एवं ग्रोवर |
738. महालवाड़ी व्यवस्था के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है ? (a) यह अन्य दो व्यवस्थाओं के सुधारस्वरूप अपनाई गई स्थायी व्यवस्था थी (b) यह प्रत्येक ग्राम एवं महल (जागीर) पर अलग-अलग लागू की गई थी (c) सरकार ने इसमें प्रत्येक किसान के साथ व्यक्तिगत रूप से अनुबन्ध नहीं करते हुए सम्पूर्ण ग्राम समुदाय के साथ अनुबन्ध किया था (d) यह गंगा की घाटी, पंजाब और मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में लागू |
उत्तर- (a) व्याख्या -महालवाड़ी व्यवस्था अन्य दो व्यवस्थाओं के सुधारस्वरूप अपनाई गई स्थाई व्यवस्था थी। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर |
739. नए जमींदारों के बारे में इनमें से कौनसा कथन सही नहीं है ? (a) वह नगरों में रहने वाले व्यापारी और धनिक थे जिनकी ग्राम में कोई जड़ नहीं थी (b) वह किसानो को उत्पीड़ित (Herass) करने के लिए स्वतन्त्र (c) वह केवल किराया वसूलने वाले अनुपस्थित व्यापारी थे (d) उन्होंने किसानों को उनके पारम्परिक भू-स्वामित्व के अधिकार से वंचित कर उन्हें किराएदार कृषक बना दिया था |
उत्तर-(c) व्याख्या- नए जमींदार केवल किराया वसूलने वाले अनुपस्थित व्यापारी थे, कथन गलत है। नए जमींदार नगरों में रहने वाले व्यापारी और धनिक थे जिनकी ग्राम में कोई जड़ नहीं थी। वह किसानों को उत्पीड़ित करने के लिए स्वतन्त्र थे। उन्होंने किसानों को उनके पारम्परिक भू-स्वामित्व के अधिकार से वंचित कर उन्हें किराएदार कृषक बना दिया था। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास- यशपाल एवं प्रोवर |
740. अंग्रेजी राज के समय भारत के आर्थिक पतन के लिए निम्नलिखित में से कौनसा कारण सही नहीं है ? (a) भारतीयों में योग्यता और तकनीकी कुशलता (Technical skill ) की कमी (b) सामुद्रिक शक्ति के अभाव के कारण पार सामुद्रिक बाजार (Overseas market) नहीं प्राप्त होना (c) दुर्बल श्रेणी संगठन के कारण देशी उद्योगों का असुरक्षित रहना (d) भारत में औद्योगिक उद्यमियों के वर्ग का नहीं होना |
उत्तर- (a)व्याख्या- भारतीयों में योग्यता और तकनीकी कुशलता की कमी अंग्रेजी राज के समय भारत के आर्थिक पतन के लिए सही कारण नहीं है। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास — यशपाल एवं प्रोवर |
741. ब्रिटिश राज्य के समय में भारत के ‘आर्थिक दोहन के सिद्धान्त’ (Theory of economic drain) को सर्वप्रथम किसने प्रकट किया ? (a) राजा राममोहन राय (b) रमेशचन्द दत्त (c) दादाभाई नौरोजी (d) सुरेन्द्रनाथ बनर्जी |
उत्तर-(c) व्याख्या- ब्रिटिश राज्य के समय में भारत के आर्थिक दोहन के सिद्धान्त को सर्वप्रथम दादाभाई नौरोजी ने दिया था। उन्होंने 2 मई 1867 को लन्दन में आयोजित ईस्ट इण्डिया एसोसिएशन की बैठक में अपने पेपर जिसका शीर्षक था England’s Debt to India, को पढ़ते हुए पहली बार ‘धन के बहिर्गमन’ सिद्धान्त को प्रस्तुत किया। कालान्तर में दादाभाई ने अपने कुछ अन्य निबन्धात्मक लेखों; जैसे—पॉवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इण्डिया (1867) द वान्ट्स एण्ड मीन्स ऑफ इण्डिया (1870) और ऑन द कॉमर्स ऑफ इण्डिया (1871) द्वारा धन के निष्कासन सिद्धान्त की व्याख्या की। धन के बहिर्गमन के बारे में एक अन्य राष्ट्रवादी नेता महादेव गोविन्द रानाडे ने 1872 ई. में पुणे में एक व्याख्यान के दौरान भारतीय पूंजी और संसाधनों के बहिर्गमन की आलोचना करते हुए कहा कि “राष्ट्रीय पूँजी का एक-तिहाई हिस्सा किसी न किसी रूप में ब्रिटिश शासन द्वारा भारत के बाहर ले जाया जाता है।” स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास – यशपाल एवं प्रोवर |
