751. इनमें से कौन-सी पुस्तक उसके लेखक से मेल नहीं खाती है ?
(a) दादाभाई नौरोजी- पॉवर्टी एण्ड अन-ब्रिटिश रूल इन इण्डिया (b) आर. सी. दत्त – इकॉनामिक हिस्ट्री ऑफ इण्डिया (c) महात्मा गाँधी – ‘हिन्द स्वराज’ (d) डी.आर. गाडगिल — ‘इण्डियन इण्डस्ट्री, टुडे एण्ड टुमॉरो’
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752. 1922 ई. में ‘भील सेवा मण्डल’ की स्थापना इनके द्वारा की गई-
(a) नारायण मल्हार जोशी (b) अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर (c) ज्योतिबा फुले (d) बाबा आम्टे
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उत्तर-(b)व्याख्या – 1922 ई. में ‘भील सेवा मण्डल’ की स्थापना ‘अमृतलाल विट्ठलदास ठक्कर’ द्वारा की गई। स्त्रोत- आधुनिक भारत – विपिन चन्द्र
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753. 1918 ई. में किस कारण से कांग्रेस में दूसरा विघटन (Split) हुआ ?
(a) लखनऊ समझौता (b) मॉन्टेग्यू घोषणा (c) 1917 ई. में श्रीमती एनी बेसेन्ट का कांग्रेस का अध्यक्ष चुना जाना (d) उपर्युक्त ‘b’ एवं ” दोनों
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उत्तर-(b)व्याख्या – 1918 ई. में मॉन्टेग्यू घोषणा के कारण कांग्रेस में दूसरा विघटन हुआ था। मॉन्टेग्यू ने 20 अगस्त, 1917 को हाउस ऑफ कॉमन्स में भारत में ब्रिटिश नीतियों के उद्देश्य को परिभाषित करते हुए एक ऐतिहासिक घोषणा की जिसमें कहा कि “ब्रिटिश साम्राज्य के अभिन्न अंग के रूप में भारत में उत्तरदायी सरकर का क्रमिक रूप से विकास करने के लिए, भारतीयों को प्रशासन के प्रत्येक क्षेत्र में आधिकारिक रूप से सम्बद्ध किया जाए और स्वशासी संस्थाओं का क्रमिक रूप से विकास किया जाए।” इस घोषणा में पहली बार ‘उत्तरदायी शासन’ शब्द का प्रयोग किया गया। मॉन्टेग्यू घोषणा का निष्कर्ष भारत में उत्तरदायी शासन की स्थापना थी जिसमें शासक, जनता के निर्वाचित सदस्यों के प्रति उत्तरदायी था। मॉन्टेग्यू घोषणा के सम्बन्ध में व्यक्त की गई प्रतिक्रियाओं के बारे में कांग्रेस के भीतर मतभेद था। मॉन्टेग्यू घोषणा को उदारवादियों ने ‘भारत का मैग्ना कार्टा’ की संज्ञा दी। तिलक ने इस घोषणा को (सूर्यविहीन उषाकाल’ की संज्ञा दी। स्त्रोत- आधुनिक भारत – विपिन चन्द्र
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754. भारत में पहली बार एक लोक सेवा आयोग की स्थापना किस कानून के द्वारा की गई ?
(a) द इण्डियन काउंसिल एक्ट, 1892 (b) द एक्ट ऑफ 1909 (c) द गवर्नमेण्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1919 (d) द गवर्नमेण्ट इण्डिया एक्ट 1935
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उत्तर-(c) व्याख्या- भारत में पहली बार एक लोक सेवा आयोग की स्थापना द गवर्नमेण्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1919 के कानून के द्वारा की गई। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास — यशपाल एवं ग्रोवर
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755. 1940 ई. में व्यक्तिगत सत्याग्रह के प्रारम्भ के लिए महात्मा गाँधी द्वारा प्रथम सत्याग्रही किसे चुना गया ?
