History MCQ / G.K. Free Practice Set -33 # इतिहास अभ्यास प्रश्न सेट-33

History MCQइतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। यह UPSC/UPPSC/BPSC/SSC CGL/NTA NET HISTORY/RAILWAY इत्यादि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है। यह श्रंखला का लक्ष्य 1000 प्रश्नों का है। अतः सब्सक्राइव कर ले एवम् इसका लाभ उठाए।इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं

History Practice set
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History MCQ/GK Free Practice Set -33 (801-825)

801. अभिजात्य के निम्नलिखित नस्लीय गुटों में से कौन एक ‘अजम’ में मंगोल आक्रमण के कारण दिल्ली आया था ?

(a) तुर्क
(b) ताजिक
(c) अबीसिनियाई
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
 
उत्तर-(b) व्याख्या- अभिजात्य के नस्लीय गुटों में ताजिक ‘अजम’ में मंगोल आक्रमण के कारण दिल्ली आया था। स्त्रोत-मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा  
802. किसे भारत का तोता कहा जाता है ?  

(a) अमीर खुसरो
(b) मीराबाई
(c) रसखान
(d) अबुल फजल  
उत्तर- (a)व्याख्या–अमीर खुसरो को भारत का तोता कहा जाता है।  खुसरो का मूल नाम (मुहम्मद हसन) था। उनका जन्म इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। यह मध्यकालीन भारत के महान् कवि थे। यह बलबन के काल से ही शाही सेवा में आ गए थे तथा इन्होंने ग्यासुद्दीन तुगलक तक 7 सुल्तानों का शासनकाल देखा। खुसरो की ऐतिहासिक महत्त्व की रचना में किरानुस्सादेन नूह सिपिहर, खजाइनुल फतूह या तारीख-ए-अलाई देवल देवी-खिज्र खाँ तथा तुगलकनामा प्रमुख है। उन्होंने पाँच दिवान तथा पाँच खम्सों की भी रचना की है। संगीत के क्षेत्र में खुसरो ने आवाज-ए-खुराखी नामक ग्रन्थ लिखे तथा अनेक नवीन रागों का आविष्कार किया। वे हिन्दवी भाषा में लिखने वाले प्रथम कवि थे। अलाउद्दीन ने उससे ‘भारत शुक की उपाधि प्रदान की। इसकी मृत्यु 1325 ई. में हुई।
803. सुप्रसिद्ध हजाराराम मन्दिर का निर्माण किसने करवाया था?

(a) हरिहर I
(b) कृष्णदेव राय
(c) नरसिंह सलुवा
(d) देवराय
उत्तर-(b)व्याख्या सुप्रसिद्ध हजाराराम मन्दिर का निर्माण कृष्णदेव राव करवाया था। कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य में महानतम् एवं भारत के महान् शासकों में था। उन्होंने विजयनगर साम्राज्य को समृद्ध और गौरव के चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया। कृष्णदेव राय एक महान् सेनानायक एवं विजेता ही नहीं अपितु एक महान प्रशासक भी था। उन्होंने अपने प्रसिद्ध तेलुगू ग्रन्थ आयुक्तमाल्यद में अपने राजनीतिक विचारों और प्रशासकीय नीतियों का विवेचन किया है। एक महान प्रशासक होने के साथ-साथ वह एक महान विद्वान, विद्या प्रेमी और विद्वानों का उदर संरक्षक भी था जिसके कारण वे अभिनव भोज के रूप में प्रसिद्ध हैं। उसका शासनकाल तेलुगू साहित्य का क्लासिकी युग माना जाता है। उसके दरबार को तेलुगू के आठ महान् विद्वान् एवं कवि (जिन्हें अष्टदिग्गज कहा जाता है, सुशोभित करते थे। अतः उसे आन्ध्र भोज कहा जाता है। अष्टदिग्गज तेलुगू कवियों में पेड़डाना सर्वप्रमुख थे। उन्होंने अनेक मन्दिरों, मण्डपों, तालाबों आदि का निर्माण कराया अपनी राजधानी विजयनगर के निकट तथा नागलापुर नामक नगर की स्थापना की। उसने हजाराराम मन्दिर के अतिरिक्त विठ्ठल स्वामी के मन्दिर का निर्माण कराया। बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में  कृष्णदेव राय को भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक बताया।
804. निम्नलिखित तेलुगू लेखकों में से किसे विजयनगर के शासक देवराय के हाथों कनकाभिषेक से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त है ?  