742. ब्रिटिश राज्य के समय में भारत में भयानक गरीबी (Abject का कारण निम्नलिखित में से क्या नहीं था ? (a) कृषि उत्पादन और देशी उद्योगों का क्षरण (b) भारत में विदेशी पूँजी का लगना (c) आधुनिक उद्योगों का अपर्याप्त विकास (d) ऊँची कर दरें (High Taxation) |
उत्तर-(b) व्याख्या-ब्रिटिश राज्य में भारत में भयानक गरीबी का कारण भारत में विदेशी पूँजी का लगना है। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर |
743. निम्नलिखित में से किसने कहा, “एक धर्म, एक जाति और मानवता के लिए एक ईश्वर” ? (a) ज्योतिबा फुले (b) स्वामी विवेकानन्द (c) श्री नारायण गुरु (d) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर |
उत्तर-(c) व्याख्या- “एक धर्म, एक जाति और एक मानवता के लिए एक ईश्वर ” – यह कथन श्री नारायण गुरु ने कहा है। नारायण गुरु प्रमुख समाज सुधारक थे। इनका जन्म 1854 ई. में चेम्पाजान्ती में एक निर्धन ‘इझवा’ परिवार में हुआ था। ये संस्कृत, मलयालम तथा तमिल भाषाओं के अच्छे ज्ञाता थे। वे जीवन भर निम्न वर्गों के शैक्षणिक तथा सामाजिक उत्थान के प्रयत्नों में लगे रहे। उन्होंने जाति प्रथा का विरोध किया, मन्दिरों में पशुबलि प्रथा का विरोध किया तथा कई जर्जर मन्दिरों का पुनरुद्धार करवाया। उन्होंने (1903 ई) में इझवा जाति के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक विकास के उद्देश्य से ‘श्री नारायण धर्म परिपालन योगम्’ की स्थापना की। केरल में अस्पृश्यता के विरुद्ध तथा सामाजिक समानता के लिए संघर्ष में नारायण गुरु की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। |
744. भारत में पश्चिमी शिक्षा प्रणाली का ‘मैग्ना कार्टा’ किसे कहा गया ? (a) 1823 ई. की पब्लिक इन्स्ट्रक्शन कमेटी की रिपोर्ट (b) 1833 ई. का चार्टर एक्ट (c) 1862 ई. के हण्टर कमीशन की रिपोर्ट (d) 1854 ई. में सर चार्ल्स वुड, सेक्रेटरी ऑफ स्टेट की डिस्पैच |
उत्तर- (d) व्याख्या – 1854 ई. में सर चार्ल्स वुड-सेक्रेटरी ऑफ स्टेट की डिस्पैच को भारत में पश्चिम शिक्षा प्रणाली का ‘मैग्नाकार्टा’ कहा जाता है। सर चार्ल्स वुड की अध्यक्षता में गठित समिति ने 1854 ई. में भारत में भावी शिक्षा के लिए एक वृहद योजना तैयार की, जिसमें अखिल भारतीय स्तर पर शिक्षा की नियामक पद्धति का गठन किया गया। वुड घोषणा-पत्र की सिफारिशों के अनुसार– 1. उच्च शिक्षा के माध्यम के लिए अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ देशी भाषा को भी प्रोत्साहन दिया जाए। 2. शिक्षा के निरीक्षण के लिए प्रान्तों में एक निर्देशक के अधीन शिक्षा विभाग का गठन किया गया। 3. लन्दन विश्वविद्यालय के आधार पर कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में तीन विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। 4. शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जाए। 5. स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाए। 6. सरकार को पाश्चात्य शिक्षा, कला, दर्शन विज्ञान और साहित्य का प्रसार करने का निर्देश दिया गया। 7. शिक्षा के क्षेत्र में निजी प्रयासों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी अनुदान की सिफारिश की गई। वुड घोषणा पत्र के बाद 1855 ई. में पाँच प्रान्तों बंगाल, बम्बई, मद्रास, उत्तर-पश्चिमी प्रान्त और पंजाब में एक जन शिक्षा ‘विभाग’ की स्थापना की गई। 1857 ई. में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में तीन विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। भारत का पहला विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय 1857 ई. में स्थापित हुआ। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर |
745. निम्नलिखित में से किस संगठन की कल्पना राजा राममोहन राय ने समय से पहले की थी ? (a) विश्व न्यायालय (World Court of Justice ) (b) आर्थिक समुदाय (Economic Community (c) राष्ट्र संघ (League of Nations) (d) समान बाजार (Common Market) |
उत्तर-(c) व्याख्या- राष्ट्र संघ (League of Nations) संगठन की कल्पना राजा राममोहन राय ने समय से पहले की थी। राजा राममोहन राय ने 19वीं शताब्दी का पहला महान् धार्मिक सुधार आन्दोलन शुरू किया। इन्हें भारत में सुधारवादी आन्दोलन का प्रवर्तक माना जाता है। इनका जन्म 1774 ई. में बंगाल के हुगली जिले के राधानगर गाँव में हुआ था। उन्होंने अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने अपनी फारसी पुस्तक ‘तुहफतुल मुवाहिदीन’ में मूर्ति पूजा एवं बहुदेववाद का खण्डन किया। उन्होंने मिरात-उल-अखबार नामक फारसी समाचार पत्र तथा ‘संवाद कौमुदी’ नामक साप्ताहिक बंगला पत्रिका निकाली एवं प्रेस की स्वतन्त्रता पर बल दिया। उन्होंने सती प्रथा के विरुद्ध जबर्दस्त आन्दोलन चलाया, जो 1829 ई. में इसे अवैध घोषित किए जाने तक जारी रहा। उन्होंने बाल विवाह का विरोध किया तथा स्त्री शिक्षा व स्त्री स्वतन्त्रता पर बल दिया। उन्होंने भारत में अंग्रेजी शिक्षा का माध्यम बनाए जाने पर बल दिया। उन्होंने हिन्दुओं में नवीन धार्मिक विचारों के प्रसार हेतु 1815 ई. में आत्मीय सभा की स्थापना की। 1816 ई. मे वेदान्त कॉलेज की स्थापना की। 1819 ई. में यूनिटेरियन सोसायटी की स्थापना की तथा 20 अगस्त, 1828 को कलकत्ता में ब्रह्म समाज की स्थापना की। 1830 ई. में वे इंग्लैण्ड गए तथा 1833 ई. में वहीं उनकी मृत्यु हो गई। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर |
746. महाराष्ट्र में प्रार्थना समाज किसके नेतृत्व में स्थापित हुआ ? (a) केशव चन्द्र सेन (b) लोकहितवादी (c) शिवनाथ शास्त्री (d) देवेन्द्र नाथ टैगोर |
उत्तर- (a) व्याख्या – महाराष्ट्र में प्रार्थना समाज केशव चन्द्र सेन के नेतृत्व के स्थापित हुआ। आचार्य केशव चन्द्र की महाराष्ट्र यात्रा से प्रभावित होकर उनके ही मार्गदर्शन में महादेव गोविन्द रानाडे और आत्माराम पाण्डुरंग ने 1867 ई. में मुम्बई (बम्बई) में ‘प्रार्थना समाज’ स्थापना की। केशवचन्द्र सेन 19वीं सदी के प्रमुख समाज सुधारकों में थे। उनका जन्म 1838 ई. में कलकत्ता के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उन्होंने 1857 ई. में ब्रह्म समाज की सदस्यता ग्रहण की तथा विख्यात ब्रह्म आन्दोलन चलाया। उनका झुकाव ‘ईसाई धर्म तथा पाश्चात्य सभ्यता की ओर था अतः देवेन्द्र नाथ टैगोर से उनके मतभेद बढ़ते चले गए। 1866 ई. में ब्रह्म समाज का विघटन हो गया तथा केशव ने ‘भारतीय ब्रह्म समाज’ की स्थापना की। उनके नेतृत्व में इस समाज का बंगाल से बाहर भी प्रचार हुआ था तथा उन्होंने ‘द इण्डियन मिरर’ नामक समाचार पत्र प्रकाशित करना आरम्भ किया। उन्होंने पर्दा प्रथा, बाल विवाह, बहु विवाह आदि का विरोध किया तथा अन्तर्जातीय विवाह, विधवा पुनर्विवाह तथा स्त्री शिक्षा पर बल दिया। 1872 ई. में स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास —यशपाल एवं ग्रोवर विवाह सम्मत आयु विधेयक उनके प्रयत्नों से ही पारित हुआ। 1880 ई. में भारतीय ब्रह्म समाज का विभाजन हुआ तथा केशव ने ‘नव विधान समाज’ की नींव रखी। |
747. उत्तरी प्रान्तों के साथ 1857 ई. के विद्रोह में मुम्बई (बम्बई) और चेन्नई (मद्रास) क्यों सम्मिलित नहीं हुए ? (a) रैयतवाड़ी व्यवस्था के कारण उन्हें आवश्यक नेतृत्व प्राप्त नहीं हुआ (b) वह सापेक्षिक रूप से अधिग्रहण और जब्ती से मुक्त रहे थे (c) उन्हें अधिक उदार और जागरूक प्रशासक मिले थे (d) वह ब्रिटिश प्रशासन के केन्द्र कोलकाता (कलकत्ता) से पर थे बहुत दूरी |