(a) सी. राजगोपालाचारी (b) विनोबा भावे (c) जे. बी. कृपलानी (d) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद |
उत्तर–(b) व्याख्या – व्यक्तिगत सत्याग्रह की शुरूआत 17 अक्टूबर, 1940 को हुई। प्रथम सत्याग्रही के रूप में महात्मा गाँधी ने विनोबा भावे को मनोनीत किया। दूसरे सत्याग्रही पं. जवाहर लाल नेहरू थे। प्रस्तावों को पूर्णतया अस्वीकार करने के बाद कांग्रेस ने व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू करने का निर्णय लिया, जिसका नेतृत्व गाँधी जी के हाथों में था। व्यक्तिगत सत्याग्रह जनता के अन्दर सीमित उत्साह ही जागृत कर सका, फलस्वरूप गाँधी जी ने 17 दिसम्बर, 1940 को इसे स्थगित कर दिया। ब्रह्म दत्त व्यक्तिगत सत्याग्रह में तीसरे सत्याग्रही थे स्रोत- आधुनिक भारत – विपिन चन्द्र
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756. महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ का संस्थापक अध्यक्ष कौन था ?
(a) महादेव देसाई (b) जी.डी. बिरला (c) अमृतलाल ठक्कर (d) बी.आर. अम्बेडकर
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उत्तर-(c) व्याख्या – महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ के संस्थापक अध्यक्ष अमृतलाल ठक्कर थे। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं ग्रोवर
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757. जिन्ना द्वारा चौदह सूत्रों के अन्तर्गत पृथक् चुनाव क्षेत्र आदि की माँग के पीछे क्या कारण था ?
(a) बहुमत के शासन की आशंका (b) हिन्दू महासभा और सिख लीग की साम्प्रदायिक राजनीति (c) नेहरू रिपोर्ट में आए प्रस्तावों से असहमति (d) ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत के लिए एक सर्वसम्मत संविधान के निर्माण की चुनौती |
उत्तर- -(c) व्याख्या – जिन्ना द्वारा चौदह सूत्रों के अन्तर्गत पृथक् चुनाव क्षेत्र आदि की माँग के पीछे कारण नेहरू रिपोर्ट में आए प्रस्तावों से असहमति थी। मुस्लिम लीग के नेता एम.ए. जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट में मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचक मण्डल की सुविधा न दिए जाने के कारण इसे अस्वीकार कर दिया और अपनी चौदह सूत्री माँगों की एक सूची जारी की। जिन्ना ने जो 14 सूत्री माँग पत्र जारी किया, उसमें प्रमुख माँगे थीं 1. मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचक मण्डल। 2. केन्द्रीय तथा प्रान्तीय मन्त्रिमण्डलों में मुसलमानों के लिए एक तिहाई प्रतिनिधित्व। 3. मुस्लिम बहुल प्रान्तों का पुनर्गठन 4. राज्य की सभी सेवाओं में मुसलमानों के लिए आरक्षण स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास- यशपाल एवं ग्रोवर
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758. कांग्रेस द्वारा 1935 ई. के गवर्नमेण्ट ऑफ इण्डिया एक्ट को अस्वीकार किए जाने का कारण था-
(a) इसके निर्माण में भारतीयों से परामर्श नहीं लिया गया था (b) यह एक्ट भारत में जनप्रतिनिधि सरकार की स्थापना की सम्भावना समाप्त कर रहा था (c) प्रान्तीय स्वायत्तता (Provincial autonomy) के नाम पर की गई व्यवस्थाओं से प्रजातान्त्रिक अधिकारों का हनन होता था (d) उपर्युक्त सभी
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उत्तर- (d) व्याख्या- कांग्रेस द्वारा 1935 ई. के गवर्नमेण्ट ऑफ इण्डिया एक्ट को अस्वीकार किए जाने का कारण यह था कि इसके निर्माण में भारतीयों से परामर्श नहीं लिया गया था। यह एक्ट भारत में जनप्रतिनिधि सरकार की सम्भावना समाप्त कर रहा था। प्रान्तीय स्वायत्तता के नाम पर की गई व्यवस्थाओं से प्रजातान्त्रिक अधिकारों का हनन होता था। नेहरू ने 1935 के अधिनियम के बारे में कहा कि “यह अनेक ब्रेकों वाली इन्जन रहित गाड़ी के समान है।” मुहम्मद अली जिन्ना ने इसे पूर्णतया सड़ा हुआ, मूलरूप से बुरा और बिल्कुल अस्वीकृत बताया। स्त्रोत- आधुनिक भारत – विपिन चन्द्र
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759. गाँधी जी ने प्रथम आमरण अनशन कब प्रारम्भ किया था ?