(a) भैरव कवि
(b) नन्दी मल्लय
(c) पोतन
(d) श्रीनाथ
उत्तर- (d) व्याख्या-तेलुगू लेखक श्रीनाथ को विजयनगर के शासक देवराय द्वितीय के हाथों कनकाभिषेक से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त है। भारत-एल.पी. शर्मा स्त्रोत-मध्यकालीन  
805. विजयनगर साम्राज्य के काल में निम्न में से किस नृत्य परम्परा का विकास हुआ ?

(a) भरतनाट्यम
(c) कथकली
(b) मोहिनीअट्टम
(d) यक्षगान
उत्तर- (d) व्याख्या-विजयनगर साम्राज्य के काल में यक्षगान नृत्य परम्परा का विकास हुआ। इस साम्राज्य के नाटक एवं संगीतमय अभिनय (यक्षगान) का प्रचलन था। बोमानाट (छाया नाटक)} काफी सराहा जाता था। शतरंज, जुआ व पासे के खेल का प्रचलन भी यहाँ पर था।  स्त्रोत-मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा  
806. निम्नलिखित में से किसने ‘रामचन्द्रिका’ और ‘रसिकप्रिया’ जैसी प्रसिद्ध कृतियों की रचना की थी ?  

(a) केशव दास
(b) मतिराम
(c) सेनापति
(d) रसखान  
उत्तर- (a) व्याख्या- ‘रामचन्द्रिका’ और ‘रसिकप्रिया’ जैसी प्रसिद्ध कृतियों की रचना केशव ने की थी। केशवदास हिन्दी के एक महान् कवि थे। उनका जन्म 1555 ई. में एक सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास के दुर्व्यवहार से खिन्न होकर इन्होंने एक ही रात में ‘रामचन्द्रिका’ की रचना की थी। इनके अन्य ग्रन्थों में ‘कवि प्रिया’ रसिकप्रिया वीरसिंह देवरचित, रतन बारनी, जहाँगीर चन्द्रिका आदि प्रमुख हैं। इनकी भाषा ब्रज भाषा है। तथापि कहीं-कहीं बुन्देशिखण्ड शब्द भी प्रयुक्त किए गए हैं। इनकी काव्य शैली संस्कृत से प्रेरित है। इनकी भाषा अत्यधिक जटिल तथा क्लिष्ट है तथा अपनी काव्य की इस विशेषता के कारण ही इन्हें कठिन काव्य का प्रेत भी कहा गया है।
807. निम्नलिखित कृतियों में से कौन हुमायूँ की खगोल एवं ज्योतिष में रुचि को प्रदर्शित करती है ?

(a) तारीख- ब-ए-सलातीन-ए-अफगाना
(b) तारीख-ए-रशीदी
(c) कानून-ए-हुमायूँनी
(d) तजकिरात-उल-वाक्यात  
उत्तर-(c) व्याख्या- कानून-ए-हुमायूँनी हुमायूँ की खगोल एवं ज्योतिष में रुचि को प्रदर्शित करती है। स्त्रोत-मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा
 
808. भारत में हुए अपने किस महत्त्वपूर्ण युद्ध के पूर्व बाबर ने ‘तमगा’ कर समाप्त करने की घोषणा की थी ?

(a) पानीपत
(b) खानवा
(c) चन्देरी
(d) इनमें से कोई नहीं  
उत्तर-(b) व्याख्या-खानवा युद्ध के पूर्व बाबर ने ‘तमगा’ कर समाप्त करने की घोषणा की थी। खानवा का युद्ध बाबर एवं मेवाड़ के राणा सांगा के मध्य हुआ था। बाबर सम्पूर्ण भारत को रौंदना चाहता था, राणा सांगा तुर्क अफगान राज्य के खण्डरों के अवशेष पर एक हिन्दू राज्य की स्थापना करना चाहता था। परिणामस्वरूप दोनों सेनाओं के मध्य 17 मार्च, 1527 से युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में राणा सांगा का साथ मारवाड़, अम्बर, ग्वालियर, अजमेर हसन खां मेवाती, वसीन चंदेरी एवं इब्राहिम का भाई महमूद लोदी दे रहे थे। युद्ध में राणा के संयुक्त मोर्चे की खबर से बाबर के सैनिकों का मनोबल गिरने लगा। बाबर ने अपने सैनिकों के उत्साह को बढ़ाने के लिए शराब पीने और बेचने पर प्रतिबन्ध की घोषणा कर शराब के सभी पात्रों को तुड़वा कर शराब न पीने की कसम ली, उसने ‘तमगा कर’ मुसलमानों से न लेने की घोषणा की, जैसा कि तमगा एक प्रकार का व्यापारिक कर था जिसे राज्य द्वारा लगाया जाता था। साथ ही बाबर ने राणा सांगा के विरुद्ध ‘जिहाद’ का नारा दिया था। खानवा के युद्ध को जीतने के बाद बाबर ने ‘गाजी’ की उपाधि धारण की। स्त्रोत-मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा  
809. बाबर के उत्तराधिकारी के रूप में प्रधानमन्त्री मीर खलीफा हुमायूँ के स्थान पर किसका पक्षधर था ?