उत्तर- (d) व्याख्या- उत्तरी प्रान्तों के साथ 1857 ई. के विद्रोह में मुम्बई(बम्बई) और चेन्नई (मद्रास) सम्मिलित नहीं हुए क्योंकि वह ब्रिटिश प्रशासन के केन्द्र कोलकाता (कलकत्ता) से बहुत दूरी पर थे। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर |
748. 1857 ई. के विद्रोह के पूर्व सिपाहियों के असन्तोष के कारणों में सबसे गम्भीर कारण क्या था ? (a) पदोन्नति (Promotion) और वेतन का प्रश्न (b) जातीय भेदों का अनुपालन नहीं होना (c) दूरस्थ क्षेत्रों में लगातार अभियान पर भेजा जाना (d) अनुशासन एवं नियन्त्रण के लिए उपयुक्त तथा समान प्रक्रिया का नहीं होना |
उतर-(a) व्याख्या-1857 ई. के विद्रोह के पूर्व सिपाहियों के असन्तोष के कारणों में सबसे गम्भीर कारण पदोन्नति और वेतन का प्रश्न था । |
749.1857 ई. में लखनऊ में विद्रोह (Revolt) का नेतृत्व किसने किया ? (a) ताँत्या टोपे (b) मौलवी अहमदुल्लाह शाह (c) बिरजिस कादिर (d) बेगम हजरत महल |
उत्तर- (d) व्याख्या-1857 ई. में लखनऊ में विद्रोह का नेतृत्व बेगम हजरत महल ने किया था। बेगम हजरत महल अवध की बेगम थीं। अंग्रेजों के द्वारा 1856 ई. में कुशासन के नाम पर अवध के विलय तथा वहाँ किए गए अत्याचार के कारण अवध में असन्तोष व्याप्त था। बेगम हजरत महल ने 1857 ई. में विद्रोह प्रारम्भ होने पर वाजिद अलीशाह के साथ मिलकर विद्रोह कर दिया तथा अपने पुत्र बिरजिस कादिर को अवध का नवाब घोषित कर दिया। उसने देश के अनेक राजाओं को पत्र लिखकर बहादुरशाह को पुनः मुगल सम्राट बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह की अपील की। विद्रोह के दौरान अवध में रेजीडेण्ट हेनरी लारेन्स की मृत्यु हो गई। अन्ततः हैवलाव व आउट्रम ने अवध पर आक्रमण कर वहाँ विद्रोह का दमन कर दिया। हजरत महल को वाजिद अलीशाह के साथ नेपाल भागना पड़ा तथा अन्ततः वहीं उसकी मृत्यु हो गई। |
750. चाँदनी चौक, दिल्ली में 1912 ई. में लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना किसकी थी ? (a) रासबिहारी बोस (b) भाई परमानन्द- (c) सचिन्द्रनाथ सान्याल (d) सोहन लाल पाठक |
उत्तर- (a) व्याख्या-चाँदनी चौक, दिल्ली में 1912 ई. में लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना रासबिहारी बोस की थी। बीसवीं सदी के क्रान्तिकारियों में रासबिहारी बोस का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म 1886 ई. में हुआ था तथा ये आरम्भ से ही क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ गए। इन्होंने पंजाब, दिल्ली तथा संयुक्त प्रान्त में अपने गुप्त सम्पर्क स्थापित किए। 1912 ई. में दिल्ली में वायसराय हार्डिंग पर बम फेंकने की घटना में वे मुख्य अभियुक्त थे, किन्तु किसी प्रकार बच निकले थे। ये बनारस में छिप गए। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1915 ई. में जर्मनी की सहायता से बनाई गई विद्रोह की योजना में भी ये शामिल थे, किन्तु इस सम्बन्ध में अंग्रेजों को पूर्व जानकारी मिल जाने के कारण योजना विफल रही। इन्होंने 1942 ई. में टोक्यो में दक्षिण-पूर्व में रहने वाले भारतीयों का सम्मेलन बुलाया था। उन्होंने बैंकाक में ‘इण्डियन इण्डिपेंडेंट लीग’ की स्थापना की थी। इन्होंने विश्व युद्ध के दौरान जापान द्वारा बन्दी बनाए गए भारतीय सैनिकों को मिलाकर आजाद हिन्द फौज का गठन किया तथा उसका नेतृत्व बाद में सुभाषचन्द्र बोस को सौप दिया। 1945 ई. में जापान में ही उनकी मृत्यु हो गई। स्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास- यशपाल एवं प्रोवर |
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