History practice PYQ Set-10 # इतिहास अभ्यास प्रश्न सेट-10

इतिहास के 25 प्रश्न के श्रृंखला की शुरुआत की गई है। इससे आप अपने तैयारी की जांच कर सकते हैं। साथ ही यह सभी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।इसके pdf को आप हमारे वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं

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History G.K/ MCQ free practice set 

226. जैन मत में संधारासे तात्पर्य है-

(a) उपवास द्वारा प्राण त्यागने का एक अनुष्ठान

(b) सभा

(c) तीर्थंकरों की शिक्षा

(d) उत्कृष्ट मार्ग

उत्तर- (a) व्याख्या- जैन मत में संथारा का तात्पर्य उपवास द्वारा प्राण त्यागने का अनुष्ठान से है।

 

227. घोषाल की महावीर स्वामी से सर्वप्रथम मुलाकात हुई थी-

(a) चम्पा में                        (b) वैशाली में

(c) तक्षशिला में         (d) नालन्दा में

 

 

उत्तर- (d) व्याख्या- घोषाल की महावीर स्वामी से सर्वप्रथम मुलाकात नालन्दा में हुई थी। घोषाल इतिहास में मक्खलिपुत्त घोषाल के नाम से विख्यात है। ये नालन्दा में महावीर स्वामी से मिले तथा उनके शिष्य बन गए। किन्तु शीघ्र ही वे महावीर को छोड़कर चले गए तथा उन्होंने एक नवीन सम्प्रदाय की स्थापना की जिसे आजीवक सम्प्रदाय कहा गया है। घोषाल ने नियतिवाद अथवा भाग्यवाद के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनका मानना था कि संसार की प्रत्येक वस्तु भाग्य से नियन्त्रित है तथा व्यक्ति के कर्मों का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इनका मानना था किं प्राणी नियति के अधीन है। उसमें न काम है तथा न ही पराक्रम है।वह तो भाग्य के अनुसार सुख-दुःख भोगता रहता है। एन.सी.ई.आर.टी.

228. ‘प्रतीत्य समुत्पादका सिद्धान्त सम्बन्धित है-

(a) जैन धर्म से

(b) बौद्ध धर्म से

(c) आजीवक से

(d) चार्वाक से

उत्तर-(b) व्याख्या- प्रतीत्यसमुत्पादका सिद्धान्त बौद्ध धर्म से सम्बन्धित है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्यसमुत्पाद का अर्थ है-संसार की सभी वस्तुएँ कार्य एवं करण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति) ! प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है।

229. निम्नलिखित में से किस मौर्य स्तम्भ/ किन स्तम्भों पर सिंह शीर्ष का है ?

1. सारनाथ स्तम्भ                2. सांची स्तम्भ

3. कोलुहा स्तम्भ                  4. लौरिया नन्दनगढ़ स्तम्भ

नीचे दिए गए कूट से आप अपना सही उत्तर दीजिए-

(a) केवल 1

(b) 1 एवं 2

(c) 1, 2 एवं 3

(d) 1. 2. 3 एवं 4

 

उत्तर- (d) व्याख्या- उपरोक्त विकल्पों में से सारनाथ स्तम्भ एवं साँची स्तम्भ कोलुहा स्तम्भ एवं लौरिया नन्दनगढ़ स्तम्भ शीर्ष पर सिंह है।

230. अशोक ने गया जिले में बराबर पहाड़ी पर किसके लिए गुफाएँ खुदवाई थीं ?

(a) आजीवक                         (b) महासंधिक

(c) निगठ                               (d) थेरवादी

उत्तर- (a) व्याख्या- अशोक ने गया जिले में बराबर पहाड़ी पर आजीवक सम्प्रदाय के लिए गुफाएँ खुदवाई थी। राज्याभिषेक के 12वें वर्ष में अशोक ने बराबर पहाड़ियों में दो गुफाएँ आजीवकों को प्रदान की थी

231. निम्नलिखित में से किसे स्त्रीधनके लिए प्रथम उत्तराधिकारी माना जाता था ?