(a) मिर्जा सुलेमान
(b) मिर्जा कामरान
(c) मिर्जा अस्करी
(d) मेंहदी ख्वाजा  
उत्तर (d) व्याख्या-बाबर के उत्तराधिकारी के रूप में प्रधानमन्त्री मीर खलीफा हुमायूँ के स्थान पर मेंहदी ख्वाजा का पक्षधर था। मेंहदी ख्वाजा बाबर की बड़ी पुत्री खानजादा बेगम का पति तथा हुमायूँ का बहनोई था । इसका उल्लेख बाबर के वजीर निजामुद्दीन खलीफा द्वारा रचे गए उस षड्यन्त्र के सन्दर्भ में आता है, जो उसने हुमायूँ को गद्दी से वंचित करने के लिए रचा था। खलीफा हुमायूँ को गद्दी के अयोग्य समझता था तथा उसके स्थान पर मेंहदी ख्वाजा को गद्दी पर बैठाना चाहता था। ख्वाजा एक योग्य एवं अनुभवी सरदार था तथा बाबर के समय में उसने 20 वर्ष तक युद्धों में भाग लिया था, किन्तु खलीफा को अपने षड्यन्त्र में सफलता नहीं मिल सकी और 30 दिसम्बर, 1530 को हुमायूँ गद्दी पर बैठा। स्त्रोत-मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा
810. निम्नलिखित युग्मों में से कौन एक सही सुमेलित नहीं है ?

(a) बाबर — चन्देरी का युद्ध
(b) हुमायूँ — चौसा का युद्ध
(c) जहाँगीर– धरमत का युद्ध
(d) शेरशाह –मारवाड़ का युद्ध  
 
उत्तर-(c)  व्याख्या- -धरमत का युद्ध 1658 ई. में दारा बनाम औरंगजेब व मुराद के बीच हुआ था जिसमें औरंगजेब व मुराद की संयुक्त सेना की विजय हुई। उज्जैन से 14 मील दूर धरमत नामक स्थान पर औरंगजेब और मुराद की सम्मिलित सेवाओं का जसवन्त सिंह और कासिम खाँ के नेतृत्व में शाही सेना से मुकाबला हुआ। जिसमें शाही सेना की पराजय हुई। इस युद्ध में शाही सेना के कासिम खाँ का व्यवहार सन्देहजनक था। धरमत के युद्ध से पराजित होकर जब जसवन्त सिंह जोधपुर लौटे, तो उसकी रानी ने युद्ध क्षेत्र से भागने के अपराध में उन्हें. किले में नहीं घुसने दिया। औरंगजेब ने इस विजय की स्मृति में फतेहाबाद नगर की स्थापना की। स्त्रोत-मध्यकालीन भारत, भाग दो-हरिश्चन्द्र वर्मा
811. शेरशाह के शासनकाल में कुख्यात काजी फजीहत अथवा काजी फजीलत कौन था ?  