(a) कम्युनल एवार्ड के समय (b) कोलकाता (कलकत्ता) के दंगों के समय (c) दिल्ली में दंगों के समय (d) जलियाँवाला बाग दुर्घटना के समय
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उत्तर – (d) व्याख्या-गाँधी जी ने प्रथम आमरण अनशन जलियाँवाला बाग दुर्घटना के समय प्रारम्भ किया था। स्त्रोत- आधुनिक भारत – विपिन चन्द्र
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760. उस स्थल का नाम बताइए जहाँ से स्थायी जीवन के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं-
(a) कालीबंगा (b) मेहरगढ़ (c) मोहनजोदड़ो (d) किले गुल मोहम्मद
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उत्तर-(b) व्याख्या— मेहरगढ़ से स्थायी जीवन के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं। मेहरगढ़ वर्तमान पाकिस्तान के बलुचिस्तान क्षेत्र में कच्छी मैदान में स्थित है। यहाँ पूर्व ताम्र पाषाण-संस्कृति एवं प्राक् हड़प्पा सभ्यता के प्रथम स्पष्ट साक्ष्य मिले हैं। इनकी अवधि 6000 ई.पू. से आरम्भ होती है। गेहूँ, जौ तथा कपास की कई किस्में यहाँ से मिली हैं। यहाँ से कच्ची ईंटों से बने आयताकार मकानों एवं मृद्भाण्डों के अवशेष मिले हैं। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति- के.सी. श्रीवास्तव
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761. निम्नलिखित में से कौन हड़प्पा संस्कृति का सबसे विस्तृत नगर था ?
(a) बनावली (b) हड़प्पा (c) लोथल (d) राखीगढ़ी
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उत्तर—(d) व्याख्या- राखीगढ़ी हड़प्पा संस्कृति का सबसे विस्तृत नगर था। हरियाणा राज्य के जीन्द जिले में स्थित इस पुरातात्विक स्थल की खोज सर्वप्रथम प्रो. सूरजभान और आचार्य भगवानदेव ने की थी। यहाँ से निचली सतह से पूर्व सिन्धु सभ्यता के तथा ऊपरी सतह से सिन्धु सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं। राखीगढ़ी से मिट्टी का बना हल तथा मुद्रा मिली है, जिस पर सिन्धु लिपि का एक लेख अंकित है। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति——के.सी. श्रीवास्तव
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762. हड़प्पा संस्कृति के किस स्थल से मनका बनाने का प्रमाण प्राप्त हुआ है ?