(a) पति

(b) पुत्र

(c) पुत्री

(d) पुत्र वधू

उत्तर-(c) व्याख्या-उपरोक्त में से पुत्री को स्त्रीधन के लिए प्रथम उत्तराधिकारी माना जाता था।

 

232. प्राचीनतम जैन कांस्य-मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं-

(a) चौसा से

(b) नालन्दा से

(d) उदयगिरी से

(c) श्रवणबेलगोला से

उत्तर- (8)व्याख्या प्राचीनकाल जैन कांस्य मूर्तियाँ चीसा से प्राप्त हुई है

233. निम्नलिखित में से किस राजपरिवार में पुरुष प्रायः ब्राह्मण धर्म का पालन करने वाले थे और स्त्रियाँ बौद्ध थी ?

(a) इक्ष्वाकु

(b) लिच्छवी

(c) पल्लव

(d) यौधेय

उत्तर- (a) व्याख्या इक्ष्वाकु राजपरिवार में पुरुष प्रायः ब्राह्मण धर्म का पालन करने वाले थे और स्त्रियाँ बौद्ध थीं। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास- एन.सी.ई.आर.टी.

 

234. निम्नलिखित में से कौन से बन्दरगाह दक्षिण भारत के पूर्वी तट पर स्थित थे ?

1. कावेरीपत्तनम

2. कोरकै

3. मुशिरि

4. तोण्डी

आप अपने सही उत्तर का चयन नीचे दिए गए कूट से कीजिए-

(a) 1 एवं 2                         (b) 2 एवं 3

(c) 3 एवं 4                        (d) 1 एवं 3

 

उत्तर- (a) व्याख्या- कावेरीपत्तनम एवं कोरकै बन्दरगाह भारत के पूर्वी तट पर स्थित थे, जबकि मुशिरि एवं तोण्डी बन्दरगाह पश्चिमी तट पर स्थित थे। तोण्डी, मुशिरी तथा पुहार में यवन लोग बड़ी संख्या में विद्यमान थे। पाण्ड्य देश के शालियर एवं चोर देश के बन्दरनगर को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह बतलाया गया है। पुहार चोलों की समुद्रतटीय राजधानी थी, यह प्रमुख बन्दरगाह भी था। स्त्रोत- दक्षिण भारत का इतिहास- नीलकण्ठ शास्त्री

235. किस अभिलेख में पुष्यमित्र द्वारा दो अश्वमेघ यज्ञ के सम्पादन का उल्लेख मिलता है?

 

(a) खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख

(b) धनदेव का अयोध्या अभिलेख

(c) गौतमीपुत्र शातकर्णी का नासिक अभिलेख

(d) फतेहपुर का रेह अभिलेख

 

उत्तर-(b) • व्याख्या- धनदेव के अयोध्या अभिलेख में पुष्यमित्र द्वारा अश्वमेघ यज्ञ के सम्पादन का उल्लेख मिलता है। अयोध्या (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त शिलालेखों से यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि पुष्यमित्र शुंग ने अपने शासनकाल में दो अश्वमेघ यज्ञ सम्पन्न कराये थे। मालविकाग्निमित्रम् में दोनों यज्ञों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। महाभाष्यकर्ता पतञ्जलि ही इन यज्ञों के पुरोहित थे। यज्ञ के उपरान्त छोड़े गए घोड़े को यवनों द्वारा पकड़े जाने पर यवनों और शुंगों के मध्य संघर्ष हुआ था जिसमें यवन पराजित हुए थे।

236. हाथीगुम्फा अभिलेख के शातकर्णी का समीकरण किया जाता है ?