(a) बंगाल का गवर्नर
(b) काजी-ए-लश्कर (सेना का काजी)
(c) काजी-उल-कुज्जात (सल्तनत का प्रमुख काजी)
(d) बंगाल का काजी  
उत्तर- (a)  व्याख्या— शेरशाह के शासनकाल में कुख्यात काजी फजीहत अथवा काजी फजीलत बंगाल का गवर्नर था। स्रोत- मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा  
812. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए. कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-

सूची-I (स्मारक)                       सूची-II (निर्माता)

A. बुलन्द दरवाजा, फतेहपुर सीकरी           1. अलाउद्दीन खिलजी
B. अलाई दरवाजा, दिल्ली-                          2. अकबर
C. मोती मस्जिद, दिल्ली             3. शाहजहाँ
D. मोती मस्जिद, आगरा                            4. औरंगजेब            
उत्तर-(b) व्याख्या-सही सुमेलन इस प्रकार है।

सूची-I (स्मारक)     सूची-II (निर्माता)
A. बुलन्द दरवाजा, फतेहपुर सीकरी 2. अकबर
B. अलाई दरवाजा, दिल्ली 1. अलाउद्दीन खिलजी
C. मोती मस्जिद, दिल्ली4. औरंगजेब
D. मोती मस्जिद, आगरा 3. शाहजहाँ

स्रोत- मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा  
813. किस वर्ष डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने मसूलीपट्टम में अपना कारखाना स्थापित किया ?

(a) 1556 ई.
(b) 1600 ई.
(c) 1605 ई.
(d) 1610 ई.  
उत्तर-(c) व्याख्या-1605 ई. में डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने मसूलीपट्टम में अपना कारखाना स्थापित किया। भारत में डचों द्वारा स्थापित कोठियाँ- मसूलीपट्टम आन्ध्र प्रदेश-1605 ई. पुलीकट मिला बाद में नाम फोर्ट गेल्या) 1610 ई. सूरत-गुजरात-1616 ई. विमलिपट्टम – आध्र प्रदेश – 1641 ई. कराईकल तमिलनाडु 1645 ई. चिनसुरा— बंगाल- 1653 ई. कासिम बाजार-बंगाल पटना-बिहार बालासोर – उड़ीसा नेगापट्टम – 1658 ई. कोचीन—केरल-1663 ई. स्त्रोत-मध्यकालीन भारत, भाग दो-हरिश्चन्द्र वर्मा
814. निम्नलिखित में से कौन अकबर के समय में लिखा गया/लिखे।

1. हुमायूँनामा
2. तारीखे शेरशाही
3. अकबरनामा
4. मुन्तखाब-उत- तवारीख

कूट :
(a) 1 और 3
(b) 2, 3 और 4  
(c) केवल 3
(d) 1, 2, 3 और 4  
उत्तर- (d)  व्याख्या – हुमायूँनामा, तारीखे शेरशाही, अकबरनामा, मुन्तखाब-उत-तवारीख, ये सभी ग्रन्थ अकबर के शासनकाल में लिखे गए हैं। हुमायूँनामा बादशाह अकबर के आग्रह पर बाबर की पुत्र ‘गुलबदन बेगम’ ने इस ग्रन्थ की रचना फारसी भाषा में की थी, जिसके एक भाग में बाबर का इतिहास तथा दूसरे भाग में हुमायूँ के इतिहास का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त इस पुस्तक से तत्कालीन सामाजिक स्थिति पर भ प्रकाश पड़ता है। अब्बास खाँ सारबानी ने अकबर के आदेश पर इस ग्रन्थ को फारसी भाषा में लिखा। इस ग्रन्थ का कुछ ही भाग उपलब्ध हो सका। तब भी जो कुछ उपलब्ध है उसमें शेरशाह के जीवन-चरित्र और शासन-प्रबन्ध पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। अकबरनामा तीन जिल्दों में बँटी एवं 7 वर्ष के कठिन परिश्रम के उपरान्त 1597-98 ई. में पूर्ण होने वाली यह पुस्तक अबुल फजल द्वारा रचित है। ‘आइने अकबरी’ इस पुस्तक की अन्तिम जिल्द है। प्रथम जिल्द में अकबर के जन्म से आरम्भ होकर 15 सितम्बर, 1572 में खत्म होती है। इसमें अकबर के जीवन के प्रारम्भिक 30 वर्षों का उल्लेख है। 1590 ई. में प्रारम्भ अब्दुल कादिर बदायूँनी द्वारा रचित यह पुस्तक हिन्दुस्तान के आम इतिहास के रूप में जानी जाती है जो तीन भा विभाजित है। पुस्तक का रचयिता बदायूँनी अकबर की उदार धार्मिक नीतियों का कट्टर विरोधी होने के कारण अकबर द्वारा लागू की गई। उसकी हर नीति को इस्लाम धर्म के विरुद्ध साजिश समझता था।
815. अकबर के शासनकाल की निम्नलिखित घटनाओं को कालानुक्रमानुसार व्यवस्थित कीजिए-