(a) धौलावीरा (b) रोपड़ (c) चन्हूदड़ो (d) कालीबंगा
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उत्तर-(c) व्याख्या – हड़प्पा संस्कृति के स्थल चन्हूदड़ो से मनका बनाने का प्रमाण प्राप्त हुआ है। सिन्धु सभ्यता का प्रमुख स्थल जो कि मोहनजोदड़ो से 80 मील दक्षिण में स्थित है। यह एकमात्र स्थान है जहाँ से किसी भी प्रकार का दुर्ग नहीं पाया गया है। 1931 ई. में ‘एन.जी. मजूमदार’ ने सर्वप्रथम इसकी खोज की थी। उत्खनन से यहाँ सिन्धु सभ्यता तथा प्राक् हड़प्पा सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहाँ से धातु कर्मकारों, सीपियों के आभूषण तथा मनके बनाने वालों की दुकानें मिली हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ से काँसे का इक्का और बैलगाड़ी, दुर्ग रहित शहर, दवात, बाद द्वारा विनाश के साक्ष्य, चूड़ी बनाने का केन्द्र, दो पशुओं के पैरों के भागते हुए निशान, लिपिस्टिक का साक्ष्य, चार पहियों वाली मिट्टी का खिलौना गाड़ी, वर्गाकार मुहर, एक मुहर पर तीन घड़ियाल व एक मछली का अंकन आदि के साक्ष्य मिले हैं। स्त्रोत-प्राचीन भारत का इतिहास-झा एवं श्रीमाली
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763. हड़प्पा संस्कृति की मुहरों का सर्वाधिक प्रचलित रूप
(a) बेलनाकर (b) आयताकार (c) वर्गाकार (d) गोलाकार
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उत्तर- (c) व्याख्या – हड़प्पा संस्कृति की सर्वाधिक प्रचलित मुहरों का रूप वर्गाकार है। हड़प्पा संस्कृति की सर्वोत्तम कलाकृतियाँ उसकी मुहरे हैं। अब तक लगभग 2000 मुहरें प्राप्त हुई हैं। इनमें से अधिकांश मुहरें लगभग 500 मोहनजोदड़ो से मिली हैं। अधिकांश मुहरों पर लघु लेखों के साथ-साथ एक सिंगी सांड, भैंस, बाघ, बकरी और हाथी की आकृतियाँ खोदी गई हैं। मुहरों के बनाने में सर्वाधिक प्रयोग (सेलखड़ी’ NET का किया गया है। लोथल और देसलपुर से ताँबे की बनी मुहरे प्राप्त हुई हैं। सैन्धव मुहरें बेलनाकार, वर्गाकार, आयताकार एवं वृत्ताकार वर्गाकार मुहरें सर्वाधिक प्रचलित थीं। मोहनजोदड़ो, लोथल, तथा कालीबंगा से राजमुद्रांक भी मिले हैं। इससे व्यापारिक क्रियाकलापों का ज्ञान होता है। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति—के.सी. श्रीवास्तव
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764. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए–
सूची-I (संहिता) सूची-II (उपनिषद्)
A. ऋग्वेद 1 छान्दोग्य B. यजुर्वेद 2 मुण्डक C. सामवेद 3 कठ D. अथर्ववेद 4 कौशितकी A B C D (a) 2 3 1 4 (b) 4 3 1 2 (c) 1 2 3 4 (d) 3 1 2 4 |
उत्तर-(b) 4 3 1 2 व्याख्या-सही सुमेलन इस प्रकार है-
सूची-I (संहिता) सूची-II (उपनिषद्) A. ऋग्वेद –4. कौशितकी B. यजुर्वेद –3 कठ C. सामवेद –1 छान्दोग्य D. अथर्ववेद –2 मुण्डक स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास-झा एवं श्रीमाली
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765. निम्न में से कौन शुक्ल यजुर्वेद की संहिता है ?
(a) काठक संहिता (b) मैत्रायणीय संहिता (c) तैत्तिरीय संहिता (d) वाजसनेयी संहिता
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उत्तर- (d)उत्तर- वाजसनेयी संहिता शुक्ल यजुर्वेद की संहिता है। इसकी दो शाखाएँ काण्व और मध्यदिन हैं। अधिकांश विद्वान् शुक्ल यजुर्वेद को ही वास्तविक वेद मानते हैं। शुक्ल यजुर्वेद का केवल एक ब्राह्मण ग्रन्थ, शतपथ ब्राह्मण है। यह सबसे प्राचीन तथा सबसे बड़ा ब्राह्मण माना जाता है। इसके लेखक महर्षि याज्ञवल्क्य हैं। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति — के.सी. श्रीवास्तव
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766. ‘जलप्लवन की कथा, जिसमें एक अलौकिक मछली द्वारा मनु की रक्षा करने का विवरण है, सविस्तार कहाँ मिलती है ?