 

(a) शातकर्णी प्रथम से

(b) गौतमीपुत्र शातकर्णी से

(c) वाशिष्ठीपुत्र शातकर्णी से

(d) यज्ञ श्री शातकर्णी से

(a) हाथीगुम्फा अभिलेख के शातकर्णी का समीकरण शातकर्णी प्रथम से किया जाता है। शातकर्णी प्रथम ने दो अश्वमेघ यज्ञ एवं एक राजसूय यज्ञ सम्पन्न कर सम्राट की उपाधि धारण की थी। इसके अलावा शातकर्णी ने दक्खिनापथपति एवं अप्रतिहतचक्र की उपाधि धारण की। पुराणों के अनुसार शातकर्णी ने करीब 56 वर्ष तक शासन किया। गोदावरी के तट पर स्थित प्रतिष्ठानको इसने राजधानी बनाया था।

 

 

237. निम्नलिखित पश्चिमी लेखकों को, जिनकी कृतियाँ प्राचीन भारतीय में रखिए-

 

1. नियार्कस

2. प्लिनी

3. स्ट्रेबो

4. टॉलेमी

सांस्कृतिक इतिहास के लिए महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, उनके सही कालानुक्रम नीचे दिए गए कूट से आप सही उत्तर का चयन कीजिए-

(a) 1, 2, 3, 4                 (b) 1, 3, 2, 4

(c) 2, 3, 4, 1                 (d) 2, 4, 1, 3

उत्तर-(b) व्याख्या- उपरोक्त पश्चिमी लेखकों का सही कालक्रम है— नियार्कस स्ट्रेबो- प्लिनी-टॉलेमी

238. याज्ञवल्क्य की पद्धति में पुत्रहीन मृतक के उत्तराधिकारी क्रम में निम्नलिखित में से किसका स्थान प्रथम है ?

(a) पुत्री

(b) भाई

(c) पत्नी

(d) पिता

 

उत्तर- (c) व्याख्या याज्ञवल्क्य की पद्धति में पुत्रहीन मृतक के उत्तराधिकारी क्रम में पत्नी का स्थान प्रथम है। स्मृतियों का उदय सूत्रों के बाद हुआ। मनुष्यों के पूरे जीवन से सम्बन्धित अनेक क्रिया-कलापों के बारे में असंख्य विधि निषेधों की जानकारी इन स्मृतियों से मिलती है। सम्भवतः मनुस्मृति (लगभग 200 ई.पू. से 100 ई. के मध्य) एवं याज्ञवल्क्य स्मृति सबसे प्राचीन है। उस समय के अन्य महत्त्वपूर्ण स्मृतिकार थे— नारद, पाराशर, बृहस्पति, कात्यायन, गौतम, संवर्त, हारीत, अंगीरा जिनका समय सम्भवतः 100 ई. से 600 ई. तक था। विश्वरूप, अपरार्क, विज्ञानेश्वर आदि ने याज्ञवल्क्य स्मृति पर भाष्य लिखे हैं।

239. वल्लभी सम्वत् अभिन्न है-

(a) विक्रम सम्वत् से

(b) शक सम्वत् से

(c) गुप्त सम्वत् से

(d) हर्ष सम्वत् से

उत्तर-(c)व्याख्या – चन्द्रगुप्त प्रथम ने 319-320 ई. में एक सम्वत् चलाया जिसे गुप्त सम्वत् के नाम से जाना जाता है। घटोत्कच के बाद उसका पुत्र चन्द्रगुप्त प्रथम गुप्त साम्राज्य का शासक बना था। स्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास- एन.सी.ई.आर.टी

 

240. कुमारगुप्त के काल में लाट से दशपुर आने वाली श्रेणी, जिस वस्तु का व्यापार करती थी, वो-

(a) रत्न थे

(b) अश्व थे

(c) हाथीदाँत थे

(d) रेशमी कपड़ा था

 