1. उज्बेक विद्रोह
2. दाग प्रथा का प्रारम्भ
3. काश्मीर विजय
कूट:
(a) 1, 2 और 3         
(b) 2, 1 और 3
(c) 3,2 और 1          
(d) 2, 3 और 1  
उत्तर- (a) व्याख्या-अकबर के शासनकाल में उज्बेगों का विद्रोह 1564 ई. में हुआ। अज्बेग वर्ग पुराने अमीर थे। इस वर्ग के प्रमुख विद्रोही नेता थे जौनपुर के सरदार खान जमान, उसका भाई बहादुर खाँ एवं चाचा इब्राहिम खाँ, मालवा का सूबेदार अब्दुल्ला खाँ, अवध का सूबेदार खाने आलम आदि। ये सभी विद्रोही सरकार अकबर की अधोत स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे।  
816. निम्नलिखित मुगल शासकों में से किसने साम्राज्य के प्रमुख ‘सद्र’ को अपदस्थ किया था ?

1. अकबर
2. जहाँगीर
3. शाहजहाँ
4. औरंगजेब
कूट:
(a) 1 और 3        
(b) 2 और 3
(c) 1 और 4        
(d) 1 और 2
उत्तर-(c) व्याख्या-मुगल शासकों में अकबर और औरंगजेब ने साम्राज्य के प्रमुख ‘सद्र’ को अपदस्थ किया था। यह धार्मिक मामलों, धार्मिक धन सम्पत्ति एवं दान विभाग का प्रधान होता था। शरीयत की रक्षा करना इसका मुख्य कर्त्तव्य था। इसके अतिरिक्त उलमा की कड़ी निगरानी शिक्षा, दान एवं न्याय विभाग का निरीक्षण करना भी इसके कर्त्तव्यों में शामिल था। साम्राज्य के प्रमुख सद्र को सद्र-उस- सुदूर एवं सद्र-ए-कुल कहा जाता था। जब कभी सद्र न्याय विभाग के प्रमुख का कार्य करता था। तब उसे ‘काजी’ (काजी-उल-कुजात) कहा जाता था। सद्र दान में दी जाने वाली लगानहीन भूमि का भी निरीक्षण करता था। इस भूमि को ‘सयूरगल’ या ‘मदद-ए-माश’ कहा जाता था। त्रोत-मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा
817. जहाँगीर की मृत्यु के बाद, आसफ खाँ ने किसे मुगल बादशाह घोषित किया था जिससे अन्ततोगत्वा खुर्रम (शाहजहाँ का सिंहासनारोहण सुनिश्चित हो सके ?  

(a) शहरयार
(b) दावर बख्श
(c) तहमूर्स
(d) होशंग  
उत्तर-(b) व्याख्या- जहाँगीर की मृत्यु के बाद, आसफ खाँ ने ‘दावर बख्श’ को मुगल बादशाह घोषित किया था जिसमें अन्ततोगत्वा खुर्रम (शाहजहाँ) का सिंहासनारोहण सुनिश्चित हो सके। ‘दावर बख्श’ जहाँगीर के पुत्र खुसरो का पौत्र था। जब 1627 ई. में जहाँगीर की मृत्यु हुई उस समय खुरंम (शाहजहां) दक्षिण में था तथा नूरजहाँ अपने दामाद शहरयार को गद्दी पर बैठाने का प्रयत्न कर रही थी। अतः खरंम के श्वसुर आसफ खाँ ने दावर बख्श को गद्दी पर बैठा दिया, क्योंकि खुर्रम के पहुँचने तक सिंहासन को खाली नहीं रखा जा सकता था। लाहौर के समीप खुर्रम ने नूरजहाँ की सेना को परास्त किया। उसने आगरा पहुँचकर स्वयं को सम्राट घोषित कर दिया तथा दावर बख्श को हटा दिया। 19 जनवरी, 1628 ई. को शाहजहाँ के नाम का खुत्बा पढ़ा गया तथा उसी दिन दावर बख्श को कैद में डाल दिया गया। दो दिन पश्चात् शाहजहाँ के आदेश पर आसफ खाँ ने दावर बख्श का वध करवा दिया। इस प्रकार सत्ता की राजनीति में निर्दोष दावर बख्श बेमौत मारा गया। स्रोत-मध्यकालीन भारत
818. खुर्रम ने अपने विद्रोह के बाद समर्पण की शर्तों की अनुपालना में किन दो पुत्रों को जहाँगीर के दरबार में भेजा था ?  