(a) ऋग्वेद संहिता में (b) वाजसनेयी संहिता में (c) शतपथ ब्राह्मण में (d) ऐतरेय ब्राह्मण में
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उत्तर-(c) व्याख्या- ‘जलप्लवन की कथा’ जिसमें एक अलौकिक मछली द्वारा मनु की रक्षा करने का विवरण है, सविस्तार शतपथ ब्राह्मण में मिलता है। शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मण ग्रन्थ है, जिसके दो पाठ-माध्यान्विन व काण्त उपलब्ध हैं। इसमें सौ अध्याय हैं, जिन्हें माध्यान्विन पाठ में चौदह काण्डों में विभाजित किया गया है। यह ब्राह्मण ऐतिहासिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है। स्त्रोत- वैदिक संस्कृति-डॉ. किरण कुमार थपलियाल
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767. शुनः शेष की कथा, जिसमें उसके पिता अजीगर्त द्वारा उसे हरिश्चन्द्र को बेच देने का वर्णन है, उपलब्ध है-
(a) ऐतरेय ब्राह्मण में (b) गोपथ ब्राह्मण में (c) श्वेताश्वतर उपनिषद् में (d) बृहदारण्यक उपनिषद् में
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उत्तर- (a)व्याख्या- शुनः शेष की कथा जिसमें उसके पिता अजीगर्त द्वारा उसे हरिश्चन्द्र को बेच देने का वर्णन है, ऐतरेय ब्राह्मण में उपलब्ध है।
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768. एक प्राचीन जैन स्तूप, जो ईसा की प्रारम्भिक शताब्दियों में समृद्ध स्थिति में था, पुरातात्विक उत्खननों से प्रकाश में आया है-
(a) मथुरा में (b) पावा में (c) वल्लभी में (d) वैशाली में
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उत्तर- (a) व्याख्या- एक प्राचीन जैन स्तूप, जो ईसा की प्रारम्भिक शताब्दियों में समृद्ध स्थिति में था, पुरातात्विक उत्खननों से मथुरा में प्रकाश में आया है। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति—के.सी. श्रीवास्तव
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769. प्राचीन तक्षशिला किन नदियों के मध्य स्थित है ?
(a) सिन्धु और झेलम (b) झेलम और चेनाब (c) चेनाब और रावी (d) रावी और व्यास
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उत्तर- (a) व्याख्या प्राचीन तक्षशिला सिन्धु और झेलम नदियों के मध्य स्थित है। वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिण्डी जिले में स्थित तक्षशिला प्राचीन समय में गान्धार राज्य की राजधानी थी। रामायण के अनुसार भरत ने अपने पुत्र तक्ष के नाम पर इस नगर की स्थापना की थी। महाभारत से पता चलता है कि परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने इसे जीता तथा यहीं अपना प्रसिद्ध नागयज्ञ किया था। तक्षशिला की इतिहास में प्रसिद्धि का कारण उसका ख्याति प्राप्त शिक्षा केन्द्र होना था। यहाँ अध्ययन करने के लिए दूर-दूर के विद्यार्थी आते थे जिनमें राजा तथा सामान्य-जन दोनों ही सम्मिलित थे। सबके साथ समानता का व्यवहार किया जाता था। कौशल के राजा प्रसेनजित, मग का राजवैद्य जीवक, सुप्रसिद्ध राजनीतिविद् चाणक्य, बौद्ध विद्वान वसुबन्धु आदि ने अपनी शिक्षा यहीं प्राप्त की थी। बौद्ध साहित्य से पता चलता है कि यह धनुर्विद्या तथा वैद्यक की शिक्षा के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी सैनिक शिक्षा यहीं पर ग्रहण की थी। तक्षशिला जैन-धर्म का भी तीर्थस्थल कहा गया है। पुरातन प्रबन्ध संग्रह में यहाँ के 105 जैन स्थलों का विवरण प्राप्त होता है। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति — के.सी. श्रीवास्तव
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770. उपनिषद्कालीन दार्शनिक राजाओं एवं उनके राज्य सम्बन्धी निम्न युग्मों में से कौन सही सुमेलित नहीं है ?