उत्तर- (d) व्याख्या – कुमारगुप्त महेन्द्रादित्य (414-455 ई.) चन्द्रगुप्त द्वितीय के बाद गुप्त साम्राज्य के महान् शासक बने थे। कुमारगुप्त के काल में लाट से दशपुर आने वाली श्रेणी रेशमी कपड़ा का व्यापार करती थी। कुषाण काल की तुलना में गुप्त युग में व्यापार में ह्रास के पर्याप्त चिन्ह मिलते हैं। आन्तरिक व्यापार के अन्तर्गत ग्राम लगभग आत्मनिर्भर उत्पादक इकाई के रूप में उभरकर सामने आ रहे थे। गुप्तकाल में व्यापार एवं वाणिज्य अपने उत्कर्ष पर था। उज्जैन, भड़ौच, प्रतिष्ठान, विदिशा, प्रयाग, पाटलिपुत्र, वैशाली, ताम्रलिप्ति मथुरा, आहिच्छत्र, कौशाम्बी आदि महत्त्वपूर्ण व्यापारिक नगर थे। गुप्त राजाओं ने ही सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राएँ जारी की। रोम साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय रेशम की माँग विदेशों में कम हो गई जिसके परिणामस्वरूप 5वीं सदी के मध्य रेशम बुनकरों की एक श्रेणी जो प्रदेश में निवास करती घी, मन्दसौर में जाकर बस गई।

241. वह गुप्त शासक जिसने हूणों को पराजित किया था—

(a) समुद्रगुप्त

(b) चन्द्रगुप्त द्वितीय

(c) कुमारगुप्त

(d) स्कन्दगुप्त

उत्तर- (d) व्याख्या- स्कन्दगुप्त ने हूणों को पराजित किया था। स्कन्दगुप्त को राजसिंहासन पर बैठते ही जूनागढ़ अभिलेख में म्लेच्छ के रूप में उल्लेखित हूणों के आक्रमण का सामना करना पड़ा जिसमें स्कन्दगुप्त को सफलता मिली। स्कन्दगुप्त का कार्यकाल 455 ई. से 467 ई. तक था। इसने गिरिनार पर्वत पर स्थित (सुदर्शन झीले का पुनरुद्धार करवाया था। इसने सौराष्ट्र में पर्णदत्त को गवर्नर के रूप में नियुक्त किया। इसने सुदर्शन झील के पुनरुद्धार का कार्य गवर्नर पर्णदत्त के पुत्र चक्रपालि को सौंपा था जिसने झील के किनारे एक विष्णु मन्दिर का निर्माण करवाया था। (तिगिनहूणों का प्रथम राजा था जो गान्धार पर शासन करता था। हूणों का महत्त्वपूर्ण शासक तोरमाणथा जिसका भारत के मध्यवर्ती भागों पर तक अधिकार था।

242. दक्कन में हर्ष के सामरिक विस्तार को किसने रोका ?

(a) महेन्द्र वर्मन                (b) दन्तिदुर्ग

 (c) राजेन्द्र प्रथम               (d) पुलकेशिन द्वितीय

 

 

 

उत्तर – (d) व्याख्या- दक्कन में हर्ष के सामरिक विस्तार को पुलकेशिन द्वितीय ने रोका था। पुलकेशिन द्वितीय ने 620 ई. में हर्षवर्द्धन को हराया था एवं उसकी सेनाओं को नर्मदा के तट के पीछे खदेड़ दिया था। हर्षवर्द्धन ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की जिसकी सीमाएँ उत्तर में हिमाच्छादित पर्वतों तक, दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक, पूर्व में गंजाम तथा पश्चिम में वल्लभी तक विस्तृत थी। कन्नौज इस विशाल साम्राज्य की राजधानी थी। हर्ष ने महाराजाधिराज की पदवीं धारण की थी। हर्षवर्द्धन उच्च कोटि का कवि भी था। उसने संस्कृत में नागानन्द, रत्नावली तथा प्रियदर्शिका नाम से तीन नाटकों की रचना की।

243. गुप्तकाल के किस अभिलेख में भूमि बिक्री सम्बन्धी विवरण दिया गया है ?