(a) मुराद और औरंगजेब
(b) मुराद और शाह शुजा
(c) शाह शुजा और औरंगजेब
(d) दारा और औरंगजेब  
उत्तर- (d) व्याख्या-खुर्रम ने अपने विद्रोह के बाद समर्थन की शर्तों की अनुपालना में दारा और औरंगजेब को जहाँगीर के दरबार में भेजा था। शाहजहाँ को जब इस बात का अहसास हुआ कि नूरजहाँ उसके प्रभाव को कम करना चाह रही है तो उसने जहाँगीर द्वारा कान्धार दुर्ग पर आक्रमण कर उसे जीतने के आदेश की अवहेलना करते हुए 1623 ई.. में खुसरो खाँ का वध कर दक्कन में विद्रोह कर दिया। उसके विद्रोह को दबाने के लिए नूरजहाँ ने आसफ खाँ को न भेज कर महावत खाँ को शहजादा परवेज के नेतृत्व में भेजा। उन दोनों ने सफलतापूर्वक शाहजहाँ के विद्रोह को कुचल दिया। शाहजहाँ ने पिता जहाँगीर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और उसे क्षमा मिल गई। 1625 ई. तक शाहजहाँ का विद्रोह पूर्णतः शान्त हो गया। स्रोत- मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा  
819. शाहजहाँ कालीन स्थापत्य की दो प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं ?

1. संगमरमर का प्रयोग
2. घुमावदार मेहराब
3. सादगी
4. धरनियों (लिन्टेल) का प्रयोग
कूट :
(a) 1 और 3          
(b) 1 और 2           
(c) 1 और 4          
(d) 2 और 3  
उत्तर-(b) व्याख्या – शाहजहाँ कालीन स्थापत्य की दो प्रमुख विशेषताएँ संगमरमर का प्रयोग व घुमावदार मेहराब थीं। शाहजहाँ का काल सफेद संगमरमर के प्रयोग का चरमोत्कर्ष काल माना जाता है। इस समय संगमरमर जोधपुर के ‘मकराना’ नामक स्थान से मिलता था, जो वृत्ताकार कटाई के लिए अधिक उपयुक्त था। नक्काशी युक्त या पर्णिल मेहराबें बंगाली शैली के मुड़े हुए कंगूरे जगले के खम्भे अदि शाहजहाँ के काल की विशेषताएँ हैं। शाहजहाँ के काल की इमारतें अतिव्ययपूर्ण प्रदर्शन एवं समृद्ध और कौशलपूर्ण सजावट में वे बढ़ी हुई हैं, जिससे शाहजहाँ की वास्तुकला ‘एक अधिक बड़े पैमाने पर रत्नों के सजाने की कला बन जाती है।’ शाहजहाँ के समय निर्मित कुछ प्रुमख इमारतें निम्नलिखित हैं-दीवाने-आम, दीवाने-खास, मोती मस्जिद, जामा मास्जिद, ताजमहल।
820. दारा शिकोह की तरह कौन ‘वेदों को (ईश्वर द्वारा) ‘प्रकट पुस्तक’ मानता था ?

(a) शेख अब्दुल हक्क (कादिरिया)
(b) मिर्जा मजहर जान-ए-जहाँ (नक्शबन्दिया)
(c) शेख कलीमुद्दीन (चिस्तिया)
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं नहीं
उत्तर-(b) व्याख्या- दारा शिकोह की तरह मिर्जा मजहर जान-ए-जहाँ (नक्शबन्दिया) ‘बेदी’ को (ईश्वर द्वारा) ‘प्रकट पुस्तक’ मानता था। स्त्रोत-मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा  
821. निम्नलिखित में से कौन एक पुरन्धर की सन्धि (1655 ई.) की शर्त नहीं थी ?