(a) अजातशत्रु –काशी (b) अश्वपति –मद्र (c) जनक –विदेह (d) प्रवाहण जैवलि –पांचाल
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उत्तर-चारों विकल्प गलत हैं। ● व्याख्या- दार्शनिक राजा –सम्बन्धित राज्य (a) अजातशत्रु –काशी (b) अश्वपति –मद्र (c) जनक — विदेह (d) प्रवाहण जैवलि– पांचाल
स्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति- के.सी श्रीवास्तव
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771. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-1(राज्य) सूची-11 (राजधानियाँ)
A. अश्मक 1. दन्तपुर B. अवन्ति 2. महिष्मती C. कलिंग 3. पोतन D. सौवीर 4. रोरुक
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उत्तर-(c) व्याख्या-सही सुमेलन इस प्रकार है-
सूची-I (राज्य) सूची-II (राजधानियाँ) A. अश्मक 3. पोतन B. अवन्ति 1. दन्तपुर C. कलिंग 2. महिष्मती D. सौवीर 4. रोरुक
स्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति- के.सी. श्रीवास्तव
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772. जिस विवाह में कन्या शुल्क देने की शर्त होती थी उसे कौटिल्य ने निम्न नाम दिया है-
(a) असुर (b) पैशाच (c) प्रजापत्य (d) राक्षस
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उत्तर- (a) व्याख्या- जिस विवाह में कन्या शुल्क देने की शर्त होती थी उसे कौटिल्य ने असुर विवाह कहा है। जबकि पैशाच विवाह प्रायः विश्वासघात द्वारा किया जाता था। प्रजापत्य विवाह में बिना लेन-देन के योग्य वर से विवाह होता था। राक्षस विवाह में पराजित राजा की पुत्री, बहन या पत्नी से उसकी इच्छा के विरुद्ध विवाह किया जाता था। स्मृतियों में बहन विवाह, दैव विवाह, आर्ष विवाह, प्रजापत्य विवाह ये चार विवाह ही मान्यता प्राप्त हैं। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास-झा एवं श्रीमाली
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773. अशोक के अभिलेखों में उल्लिखित, उसका समकालीन तुरमय, कहाँ का राजा था ?
(a) अफगानिस्तान (b) मित्र (c) मेसीडोनिया (d) सीरिया
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उत्तर-(b) व्याख्या- अशोक के अभिलेखों में उल्लिखित, उसका समकालीन तुरमय मिस्र का राजा था। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति—के.सी. श्रीवास्तव
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774. किसके समीप एक कुषाण देवकुल प्राप्त हुआ था ?
(a) जलन्धर (b) स्यालकोट (c) मथुरा (d) मुल्तान
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उत्तर-(c) व्याख्या -मथुरा के समीप एक कुषाण देवकुल प्राप्त हुआ था। भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा प्राचीन भारत की प्रसिद्ध नगरी थी। रामायण के अनुसार ‘मधु’ नामक दैत्य ने इस नगर को स्थापित किया जिससे इसे ‘मधुपुर’ कहा गया। महाभारत के समय मथुरा शूरसेन महाजनपद की राजधानी थी। कुषाण काल में यहाँ कला की एक स्वतन्त्र शैली विकसित हुई जिसके अन्तर्गत बुद्ध तथा बोधिसत्त्व मूर्तियों का निर्माण हुआ, कनिष्क के शासन का पश्चिमी केन्द्रीयहीं था जहाँ का शासक महाक्षत्रप (खरंपल्लान था। विम कडफिसेस तथा कनिष्क की मूर्तियाँ भी मथुरा से मिलती हैं। स्त्रोत-प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति — के.सी. श्रीवास्तव
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775. यौधेय सिक्कों पर किस देवता का चित्रण हुआ है ?
(a) इन्द्र (b) शिव (c) वासुदेव (d) कार्तिकेय
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उत्तर- (d) व्याख्या-यौधेय सिक्कों पर कार्तिकेय देवता का चित्रण हुआ है। कार्तिकेय शिव के पुत्र, जिनकी तुलना दक्षिण भारतीय देवता सुब्रह्मणयम के साथ की जाती है। मयूर, पर आरुढ़ कार्तिकेय की मूर्तियां विभिन्न रूपों में प्राप्त होती है। स्त्रोत-प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति—के.सी. श्रीवास्तव |