(a) जूनागढ़ अभिलेख  (b) भितरी स्तम्भ लेख  

(c) बेग्राम ताम्रपत्र    (d) दामोदरपुर ताम्रपत्र

उत्तर- (d) गुप्तकाल के दामोदरपुर ताम्रपत्र अभिलेख में भूमि बिक्री सम्बन्धी विवरण दिया गया है।

244. गुप्त राजवंश में महाराजाधिराजकी उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक कौन था ?

(a) श्रीगुप्त

(b) चन्द्रगुप्त प्रथम

(c) समुद्रगुप्त

(d) चन्द्रगुप्त द्वितीय

 

उत्तर-(b)व्याख्या- गुप्त राजवंश में महाराजाधिराजकी उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक चन्द्रगुप्त प्रथम था। घटोत्कच के उत्तराधिकारी के रूप में सिंहासनारूढ़ चन्द्रगुप्त प्रथम एक प्रतापी राजा था। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की एवं एक गुप्त सम्वत् (319-320 ई.) चलाया। स्त्रोत- प्राचीन भारत का इतिहास- एन.सी.ई.आर.टी.

245. उत्तर भारत पर तुर्कों के आक्रमण के समय गुर्जर प्रतिहार वंश किस क्षेत्र में आधिपत्य रखते थे ?

(a) कश्मीर                                         (b) मध्य देश

(c) गुजरात                                        (d) कन्नौज

 

व्याख्या- उत्तर भारत पर तुर्कों के आक्रमण के समय गुर्जर प्रतिहार वंश कन्नौज क्षेत्र में आधिपत्य रखते थे। अग्निकुल के राजपूतों में सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रतिहार वंश को गुर्जर प्रतिहार इसलिए कहा गया क्योंकि ये गुर्जरों की शाखा से सम्बन्धित थे, जिनकी उत्पत्ति गुजरात व दक्षिण-पश्चिम राजस्थान में हुई थी। प्रतिहारों के अभिलेखों में उन्हें श्रीराम के अनुज लक्ष्मण का वंशज बताया गया है जो श्रीराम के लिए प्रतिहार (द्वारपाल) का कार्य करता था। कन्नड़ कवि पम्पा ने महिपाल को गुर्जर राजाकहा है। स्मिथ, ह्वेनसांग के वर्णन के आधार पर उनका मूल स्थान आबू पर्वत के उत्तर-पश्चिम में स्थित योना मानते हैं। गुर्जर प्रतिहार वंश के सर्वाधिक प्रतापी एवं महान् शासक मिहिर भोज ने 836 ई. के लगभग कन्नौजको अपनी राजधानी बनाया

246. 1121 ई. का एक अभिलेख एक आयुर्विज्ञान संस्था का उल्लेख करता है, जहाँ चरक संहिता और वाग्भट्ट के अष्टांग हृदय की पढ़ाई होती थी, वह स्थित था-

(a) वाराणसी में                       (b) नालन्दा में

(c) वल्लभी में           (d) तिरूवाडुतुरै में

 

उत्तर—(d) व्याख्या- उपरोक्त संस्थान तिरूवाहुतुरै में स्थित था। यहाँ पर चरक संहिता और वाग्भट्ट के अष्टांग हृदय की पढ़ाई होती थी। इस आयुर्विज्ञान संस्था का उल्लेख 1121 ई. के एक अभिलेख में है

247.  राष्ट्रकूट राजा दन्तिदुर्ग ने हिरण्यगर्भ महादान समारोह ( अनुष्ठान) कहाँ मनाया था ?