(a) शिवाजी अपने 23 दुगों का समर्पण कर देंगे
(b) शिवाजी के पुत्र शम्भाजी गुगल दरबार में भेज दिए जाएँगे
(c) शम्भाजी को 5000 का मनसब दिया जाएगा
(d) बीजापुर के विरुद्ध मुगलों के अभियान में शिवाजी की सहायता अपेक्षित नहीं होती है  
उत्तर- (d) व्याख्या-पुरन्धर की सन्धि 24 अप्रैल, 1665 को शिवाजी एवं जयसिंह के मध्य हुई। सन्धि की शर्तों के अनुसार- हूण प्रतिवर्ष थी, देने थे। 1. शिवाजी को मुगलों को अपने 23 किले जिनकी आमदनी 23 लाख 2. सामान्य आय वाले (लगभग ₹1 लाख वार्षिक) 12 किले शिवाजी को अपने पास रखने थे। 3. शिवाजी ने मुगल सम्राट औरंगजेब की सेवा में अपने पुत्र शम्भाजी को भेजने की बात मान ली एवं मुगल दरबार में शम्भाजी को 5000 का मनसब एवं उचित जागीर देना स्वीकार किया गया। 4. मुगल सेना को बीजापुर पर सैन्य अभियान के समय शिवाजी को मुगल सेना की सहायता करनी थी और बदले में उसे कोकण एवं बालाघाट की जागीरें प्राप्त होती, जिसके लिए शिवाजी को मुगल दरबार को 40 लाख हूण देना था। इस सन्धि के बाद औरंगजेब ने शिवाजी को पर ‘फरमान’ एवं खिलअत’ भेंट किया था।
822. मराठों के उत्कर्ष में निम्नलिखित में से कौन एक कारक उत्तरदायी नहीं था ?  

(a) महाराष्ट्र की भौगोलिक एवं सामाजिक-धार्मिक विशेषताएँ
(b) महाराष्ट्र धर्म
(c) मुगल दरबार से दूरी
(d) दक्खन के कुतुबशाही शासकों द्वारा प्रदत्त प्रश्रय  
उत्तर-(c) व्याख्या-मुगल दरबार से दूरी मराठों के उत्कर्ष के लिए उत्तरदायी नहीं थी। मराठों के उत्कर्ष के कारणों में महत्त्वपूर्ण कारण थे—महाराष्ट्र की भौगोलिक स्थिति, चूँकि यह प्रदेश अधिकांशतः पहाड़ों, नदियों, जंगलों एवं अनुपजाऊ भूमि वाला क्षेत्र था, इसलिए यहाँ के लोग जुझारू व्यक्तित्व के धनी थे। दूसरा कारण पहाड़ी प्रदेश के निवासी होने के कारण मराठे स्वस्थ एवं बलिष्ठ होते हैं। चूँकि मराठे पहाड़ी क्षेत्रों में रहते थे इसलिए ये छापामार युद्ध शैली (गुरिल्ला युद्ध) में काफी निपुण थे। 16 वीं एवं 17वीं शताब्दी में हुए धार्मिक आन्दोलनों ने महाराष्ट्र में तुकाराम वामन पण्डित, रामदास एवं एकनाथ जैसे धर्म सुधारकों को जन्म दिया। इन सबके उपदेशों ने मराठों को एकता के सूत्र में बाँधने एवं देशभक्ति की भावना जगाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन धर्मोपदेशकों द्वारा महाराष्ट्र की भाषा ‘मराठी’ को अपने उपदेशों का माध्यम बनाने के कारण मराठी साहित्य का विकास हुआ। इस भाषा एवं साहित्य के विकास ने भी मराठों के उत्कर्ष में भूमिका निभाई। दक्षिण के मुस्लिम राज्यों के राजस्व विभाग में कार्यरत मराठों को शासन कला तथा युद्ध कला की शिक्षा उन्हीं राज्यों से मिली थी। शाह जी भोंसले मुशरराव, मदन पण्डित और राजराय परिवार के सदस्यों ने भारतीय इन मुस्लिम राज्य में सूबेदार, मन्त्री, दीवान आदि धारण किया था। गोलकुण्डा बीदर और बीजापुर के नाममात्र के मुसलमान शासक महत्त्वपूर्ण: सैनिक एवं असैनिक दोनों विभागों की कुशलता सरदारों पर निर्भर थे। इस प्रकार मराठा शक्ति के उत्कर्ष में औरंगजेब की हिन्दू विरोधी नीति का ही परिणाम था कि शिवाज ‘हिन्दू पदशाही’ एवं ‘हिन्दुत्व ‘धर्मोद्धारक’ की उपाधि ब्रह्मणों की रक्षा की कसम खाई जो मराठा उत्कर्ष का एक कारण है। ग्रहण कर राज्यों की भूमिका निर्विवाद है। स्त्रोत- मध्यकालीन भारत-एल.पी. शर्मा
823. वह मराठा सरदार कौन था जिसने लाहौर पर अधिकार कर लिया थोड़े समय के लिए पंजाब को मराठा आधिपत्य में ले लिया ?  

(a) रघुनाथ राव
(b) माधव राव
(c) सदाशिव राव भाउ
(d) विश्वास राव                      
     
उत्तर- (a) व्याख्या- वह मराठा सरदार रघुनाथ राव थे जिन्होंने लाहौर अधिकार कर लिया और थोड़े समय के लिए पंजाब की आधिपत्य में ले लिया। रघुनाथ राव महान् पेशवा बाजीराव-1 का था। उसने अनेक सैन्य अभियान संचालित किए तथा अटक तक मराठ झण्डा फहराया। 1761 ई. में पानीपत की भीषण विपत्ति से किसी भी बच निकला था। 1761 ई. में माधवराव के पेशवा बनने पर वह भ मसोसकर रह गया तथा नए पेशवा ने कुशलता के साथ राघोबा नियन्त्रण रखा। 1772 ई. में जब नारायण राव पेशवा बने तो रामाय अपने स्तर पर उतर आया और नारायण राव की हत्या करके पेशवा क गया। किन्तु कुछ ही समय बाद नारायण राव की विधवा गंगाबाई माधवराव नारायण नामक पुत्र को जन्म दिया। नाना फड़नवीस नेतृत्व में एक संरक्षक दल ने इस नवजात शिशु को पेशवा बना दिया तथा राघोबा को महाराष्ट्र से खदेड़ दिया। राघोबा ने अंग्रेजों की शर ली तथा 6 मार्च, 1771 ई. को उनसे सूरत की सन्धि कर ली। जिसके अनुसार उसने मराठा स्वतन्त्रता को एक प्रकार से अंग्रेजों के हाथों बे दिया। इसके पश्चात् प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-82) हुअ जिसका अन्त सालबाई की सन्धि (1782) से हुआ, जिसके अनुसा माधवराव नारायण को पेशवा मान लिया गया तथा राघोबा को पेन्शन दी गई। पेन्शन का उपभोग करते हुए ही राघोबा की मृत्यु हो गई। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास- यशपाल एवं ग्रोवर
824. निम्नलिखित मराठा सरदारों में से किसने बादशाह फर्रुखसियर के सिंहासन से अपदस्थ करने में सैयद बन्धुओं की सहायता की थी ?  

(a) बालाजी विश्वनाथ
(b) बाजीराव
(c) रामचन्द्र पन्त
(d) राजा राम I  
उत्तर- (a) व्याख्या– मराठा सरदार बालाजी विश्वनाथ ने बादशाह फर्रुखसियर के सिंहासन से अपदस्थ करने में सैयद बन्धुओं की सहायता की थी। वह प्रथम मराठा पेशवा था। वह एक निर्धन परिवार में पैदा हुआ था। उस उत्तराधिकार युद्ध में शाहू का साथ दिया तथा खेड़ा के विजय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1713 ई. में ‘युद्ध विश्वनाथ को पेशवा पद पर नियुक्त किया। उसने 1718 ई. में मुगलो ने शाहू के साथ सन्धि की जिसके अनुसार मराठों को दक्षिण में चौथ व सरदेशमुखी की वसूली का अधिकार मिल गया। वह 1719 ई. में सैयद बन्धुओं के साथ दिल्ली भी गया तथा सत्ता संघर्ष में उनका साथ दिया। इस प्रकार उसने मराठा शक्ति को दृढ़ किया 1720 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
825. किस वर्ष अवध का नवाब वास्तविक रूप से मुगल आधिपत्य से स्वतन्त्रत हो गया ?  

(a) 1740
(b) 1753
(c) 1756
(d) 1765  
उत्तर-(b) व्याख्या-1753 ई. में अवध का नवाब वास्तविक रूप में मुगल आधिपत्य से स्वतन्त्र हो गया था। स्त्रोत- आधुनिक भारत का इतिहास-यशपाल एवं प्रोवर  
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