 

(a) मान्यखेट

(b) गिरनार 

(c) उज्जैन

(d) नासिक

 

उत्तर-(c) व्याख्या- राष्ट्रकूट राजा दन्तिदुर्ग ने हिरण्यगर्भ महादान समारोह (अनुष्ठान) उज्जैन में मनाया था। राष्ट्रकूट वंश की स्थापना लगभग 736 ई. में दन्तिदुर्ग ने की। उसने मान्यखेट या मालखण्ड को अपनी राजधानी बनाया। उसने काँची, कलिंग, कौशल, श्रीशैल, मालवा, लाट एवं टंक पर विजय प्राप्त कर राष्ट्रकूट साम्राज्य को विस्तृत किया। उसने चालुक्य नरेश कीर्तिवर्मन द्वितीय को एक युद्ध में पराजित किया था। उसने महाराजाधिराज परमेश्वर, परमभट्टारक आदि उपाधियाँ धारण की थीं।

248. निम्नलिखित में से किस शासक ने कश्मीर में मार्तण्ड मन्दिर का निर्माण करवाया था ?

(a) तारापीड                    (b) ललितादित्य मुक्तापीड

(c) अवन्तिवर्मन             (d) दिद्दा

 

 

 

 

उत्तर-(b) व्याख्या- कश्मीर के शासक ललितादित्य मुक्तापीड ने कश्मीर में मार्तण्ड मन्दिर का निर्माण करवाया था। ललितादित्य मुक्तापीड कार्कोट वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था। इसने तिब्बतियों, कम्बोजों एवं तुर्की को पराजित किया था। विजेता होने के साथ ही यह एक महान् निर्माता भी था। धार्मिक दृष्टि से उदार होने के कारण इसने अनेक बौद्ध मठों एवं हिन्दू मन्दिरों का निर्माण करवाया था। इसके महत्त्वपूर्ण निर्माण कार्यों में सूर्य का प्रसिद्ध मार्तण्ड मन्दिर शामिल है।

 

249. 15वीं – 16वीं शताब्दी में शर्को राज्य की राजधानी किस स्थान पर थी?

(a) जाफराबाद

(b) कड़ा-मानिकपुर

(c) बनारस

(d) जौनपुर

उत्तर- (d) व्याख्या – 15वीं तथा 16 वीं शताब्दी में शर्की राज्य की राजधानी जौनपुर थी। बनारस के उत्तर-पश्चिम में स्थित जौनपुर राज्य की नींव फिरोजशाह तुगलक ने डाली थी। सम्भवतः इस राज्य को फिरोज ने अपने भाई जीना खाँ की स्मृति में बसाया था। तैमूर के आक्रमण से दिल्ली में फैली अस्थिरता का लाभ उठाकर 1394 ई. में फिरोज तुगलक के एक हिजड़े ख्वाजा जहान (मलिक सरवर) जिसकी उपाधि “पूर्व का स्वामी थी, ने जौनपुर में एक स्वतन्त्र शर्की राज्य की स्थापना सौ वर्षों तक प्रतिहारों की राजधानी बनी रही। प्रतिहार वंश के अन्तिम शासक राज्यपाल ने 1018 ई. में महमूद गजनवी के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया और इस प्रकार कन्नौज पर मुसलमानों का अधिकार हो गया।

250. निम्नलिखित खगोलशास्त्रियों को उनके सही कालानुक्रम में रखिए-

1. आर्यभट्ट

2. ब्रह्मगुप्त

3. लगढ़

4. वराहमिहिर

नीचे दिए गए कूट से आप सही उत्तर का चयन कीजिए-

(a) 1, 2, 3, 4

(b) 2, 1, 4, 3

(c) 3, 1, 4, 2

(d) 4, 3, 2, 1

उत्तर-(a)व्याख्या—उपरोक्त खगोलशास्त्रियों का सही कालक्रम इस प्रकार है-

आर्यभट्ट

ब्रह्मगुप्त

लगढ़

वराहमिहिर

 

 

 

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https://youtu.be/lafPdQc6Jw8

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